घर खरीदने से पहले क्यों जरूरी है कानूनी राय?

जब हम घर खरीदते हैं तो उमसें मेहनत से संजोई बचत का उपयोग करते हैं.

घर खरीदने से पहले क्यों जरूरी है कानूनी राय?

गुरुग्राम की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले गगन ने ऑफिस के पास ही फ्लैट खरीद का सौदा किया. एग्रीमेंट होने पर बयाने में 10 फीसद रकम का भुगतान भी कर दिया. लेकिन जब बाकी भुगतान के लिए बैंक से लोन के लिए आवेदन किया. तो पता चला लोन नहीं मिलेगा. क्योंकि संपत्ति विवादित थी.

दरअसल गगन ने सिर्फ प्रॉपर्टी डीलर पर भरोसा करके डील की थी. डीलर ने ही उसका एग्रीमेंट टू सेल यानी संपत्ति खरीद समझौता तैयार कराया था. लेकिन डीलर पर किया भरोसा ही गगन के लिए समस्या बन गया.

प्रॉपर्टी खरीदने के समय ज्यादातर लोग यही गलती करते हैं. डीलर जो कहता है उसे मान लेते हैं और उसी से एग्रीमेंट भी बनवा लेते हैं. ग्राहक के भरोसे का गलत फायदा उठाकर कई बार डीलर ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में विवादित संपत्ति का सौदा करवा देते हैं. जो आगे चलकर संपत्ति खरीदार के लिए मुसीबत बन जाता है.

एग्रीमेंट के लिए कई बार डीलर किसी पुराने मसौदे में ही काट-छांट करके कागजी कार्रवाई पूरी करा देते हैं. इस वजह से कई बार किसी और एग्रीमेंट की शर्तें खरीदार के एग्रीमेंट में जुड़ जाती है. इस वजह से भी संपत्ति खरीदार को परेशानी उठानी पड़ती है.

खरीदी गई प्रॉपर्टी से भविष्य में कोई परेशानी न हो. इसलिए जरूरी है. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले किसी पेशेवर और सक्षम प्रॉपर्टी वकील की सलाह लें. वकील ही आपको प्रॉपर्टी की कानूनी स्थिति और एग्रीमेंट टू सेल के विभिन्न पहलुओं को समझाने में मदद कर सकता है. इसके लिए आपको कुछ खर्च जरूर करना पड़ेगा. लेकिन भविष्य के जोखिमों से बचने के लिए इसमें कंजूसी करना उचित नहीं है.

जब हम घर खरीदते हैं तो उमसें मेहनत से संजोई बचत का उपयोग करते हैं. होमलोन लिया है तो ईएमआई के रूप में भविष्य की बचत का बड़ा हिस्सा भी लगाना पड़ता है. इस तरह यह अधिकांश लोगों के लिए यह आजीवन निवेश होता है. संपत्ति लेनदेन से जुड़े कानून बहुत ही जटिल है. कई मामलों में तो जानकार लोग भी गच्चा खा जाते हैं.

हालांकि संपत्ति के लिए अगर आप बैंक से लोन लेते हैं तो आपकी उलझन कुछ कम जरूर हो जाती है. कर्ज देने से पहले बैंक प्रॉपर्टी की वैधानिक जांच कराते हैं. बैंक सुनिश्चित करता है कि विक्रेता के पास ही संपत्ति के कानूनी अधिकार हैं और संपत्ति पर कोई कर्ज नहीं चल रहा. लेकिन बैंक भी उसी हद तक काम करता है जहां तक उसका हित जुड़ा है. अगर बैंक का हित संपत्ति खरीदार के हित से नहीं जुड़ा है. तो बैंक परवाह नहीं करता. ऐसे में जरूरी है कि प्रॉपर्टी से जुड़े सभी पहुलओं पर निजी तौर पर कानूनी राय लें. इसके जरिए आप भविष्य में बड़े खर्च और मानसिक पीड़ा से बच सकते हैं.

कानूनी सलाह आखिर क्यों है जरूरी?

टैक्स एवं इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि किसी जटिल बीमारी की स्थिति में डाक्टर की राय पर विश्वास करने के लिए आप ‘सेकेंड ओपनियन’ भी लेते हैं. यह पहल भविष्य में किसी भी परेशानी और गलत उपचार की आशंका से बचने के लिए की जाती है. यही नियम प्रॉपर्टी खरीद से भी जुड़ा है. आप कर्ज देने वाले संस्थान के वकील की क्षमताओं के बारे में नहीं जानते. ऐसे में किसी दूसरे वकील से कानूनी सलाह लेना जरूरी हो जाता है.

मनी9 की सलाह

मेहनत से कमाई पूंजी और उस पूंजी से खरीदी प्रॉपर्टी भविष्य में आपके लिए परेशानी पैदा न करे, इसके लिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले पेशेवर कानूनी सलाहकार से सभी पहलुओं पर राय जरूर लें, भले ही फीस क्यों न चुकानी पड़े

Published - September 11, 2023, 07:20 IST