पिछले एक साल के दौरान महंगे हुए कर्ज की वजह से होमलोन ले चुके लोगों का एक बड़ा धड़ा बैंकों के साथ अपने लोन को रीफाइनेंस कर रहा है. कई लोग तो अपना होम लोन उन बैंकों में शिफ्ट कर रहे हैं जहां पर कम ईएमआई (EMI) का विकल्प मिला है. महंगे कर्ज की वजह से सबसे ज्यादा मार होम लोन लेने वालों पर ही पड़ी है क्योंकि पॉलिसी दरों में हुई बढ़ोतरी की वजह से बैंकों ने होमलोन की ईएमआई को बढ़ाया है. ऐसे में होम लोन की बढ़ती किस्त ग्राहकों के लिए गले का फंदा बन गई है. और इससे छुटकारा पाने के लिए वो लोन की रीफाइनेंसिंग करा रहे हैं.
क्या है फायदा?
पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. रेपो रेट बढ़ने की वजह से जो होमलोन पिछले साल 7 फीसद की दर पर मिल रहा था. उसके लिए दर अब 9 फीसद के ऊपर पहुंच गई है. रेपो रेट के बढ़ने से होम लोन की ब्याज दरें नए और पुराने, दोनों ग्राहकों के लिए बढ़ जाती हैं. इन महंगी ब्याज दरों का बोझ उन ग्राहकों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है, जिन्होंने तब होम लोन लिए थे, जब ब्याज दरें काफी कम थीं. ऐसे में कई ग्राहक लोन को रिफाइनेंस का रास्ता अपना रहे हैं. लोन रिफाइनेंस कराने पर ग्राहकों को उनके मौजूदा ब्याज दरों से सस्ता होम लोन मिल जाता है.
स्प्रेड रेट का असर
कई बैंक अपना स्प्रेड रेट घटाकर ग्राहकों को सस्ता लोन देते हैं. स्प्रेड रेट का मतलब है बेंचमार्क रेट (रेपो रेट, MCLR) और बैंक की ब्याज दरों के बीच का अंतर. मार्च 2020 में जब रेपो रेट 5.15 फीसद था तब एसबीआई (SBI) का स्प्रेड रेट 275 बेसिस प्वॉइंट्स था. मार्च 2023 में बैंक के स्प्रेड रेट का यह आंकड़ा 200 बेसिस प्वॉइंट्स रह गया. महंगी ब्याज दरों के समय में बैंक अपना स्प्रेड रेट घटाकर नए ग्राहकों को सस्ती दरों पर होम लोन देते हैं, जिससे उनका कस्टमर बेस बढ़ सके. हालांकि लोन रिफाइनेंस कराने पर आपको प्रोसेसिंग फीस जैसे कुछ शुल्क चुकाने पड़ते हैं. इसलिए अगर आप भी महंगी ब्याज दरों से परेशान हैं और अपने होम लोन को रिफाइनेंस कराने की सोच रहे हैं. तो हम आपको बताते हैं रिफाइनेंस से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
सबसे पहले अपने बैंक से बात करें
होम लोन पर ब्याज दरें कम कराने के लिए किसी दूसरे बैंक के पास जाने से बेहतर है कि सबसे पहले आप अपने बैंक से बात करें. कोई भी बैंक अपने ग्राहक को खोना नहीं चाहता है. खासकर अगर आप बैंक के पुराने ग्राहक हैं और आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है. बात करने पर हो सकता है कि बैंक लोन की अवधि बढ़ाने की जगह ईएमआई थोड़ी बढ़ा दें. ऐसे में आप प्रोसेसिंग फीस समेत दूसरे खर्चों से बच सकते हैं. इन सभी खर्चों की गणना करके देखें कि बैलेंस ट्रांसफर करने पर आपको कितने रुपए की बचत हो रही है.
टीजर लोन न हो नया कर्ज
यह ध्यान रखें कि नया बैंक आपको जिस ब्याज दर पर लोन दे रहा है, वह टीजर लोन न हो. इसमें शुरुआत में कम दरों पर कर्ज देने की पेशकश की जाती है. बाद में ब्याज दरें बढ़ा दी जाती हैं. इसलिए यह जरूर जांच लें कि नए बैंक में भविष्य में भी सेम रेट ऑफ इंटरेस्ट रहेगा या नहीं.
शुल्कों की तुलना करें
अगर दूसरा बैंक आपको सस्ती ब्याज दरों पर लोन देने के लिए तैयार भी हो जाए… तो ये जरूर चेक कर लें कि समय से पहले होम लोन चुकाने पर आपका पुराना बैंक तो किसी तरह का शुल्क नहीं वसूलेगा. साथ ही ये भी देखें कि आप जिस बैंक या होम फाइनेंस कंपनी (NBFC) में लोन ट्रांसफर कर रहे हैं वो समय से पहले कर्ज भर देने पर कोई चार्ज तो नहीं लगा रहा है. इन सब खर्चों की तुलना के बाद ही लोन ट्रांसफर का विकल्प चुनें.