बागपत के रहने वाले सचिन चौधरी की पत्नी की सर्जरी हुई है. उन्होंने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है. पत्नी को डिस्चार्ज कराने के लिए अकाउंट्स विभाग में गए तो उन्हें 65 हजार रुपए जमा कराने को कहा गया. लेकिन सचिन की पॉलिसी तो कैशलेस है, उनसे पैसे क्यों मांगे जा रहे हैं, इस बात को लेकर परेशान हैं. काफी जद्दोजहद के बाद हास्पिटल के अधिकारी सचिन की बात बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से कराते हैं. वह उन्हें जोनवाइज प्रीमियम और क्लेम के बारे में समझाते हैं. लेकिन सचिन की परेशानी यह है कि पैसे कहां से लाएं?
दरअसल, सचिन के साथ हुआ वह बीमा कंपनी की आनाकानी नहीं है बल्कि बीमा कंपनी का वह रूल है जिसे लोग बीमा खरीदते वक्त नजरएंदाज कर देते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने प्रीमियम की कॉस्ट को शहर के मुताबिक जोन में बांटा हुआ है. ग्रामीण क्षेत्र या छोटे शहर में रहने वालों को हेल्थ इंश्योरेंस बड़े शहरों की तुलना में सस्ता मिलता है. लेकिन जब इस बीमा का इस्तेमाल वो बड़े शहर में करते हैं तो प्रीमियम का प्राइस डिफरेंस देना पड़ता है.
प्रीमियम में अंतर
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने देश के शहरों को जोन 1, 2 व 3 में बांट रखा है. एक जोन से दूसरे जोन के प्रीमियम में 10-12 फीसद तक का अंतर है. ऐसे समझिए 30 साल के सचिन अगर दिल्ली के पते पर पांच लाख रुपए के कवर की हेल्थ पॉलिसी लेते हैं तो 20,000 रुपए का प्रीमियम देना होगा. अगर वह मेरठ के पते पर यही पॉलिसी लेते हैं तो इसके लिए 18,000 रुपए प्रीमियम बनेगा. बागपत में यही बीमा कवर उन्हें 16,000 रुपए में मिल सकता है. इस तरह जोन-3 का प्रीमियम जोन-1 की तुलना में 20 फीसद और जोन-2 की तुलना में 10 फीसद सस्ता है.
क्लेम पर असर
जोन के आधार पर बंटे प्रीमियम का असर क्लेम के पेमेंट पर भी पड़ता है. अगर आप जोन-3 में रहते हैं और जोन-2 के हॉस्पिटल में इलाज कराते हैं तो क्लेम में 10 फीसद कोपेमेंट का क्लॉज लागू होगा. जोन-3 से जाकर जोन-1 के अस्पताल में इलाज कराते हैं तो 20 फीसद कोपेमेंट लगेगा. कोपेमेंट का मतलब है कि कुल बिल का पहले से तय हिस्सा पॉलिसीधारक को अपनी जेब से भरना होगा. सचिन के साथ भी यही हुआ. सचिन बागपत में रहते हैं औऱ दिल्ली में इलाज करवाया यानी जोन-3 से जोन-1 में इलाज के लिए गए. पॉलिसी के कोपेमेंट के नियमों के तहत उन्हें 20 फीसद अपनी जेब से देना होगा. हालांकि कोपेमेंट का हिसाब कंपनी की पॉलिसी के हिसाब से अलग–अलग हो सकता है.
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के चीफ टेक्नीकल ऑफिसर टी. रामालिंगम कहते हैं कि अगर आप छोट शहर में रहते हैं तो ध्यान रहे कि आपके पास दो तरह के हेल्थ प्लान का विकल्प रहता है. जोन वाइज प्रीमियम के तहत कम प्रीमियम वाला प्लान लें या फिर ज्यादा प्रीमयम वाला रेगुलर हेल्थ प्लान भी चुन सकते हैं. कई बार सस्ते प्रीमियम के चक्कर में लोग बिना कोपेमेंट के नियम को समझे जोन के आधार पर बीमा ले लेते हैं. आगे जाकर अगर बड़े शहर में इलाज करवाने की जरूरत पड़ती है तो क्लेम पेमेंट में कोपेमेंट की बात पर ठगा हुआ महसूस करने लगते हैं.
सचिन जैसी घटना से बचने के लिए थोड़ा ज्यादा प्रीमियम चुका कर देश में कहीं भी पूरे कैशलेस कवर की सुविधा लेनी चाहिए. अगर आप रहने के लिए एक जोन से दूसरे जोन में जाकर शिफ्ट हो रहे हैं तो अपनी बीमा कंपनी को सूचित करें ताकि अगले बार पॉलिसी रिन्यू कराते समय प्रीमियम एडजस्ट हो जाए और क्लेम लेने के दौरान सचिन की तरह कोई परेशानी न उठानी पड़े.