कच्चे माल की कीमतों में उबाल, रेस्टॉरेंट्स और कैफे संचालकों ने बढ़ाए दाम
इसके अलावा रूस-यूक्रेन जंग के चलते भी सप्लाई चेन बाधित हुई है. इस वजह से ग्लोबल लेवल पर अनाज का प्रोडक्शन, खाद्य तेलों की आपूर्ति और उर्वरक
वीकेंड में फैमिली के साथ लंच या डिनर की प्लानिंग को भी अब महंगाई की नजर लग गई है. बढ़ती खाद्य महंगाई से निपटने के लिए फाइन-डाइनिंग और क्विक सर्विस रेस्टॉरेंट्स, बार्स और कैफे भी अपने यहां कीमत बढ़ा रहे हैं. यहां खाने-पीने की चीजों के दाम 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं. कई रेस्टॉरेंट्स चेन ने डिस्काउंट घटाने और दाम बढ़ाने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं. रेस्टॉरेंट्स संचालकों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में कच्चे माल की लागत 7 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक बढ़ चुकी है.
महंगाई की ये मार केवल रेस्टॉरेंट्स पर ही नहीं पड़ रही है बल्कि ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग करना भी महंगा हो गया है. डोमिनोज पिज्जा, केएफसी और पिज्जा हट पहले ही अपने दाम बढ़ा चुके हैं. मैनलेंड चाइना, एशिया किचन और सिगरी ग्लोबल ग्रिल जैसे ब्रांड्स का संचालन करने वाले स्पेशिएलिटी रेस्टॉरेंट्स के चेयरमैन अंजन चटर्जी का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से इतना ज्यादा असर पड़ेगा हमनें कभी सोचा नहीं था. सनफ्लॉवर ऑयल और पेट्रोल-डीजल के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. ऐसे मेंरेस्टॉरेंट्स संचालकों के पास ग्राहकों के लिए दाम बढ़ाने के अलावा अब कोई और चारा नहीं बचा है.
जानकारों की माने तो रेस्टॉरेंट्स इंडस्ट्री पर ईंधन, डेयरी, सब्जियों और पोल्ट्री जैसे सामानों के महंगा होने की मार पड़ रही है. इसके अलावा बिजली की बढ़ती कीमतों ने इस इंडस्ट्री की समस्या को और बढ़ा दिया है.
इसके अलावा रूस-यूक्रेन जंग के चलते भी सप्लाई चेन बाधित हुई है. इस वजह से ग्लोबल लेवल पर अनाज का प्रोडक्शन, खाद्य तेलों की आपूर्ति और उर्वरक के एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है. इस वजह से भी खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं.
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा यूज होने वाले वनस्पति तेल पाम तेल की कीमतों में इस साल लगभग 50% की बढ़ोतरी हो चुकी है. कंज्यमूर प्राइस इंडेक्स यानी CPI द्वारा मापी गई महंगाई फरवरी के महीने में 6.07% थी. जनवरी में रिटेल इन्फ्लेशन 6.01% दर्ज की गई थी. मार्च महीने में फूड इन्फ्लेशन बढ़कर 7.68% हो गई, जो कि फरवरी में 5.85% थी. ये लगातार तीसरा महीना है, जब इंफ्लेशन रेट RBI की 6% की ऊपरी लिमिट से ऊपर निकल गई है.
ऐसे बढ़ा महंगाई का ग्राफ
सामान महंगाई दर (फरवरी) महंगाई दर (मार्च)
आलू 14.78% 24.62%
अंडा, मछली 8.14% 9.42%
सब्जियां 26.93% 19.88%
फल 10.3% 10.62%
गेहूं 11.03% 14.04%
प्याज -26.37% -9.33%
अनाज 6.07% 8.12%
सोर्स – WPI Food Index
भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई…..रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं. दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है तो ऐसे में जाहिर है जब रॉ मैटेरियल के दाम बढ़ेंगे तो इससे रेडी होने वाले प्रोडक्ट्स भी महंगे होंगे और आप और हम जैसे ग्राहकों को इसका सामना करना पड़ेगा.