पढ़ाई खत्म करके पहली बार नौकरी शुरू करने वाले ज्यादातर यंगस्टर्स की कमाई घूमने-फिरने, गैजेट खरीदने, बाहर खाने-पीने जैसे शौक पूरे करने और कुछ मामलों में एजुकेशन लोन चुकाने में खर्च हो जाती है. ऐसे लोगों को नौकरी शुरू करने के कुछ महीनों तक सैलरी अपनी मर्जी से खर्च करना चाहिए, लेकिन इसके बाद फाइनेंशियल प्लानिंग पर ध्यान देना चाहिए. शुरुआती फिजूलखर्ची करते समय भी वही पैसे खर्च करें जो आपके हाथ में हैं. EMI या क्रेडिट कार्ड के सहारे खर्च बिल्कुल नहीं करें. ये आपकी फ्यूचर इनकम खा सकता है.
बचत की आदत डालें
गैजेट, कपड़े जैसी जरूरतें और शौक पूरा करने के बाद अगला स्टेप फाइनेंशियल प्लानिंग का है ताकि फाइनेंशियल गोल पूरा हो सके. फाइनेंशियल गोल का मतलब है कि आपको किस काम के लिए, कितने समय में, कितना पैसा चाहिए. दरअसल, फाइनेंशियल प्लानिंग का काम फाइनेंशियल गोल को हासिल करना है. इसे पूरा करने के लिए आपको सेविंग करनी होगी. ऐसे में करियर की शुरुआत से ही सैलरी से पैसे बचाएं और फिर इन्वेस्ट करें.
हाथ में आने वाली सैलरी से कितना प्रतिशत पैसा आपको बचाना है इस पर जानकारों का कहना है कि अगर आपकी सैलरी में सेविंग का हिस्सा कम है तो खर्चों को ट्रैक करके उन्हें घटाने की जरूरत है. सेविंग्स शुरू करने के लिए बहुत बड़ा अमाउंट होना जरूरी नहीं है. जरूरी है कि आप छोटा ही सी, लेकिन पैसे बचाएं. उदाहरण के लिए अगर आप 1,000 रुपए महीने की SIP इक्विटी म्यूचुअल फंड में करते हैं तो 12 फीसदी के अनुमानित रिटर्न से 30 साल में 35 लाख रुपए जोड़ सकते हैं. ये इन्वेस्टमेंट की पावर है. इसे जानने के बाद अब वापस आते हैं फाइनेंशियल गोल्स पर. नया-नया करियर शुरू करने वाले युवाओं का सबसे पहला गोल खुद के एजुकेशन या करियर अपग्रेडेशन का होना चाहिए. इसकी मदद से आप हायर स्टडी करके ज्यादा कमाई कर सकेंगे, जिससे बाकी के फाइनेंशियल गोल को पूरा करने में मदद मिलेगी.
दूसरे फाइनेंशियल गोल्स में गाड़ी या घर खरीदना, शादी का खर्च और उसके बाद बच्चों की पढ़ाई और आखिर में रिटायर हो सकते हैं. आप अपने गोल्स को तीन हिस्सों शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग टर्म में बांट लें. इन गोल्स को कितने साल में हासिल करना है और इसके लिए कितने पैसों की जरूरत होगी यह फैसला जरूर करें. इससे आपको पता चलेगा कि फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने के लिए कितना पैसा, कब तक इन्वेस्ट करना है. शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म को लेकर कोई सटीक परिभाषा नहीं है. आमतौर पर 6 महीने से 3 साल तक के निवेश को शॉर्ट टर्म, 3 से 5 साल के निवेश को मीडियम टर्म जबकि 5 साल से ऊपर के निवेश को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है.
टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस भी लेना जरूरी
इंश्योरेंस आपके फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा होना चाहिए. ठीक कीमत पर सही लाइफ इंश्योरेंस आपके और आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा देता है ताकि आपके न रहने पर आपके अपने सड़क पर न आ जाएं. ऐसे में टर्म इंश्योरेंस जरूर लें. टर्म इंश्योरेंस में कोई रिटर्न नहीं है लेकिन छोटे प्रीमियम पर बड़ा बीमा कवर जरूर मिलता है. भविष्य में इलाज के खर्च को कम करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस भी लेना चाहिए. मुश्किल वक्त कभी बताकर नहीं आता है. ऐसे में निवेश शुरू करने से पहले इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं. इसमें कम से कम 6 महीने के खर्च के बराबर पैसे जरूर रखें. इसके दो फायदे हैं पहला ये पैसा मुश्किल समय में काम देगा और दूसरा पैसों की जरूरत पड़ने पर मौजूदा निवेश तोड़ना नहीं पड़ेगा, जिससे फाइनेंशियल गोल पर असर नहीं पड़ेगा.