NPS vs PPF: रिटायरमेंट प्लानिंग के इन दो विकल्पों में क्या है फर्क

NPS vs PPF: रिटायरमेंट निवेश में अक्सर लॉक-इन रहता है ताकि निवेशक किसी छोटी जरूरत के लिए इसे न निकालें. और इसके एवज में मिलती है टैक्स रियायत

Your retirement life can be a lot of fun if you have already done this planning

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

NPS vs PPF: रिटायरमेंट की प्लानिंग पहली सैलरी से ही शुरू कर दी तो करियर के आखिरी पड़ाव में खर्च से हाथ नहीं समेटने पड़ेंगे, ना ही 60 के बाद के खर्चों की आपूर्ति के लिए चिंता रहेगी. यही वजह है कि फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स रिटायरमेंट के लिए खास डिजाइन किए निवेश विकल्पों को चुनने की सलाह देते हैं. इसमें सबसे ऊपर आते हैं PPF और NPS. PPF यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड और NPS यानी नेशनल पेंशन स्कीम.

दोनों निवेश सुखद रिटायरमेंट के लिए प्लान किए गए हैं. लेकिन दोनों में काफी फर्क है. NPS तुलनात्मक रूप से नया है तो इसके फीचर्स भी PPF से काफी अलग और विस्तृत हैं.

रिटायरमेंट निवेश में अक्सर लॉक-इन रहता है ताकि निवेशक किसी छोटी जरूरत के लिए इस पैसे पर ताक ना जमाए. और इस लॉक-इन के एवज में मिलती है टैक्स रियायत. इस टैक्स बचत के ही खातिर कई लोग रिटायरमेंट की प्लानिंग पर गौर करते हैं. बुजुर्ग होने पर किसी सोशल सिक्योरिटी के अभाव में उन्हें कुछ पेंशन की सुविधा इन स्कीमों के जरिए हो जाती है.

इन दोनों स्कीमों में क्या फर्क है, कितना रिटर्न मिलता है और कब पैसे निकाल सकते हैं, यहां जानें.

NPS vs PPF: दोनों स्कीमों का निवेश अलग

PPF पूरी तरह से एक डेट निवेश विकल्प है जबकि NPS बाजार से जुड़ा निवेश विकल्प है. NPS में ऑटो चॉइस और एक्टिव चॉइस का विकल्प रहता है. ऑटो चाइस में निवेशक की उम्र के मुताबिक इक्विटी और डेट के बीच एलोकेशन किया जाता है. बढ़ती उम्र के साथ रकम डेट की ओर ज्यादा निवेश होती है और इक्विटी में कम क्योंकि इक्विटी में जोखिम डेट के मुकाबले ज्यादा है.

NPS के एक्टिव चॉइस में खुद निवेशक तय करता है कि उसका इन दोनों एसेट क्लास में कितना-कितना हिस्सा पैसा निवेश होगा.

रिटर्न का फर्क

PPF पर केंद्र सरकार की ओर से ब्याज दरों की समीक्षा होती है . फिलहाल PPF पर 7.1 फीसदी का ब्याज दर मिल रहा है. वहीं NPS में निवेश का तरीका अलग होने से रिटर्न भी अलग होता है. अक्सर NPS में रिटर्न PPF से ज्यादा मिलता है. NPS में 75 फीसदी तक का निवेश इक्विटी में किया जा सकता है.

NPS में इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड, डेट जैसी स्कीमों में निवेश का विकल्प रहता है.

लॉक-इन की अवधि

PPF में 15 साल का लॉक-इन होता है जबकि NPS में रिटायरमेंट पर 60 फीसदी पैसे निकाल सकते है और 40 फीसदी रकम का एन्युटी प्लान खरीदना होता है. इस एन्युटी प्लान के जरिए पेंशन मिलती है.

PPF खाते को 15 साल के बाद 5 साल और आगे बढ़ा सकते हैं. वहीं NPS खाता 70 साल की उम्र तक एक्टिव रखा जा सकता है. NPS में 65 साल की उम्र तक आप खाता खुलवा सकते हैं.

NPS vs PPF: न्यूनतम निवेश

PPF में न्यूनत निवेश 500 रुपये है जबकि अधिकतम 1.5 लाख रुपये सालाना निवेश किया जा सकता है. इसके सापेक्ष NPS में सालाना कम से कम 6,000 रुपये निवेश करना पड़ता है.

NPS vs PPF: टैक्स बचत

NPS और PPF दोनों में निवेश सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली डेढ़ लाख रुपये तक की छूट में शामिल हैं. इसके अलावा मैच्योरिटी पर भी मिली रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता. हालांकि, NPS में 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट भी क्लेम की जा सकती है. सेक्शन 80CCD(1B) के तबत इस डेढ़ लाख रुपये के अतिरिक्त 50,000 रुपये का टैक्स डिडक्शन लिया जा सकता है.

NPS से मिलने वाला 60 फीसदी कॉर्पस टैक्स-फ्री होगा लेकिन हर महीने एन्युटी से मिलने वाली रकम को इनकम में जोड़ा जाएगा.

Published - May 13, 2021, 04:52 IST