रिटायरमेंट के लिए VPF और NPS हो सकते हैं बेहतर विकल्‍प

वीपीएफ और एनपीएस दोनों इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं

रिटायरमेंट के लिए VPF और NPS हो सकते हैं बेहतर विकल्‍प

रिटायरमेंट के बाद जिंदगी अच्‍छे से गुजरे इसके लिए शुरुआती दौर से बचत की प्‍लानिंग करनी चाहिए. खासतौर पर अगर आप निजी क्षेत्र में काम करते हैं, जिनके पास पेंशन सुरक्षा नहीं है, उनके लिए रिटायरमेंट प्‍लानिंग और भी ज्‍यादा जरूरी है. इनदिनों युवाओं में जल्‍दी रिटायरमेंट लेने और भविष्‍य की योजना बनाने का काफी चलन है. ज्‍यादातर लोग सेवानिवृत्ति के लिए बचत करना एक महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य मानते हैं. ऐसे में अगर आप भी ऐसी पेंशन योजना की तलाश में हैं, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद आपकी वित्‍तीय जरूरतें आसानी से पूरी हो सकें. तो इसके लिए स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) ये दो योजनाएं बेहतर विकल्‍प साबित हो सकती हैं.

वीपीएफ कर्मचारी भविष्य निधि निवेश को बढ़ाने का एक तरीका है, जो आमतौर पर मूल वेतन का 12% है. वित्त वर्ष 2023 में इसमें 8.15% का ब्‍याज मिल रहा था. इसकी हर साल समीक्षा की जाती है और इसमें मिलने वाला ब्‍याज पीपीएफ, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और किसान विकास पत्र जैसी अन्य सरकारी बचत योजनाओं की तुलना में ज्‍यादा होता है. वहीं एनपीएस रिटर्न बाजार से जुड़ा हुआ है. इसमें इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड या सरकारी प्रतिभूतियों में प्रमुख निवेश के आधार पर अलग-अलग एनपीएस योजनाएं हैं. वीपीएफ और एनपीएस दोनों इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं. चूंकि एनपीएस रिटर्न बाजार से जुड़े होते हैं इसलिए ये योजनाएं आसानी से वीपीएफ की तुलना में अधिक रिटर्न दे सकती हैं.

एक रिटायरमेंट कंसल्टिंग फर्म के बिजनेस लीडर का कहना है कि ज्‍यादातर कंपनियां ईपीएफ खातों में निवेश करने के लिए कर्मचारियों के मूल वेतन का 12% काटती हैं. वीपीएफ योगदान में आपके मूल वेतन के 100% तक का योगदान किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, अगर आपका नियोक्‍ता पहले से ही ईपीएफ में मूल वेतन से 12% की कटौती कर निवेश कर रहा है और आप ज्‍यादा बचत करना चाहते हैं तो कम टेक-होम अपना सकते हैं. आप अपने मूल वेतन का 88% तक वीपीएफ में जोड़ सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको वित्‍तीय वर्ष की शुरुआत में अपनी कंपनी से एक वीपीएफ खाता खोलने के लिए कहना होगा. अगर ईपीएफ/वीपीएफ में योगदान एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि पर ब्याज से होने वाली आय पर टैक्‍स लगेगा. उदाहरण के लिए अगर आपका मूल वेतन 4 लाख रुपए प्रति वर्ष है और आप अपना 100% योगदान देते हैं तो ईपीएफ/वीपीएफ में मूल वेतन के दो खाते बनाए जाएंगे. एक 2.5 लाख रुपए तक के योगदान के लिए और दूसरा 1.5 लाख रुपए के अतिरिक्त योगदान के लिए. पहले खाते से मैच्‍योरिटी विड्रॉल पर टैक्‍स नहीं लगेगा. वहीं दूसरे खाते में अर्जित ब्याज आपके टैक्‍स स्लैब दर के अनुसार कर योग्य होगा. किसी व्यक्ति या नियोक्ता की ओर से एनपीएस में निवेश करने की कोई ऊपरी सीमा नहीं है.

एनपीएस में भी आयकर सेक्‍शन 80-सी के तहत टैक्‍स कटौती का लाभ मिलता है. आप एनपीएस में निवेश करके धारा 80सीसीडी(1बी) के तहत 50,000 रुपए तक कर कटौती का दावा कर सकते हैं. इसके अलावा, यदि आपका नियोक्ता भी आपके वेतन के हिस्से के रूप में एनपीएस में योगदान देता है, तो आप धारा 80सीसीडी (2) के तहत कर कटौती का दावा कर सकते हैं. नई कर व्यवस्था में भी इसका लाभ मिलेगा. हालांकि एनपीएस में अंशदान के लिए कटौती केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में वेतन के 14% और निजी कर्मचारी के मामले में 10% से अधिक नहीं हो सकती है. खासतौर पर अगर ईपीएस, एनपीएस और सेवानिवृत्ति में नियोक्ता का योगदान प्रति वर्ष 7.5 लाख रुपए से अधिक है. जो कर्मचारी कार्यरत हैं वे वीपीएफ से समय से पहले निकासी नहीं कर सकते हैं. हालांकि कुछ जरूरतों जैसे घर खरीदना, शादी, बच्चों की मैट्रिक के बाद की शिक्षा और प्राकृतिक आपदा के लिए आंशिक निकासी की अनुमति है. वीपीएफ में 55 साल की उम्र होने पर या नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद पूरी रकम निकाल सकते हैं. नियम के मुताबिक रिटायरमेंट से एक साल पहले कुल पीएफ बैलेंस का 90% निकाला जा सकता है. एनपीएस खाता 60 वर्ष की आयु में मेच्‍योर होता है, लेकिन इसे 75 वर्ष की आयु तक बढ़ाया जा सकता है और मेच्‍योरिटी राशि का 60% एकमुश्त निकाला जा सकता है.

Published - September 22, 2023, 12:38 IST