केवल एक तिहाई भारतीय ही अपने रिटायरमेंट के लिए नियमित रूप से बचत करते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायरमेंट के लिए बचत में कमी का एक कारण ये हो सकता है. ज्यादातर लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं कि रिटायरमेंट के बाद कितने पैसों की जरूरत होगी. लेकिन, अगर सही ढंग से रिटायरमेंट प्लान किया जाए तो साठ की उम्र के बाद भी ठाठ रहेंगे. इसलिए जितना जल्दी हो सके, उतनी जल्दी आपको रिटायरमेंट प्लानिंग कर लेनी चाहिए. रिटायरमेंट प्लानिंग में अगर चूक हो गई तो आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन, सवाल यही उठता है कि आखिर क्या किया जाए, जिससे नुकसान होने से बच जाएं?
Retirement Planning: किन गलतियों से बचें?
> रिटायरमेंट के लिए देर से प्लानिंग
> रिटायरमेंट प्लानिंग ठीक से ना करना
> रिटायरमेंट के साथ महंगाई पर ध्यान न देना
> बुढ़ापे के लिए हेल्थ इंश्योरेंस न लेना
> किसी भी तरह की इमरजेंसी के लिए तैयार न रहना
> गलत एसेट एलोकेशन
गलती नंबर-1 रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी
रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए. जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा. जल्दी शुरुआत करने से फाइनेंशियल बोझ भी कम होगा. जल्दी निवेश करने से ज्यादा रकम जमा कर सकेंगे. एक साथ सारा पैसा निवेश न करें. छोटी, मध्यम और लंबी अवधि के लिए प्लानिंग करना जरूरी है.
गलती नंबर-2 रिटायरमेंट प्लानिंग ठीक से ना करना
सिर्फ रिटायरमेंट प्लानिंग काफी नहीं होती है. प्लानिंग को ठीक ढंग से करना भी जरूरी है. सबसे पहले यह तय करें कि रिटायरमेंट के वक्त आपको कितना पैसा चाहिए. अपने निवेश को हर साल 10% बढ़ाने की कोशिश करें. अपने साथ अपने पार्टनर, दवाइयां, घूमने-फिरने और शौक के खर्च भी जोड़ें.
गलती नंबर-3 महंगाई का ध्यान नहीं रखना
रिटायरमेंट प्लानिंग करते वक्त महंगाई का ध्यान नहीं रखने से भी गलतियों की गुंजाइश होती है. महंगाई का ध्यान रखकर अपना लक्ष्य तय करना जरूरी है. 30 साल में अगर 1 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन 30 साल बाद 1 करोड़ रुपए 15 लाख रुपए के बराबर होंगे. ऐसे में 8 करोड़ रुपए के लिए प्लान करना ज्यादा सही होगा.
गलती नंबर-4 गलत एसेट एलोकेशन
ज्यादातर लोग रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए गलत एसेट एलोकेशन का चुनाव कर लेते हैं, जो सही नहीं है. पोर्टफोलियो में डेट फंड्स की भरमार रखते हैं, लेकिन रिटायरमेंट के लिए इक्विटी में निवेश भी जरूरी है. याद रखें ये निवेश 20 से 30 साल के लिए करना चाहिए. FD जैसे विकल्प को रिटायरमेंट के लिए ना चुनें. कम जोखिम-कम रिटर्न की रणनीति बिल्कुल भी न अपनाएं. शेयर्स, म्यूचुअल फंड से ज्यादा रिटर्न मिलता है. इसलिए अपने खर्च को ध्यान में रखते हुए वहां निवेश की प्लानिंग करें. समय पर इक्विटी से एक्जिट लेकर डेट की ओर शिफ्ट करने का भी फायदा ले सकते हैं. ये रिटायरमेंट से दो-तीन साल पहले कर लेना चाहिए. ताकि अचानक आई गिरावट से सालों से जमा रकम पर घाटा ना हो.
गलती नंबर-5 पोर्टफोलियो रिव्यू न करना
ज्यादातर लोग रिटायरमेंट के लिए निवेश करना शुरू कर दिया है. लेकिन, समय समय पर पोर्टफोलियो का रिव्यू भी करना जरूरी. रिटायरमेंट के लिए लंबी अवधि का निवेश करके छोड़ना नहीं चाहिए. हर तीन साल में रिव्यू करना जरूरी है. पोर्टफोलियो में समय के हिसाब से जरूरी बदलाव करते रहें.
गलती नंबर-6 गलत इंश्योरेंस ले लेना
कुछ लोग इंश्योरेंस लेने में देरी करते हैं और उसमें भी कुछ गलत इंश्योरेंस का चुनाव करते हैं. इनमें से भी कुछ लोग कंपनी के हेल्थ इंश्योरेंस के भरोसे रहते हैं. इंश्योरेंस लेने में जितनी देरी करेंगे, खर्च उतना ज्यादा होगा. कम उम्र में ही हेल्थ इंश्योरेंस लेना फायदेमंद है. कम उम्र में प्रीमियम भी कम देना होगा. जल्दी लेने से वेटिंग पीरियड भी जल्दी कवर हो जाएगा. कम उम्र में टर्म इंश्योरेंस लेना जरूरी है.
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कहां करना चाहिए निवेश?
> म्यूचुअल फंड में निवेश
> नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
> पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
> ULIP