अनिल ने एजुकेशन लोन लेकर बीटेक की पढ़ाई की. कैंपस प्लेसमेंट में नौकरी मिली लेकिन लॉकडाउन लगते ही कंपनी ने ऑफर खारिज कर दिया. न हाथ में नौकरी न जेब में पैसे. अनिल लोन चुकाने में नाकाम रहे. इससे उन पर लग गया डिफॉल्टर का स्टैंप. लेकिन ये ठप्पा केवल अनिल पर ही नहीं लगा बल्कि उनके को–एप्लीकेंट यानी उनके अभिभावक भी डिफॉल्टर लिस्ट में शामिल हो गए. इस ठप्पे के असर का उन्हें भले ही अभी पता न चले… लेकिन आगे किसी वित्तीय जरूरत के लिए अगर लोन की जरूरत पड़ेगी तो शायद ही उन्हें मिल पाए.
एजुकेशन लोन के भुगतान में चूक करने से छात्र के साथ को–एप्लीकेंट की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. इससे क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है क्योंकि को–एप्लीकेंट ही इस लोन के गारंटर हैं. अगर छात्र लोन डिफॉल्ट करता है तो अदायगी की जिम्मेदारी को–एप्लीकेंट की होती है. लोन न देने की स्थिति में बैंक या वित्तीय संस्थान लेनदार के खिलाफ कदम उठा सकते हैं.
अगर 4 लाख रुपए से कम का गैर जमानत का लोन है तो चेतावनी पत्र और नोटिस भेजने के बाद कानूनी कार्यवाही हो सकती है. लोन देने वाला संस्थान बैंक अकाउंट जब्त करने से लेकर संपत्ति की कुर्की जैसा कदम उठा सकते हैं. अगर 7.5 लाख रुपए तक का लोन है तो सिक्योरिटी जब्त की जा सकती है. वसूली न होने पर इस कर्ज को एनपीए की श्रेणी में डाल दिया जाता है.
देश में उद्योग और कृषि के बाद शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां कर्ज भुगतान में सबसे ज्यादा चूक होती है. मार्च 2021 में स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के आंकड़े बताते हैं कि एजुकेशन लोन में साल दर साल NPA की तादाद 1-2 फीसदी से बढ़ जाती है. 2016 में एजुकेशन लोन में 7.29% NPA रहा, 2018 में में 8.1% और 2019 में 8.3% रहा. 2020 के पहले नौ महीने अप्रैल–दिसंबर में यह आंकड़ा 9.7% पर रहा.
NPA के मामलों में पूर्वी भारत में बिहार और दक्षिण भारत में तमिलनाडु का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. पूर्वी भारत में यह 14.2% तो दक्षिणी राज्यों में ये 11.9% रहा. उत्तरी राज्यों में यह NPA 3.3% रहा तो पश्चिमी भारत में 3.9% लोन वापस नहीं किए गए. कोविड की चोट ने एकतरफ NPA बढ़ाया तो दूसरी ओर लोन घटाया. RBI की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि 2019 के मुकाबले 2020 में एजुकेशन लोन में 1.8 फीसदी की कमी आई. इस लोन में 2020 के मुकाबले 2021 में 2.9 फीसद की गिरावट देखी गई.नवंबर 2019 में 66,564 करोड़ रुपए का एजुकेशन लोन था. नवम्बर 2020 में यह घटकर 65,349 करोड़ रुपए रह गया. नवंबर 2021 के दौरान लोन की राशि 63,452 करोड़ रुपए रह गया.
एजुकेशन लोन डिफॉल्ट के बाद कर्जदार और उनके गारंटर को भविष्य में लोन और क्रेडिट कार्ड नहीं मिलते. उनके CIBIL स्कोर में एक बार जो गिरावट आती है तो आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में लोन निपटान का उल्लेख हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा. एक रिपोर्ट के अनुसार 20 से 30 साल वाले ग्राहकों का सिबिल स्कोर सबसे खराब मिला. यानी करियर का पहला कदम खराब क्रेडिट रिपोर्ट के साथ रखते हैं.
Optima Money Managers के फाउंडर पंकज मठपाल कहते हैं कि करियर को संवारने के लिए लिया गया एजुकेशन लोन फाइनेंशियल जिंदगी को गहरी चोट पहुंचा सकता है. एजुकेशन लोन लेने से पहले कॉलेज, कोर्स और उसका प्लेसमेंट रिकॉर्ड के बारे में जांच पड़ताल जरूर कर लें.
मनी 9 की सलाह
अगर लोन लेकर आप चुका नहीं पा रहे हैं तो बैंक से साफ–साफ बात करें. उसे अपनी माली हालत के बारे में बताएं. फोन नंबर या पता बदलकर छिपने के बजाए बैंक से राय–मशविरा करने के लिए मोहलत मांगें और लोन को चुकाने के लिए पैसों का इंतजाम करें. अगर छात्र डिफॉल्ट की कगार पर है तो लोन का पुनर्गठन कराएं. बैंक से संवाद करते रहें वरना कर्जदार और गारंटर दोनों का फाइनेंशियल रिकार्ड हमेशा के लिए बिगड़ जाएगा.