PFRDA ने अहम फैसला लेते हुए NPS में जमा 5 लाख रुपये की तक की पूरी रकम निकालने की आजादी दे दी है. अभी आप इस फंड से केवल 60% हिस्सा ही निकाल सकते हैं. बकाया 40% हिस्सा एन्युइटी में लगाना होता है जिस पर महज 5% ब्याज मिल रहा है और ऐसे में सरकार को पूरा फंड निकालने की सुविधा सभी को देने पर सोचना चाहिए. मौजूदा वक्त में कई ऐसी गारंटीड योजनाएं हैं जहां 7% से ऊपर ब्याज मिल रहा है. ऐसे में कम ब्याज पर लोगों को साथ जोड़े रखना उचित नहीं है. लोगों को रिटायरमेंट के बाद अपनी मर्जी से पैसे लगाने की आजादी दी जानी चाहिए.
पेंशन प्लान में 60 साल की उम्र तक पैसे जमा करना होता है. जमा रकम का केवल 60% हिस्सा ही 60 साल की उम्र में निकाला जा सकता है बाकी 40% से एन्युइटी प्लान खरीदना जरूरी है. ये नियम निवेशकों को इससे दूर ले जाता है. लंबे वक्त तक लॉक–इन का पालन करने के बाद भी जमा रकम का केवल 60% हिस्सा ही हाथ आता है.
दूसरा मसला, इस 40% रकम पर मिलने वाले ब्याज से जुड़ा हुआ है. NPS के एन्युइटी प्लान में अभी करीब 5% ब्याज मिलता है. जबकि कई योजनाओं में इससे ज्यादा ब्याज दर मिल रही है. ऐसे में लोगों को इस प्लान से जबरदस्ती रोके रखना एक सही नीति नहीं मानी जा सकती है.
मई 2021 तक देश में कुल 1.45 करोड़ नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) सबस्क्राइबर थे. इसमें 18-40 की उम्र वाले लोगों का हिस्सा है 83% है. मौजूदा सबस्क्राइबर्स में 27 % सबस्क्राइबर 18- 25 साल के हैं. ये आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि भारत के युवा और मध्य उम्र वाले रिटायरमेंट के लिए बचत कर रहे हैं. लेकिन, क्या इनके लिए रिटायरमेंट के निवेश को और आकर्षक नहीं बनाया जा सकता?
सैलरीड लोग जब रिटायरमेंट के बारे में सोचते थे तो पेंशन,ग्रैच्युटी और प्रॉविडेंट फंड के आगे बात नही नहीं बढ़ती थी. लेकिन, 2004 में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) की शुरुआत ने रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए नए निवेश का रास्ता खोला. पेंशन फंड में निवेश के जरिए सरकार की ब्याज की जगह कैपिटल मार्केट लिंक्ड ब्याज कमाने का मौका मिला. 2004 में ये केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए थी. 2009 में इसे सभी क्षेत्र में काम करने वालों के लिए खोल दिया गया.
इनकम टैक्स में NPS पर सेक्शन 80 CCD (1B) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है. लेकिन ये तभी मिलेगी जब 80C के तहत सारे डिडक्शन के बाद कोई गुंजाइश न हो. अगर इस अतिरिक्त छूट को 1 लाख रुपये पर ले जाया जाए तो सरकार एक तीर से दो निशाने साध लेगी. लोग रिटायरमेंट के लिए ज्यादा बचत भी करें और टैक्स भी बचाएंगे. हालांकि, टैक्स बचत किसी निवेश का आधार नहीं होना चाहिए, लेकिन अगर सरकार अपनी बूढ़ी होती आबादी को राष्ट्रीय रिटायरमेंट स्कीम नहीं दे सकती तो कम स कम टैक्स छूट दे.