कर्मचारी भविष्य निधि के दावों के अस्वीकृत होने की दर बढ़ गई है. भारत में औसतन हर तीसरे व्यक्ति का क्लेम रिजेक्ट हो रहा है. EPFO के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में क्लेम रिजेक्ट होने की दर 34 फीसदी है. 2017-18 में यह दर लगभग 13 फीसदी थी. PF के ये दावे तीन श्रेणियों में अंतिम निपटान, स्थानांतरण और निकासी से जुड़े हुए हैं.
क्यों रिजेक्ट हो रहे हैं क्लेम?
ईपीएफओ अधिकारियों का कहना है कि आवेदकों के क्लेम रिजेक्ट होने का आंकड़ा ऑनलाइन प्रोसेसिंग के चलते बढ़ा है. 5 साल पहले दावों के लिए दस्तावेजों का सत्यापन मुख्य रूप से नियोक्ताओं के स्तर पर होता था और फिर EPFO के पास आता था. वहीं अब आधार की मदद से 99 प्रतिशत दावे ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम प्रोसेस होते हैं. जिसमें KYC से जुड़ी गडबड़ियां सामने आ रही हैं.
कब कितने क्लेम हुए रिजेक्ट?
इपीएफओ के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में 73.87 लाख फाइनल पीएफ क्लेम सेटेलमेंट मिले, जिसमें 24.93 लाख यानी 33.8 फीसद क्लेम रिजेक्ट कर दिए गए. वित्त वर्ष 2017-18 में 13 फीसद और 2018-19 में 18.2 फीसद आंकड़े रिजेक्ट किए गए. वित्त वर्ष 2019-20 में 24.1 फीसद, 2020-21 में 30.8 फीसद और 2021-22 में 35.2 फीसद क्लेम रिजेक्ट हुए.
छोटी-छोटी गलतियां पड़ रही भारी
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, क्लेम रिजेक्शन को लेकर बढ़ रहे आंकड़ों की बढ़ते मामले पर ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में बात की जा चुकी है. लेकिन इसा अब तक कोई बड़ा हल नहीं निकल पाया है. पहले ईपीएफओ की हेल्प डेस्क कर्मचारी की एप्लीकेशन में सुधार कर देते थे. दरअसल, कई बार आवेदन में शब्दों की स्पेलिंग गलत या नंबरों में गलती होने पर क्लेम रिजेक्ट हो जाते हैं. पर अब इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है. ऐसे में, इसमें किसी तरह के सुधर की गुंजाइश नहीं होती है. और यही वजह है कि रिजेक्ट क्लेम की संख्या बढती जा रही है.