Housing Sales: महमारी ने लोगों के घर को ही दफ्तर बना दिया. घरों में ही अब बच्चों की स्कूली पढ़ाई हो रही है तो यहीं आपका एंटरटेनमेंट और मन बहलाने के लिए भी पर्सनल कॉर्नर की जरूरत बनी है. जब दुनिया आपके घर में ही महीनों तक सिमट गई है तो ऐसे में अपना घर होना और जरूरत के मुताबिक बड़ा घर होना समय की मांग है. यही वजह है कि रियल एस्टेट सेक्टर में रिवाइवल के संकेत दिखे हैं. नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में कुल खरीदारों में 85 फीसदी लोग ऐसे रहे हैं जिन्होंने अपना पहला घर खरीदा है.
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक NCR में जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक बिके 21,750 घरों में से 85 फीसदी खरीदार ऐसे थे जिन्हें अपना पहला आशियाना मिला है.
वहीं इन 9 महीनों में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) में 47,140 घरों की बिक्री हुई है.
कुल बिक्री में से सिर्फ 10 फीसदी ही निवेशकों ने खरीदे हैं बल्कि 90 फीसदी ने इन यूनिट्स के इस्तेमाल के लिए खरीदारी की है.
MMR में 65 फीसदी घर खरीदारों ने अपना फ्लैट 1BHK से अपग्रेड करके 2 या 3 BHK किया है. वहीं, NCR में सिर्फ 15 फीसदी घर खरीदारों ने घर अपग्रेड किया है. इसके पीछे दोनों इलाकों में घरों के औसत साइज का फर्क वजह हो सकता है.
MMR में जहां एक घर का औसत वर्ग क्षेत्र 950 स्क्वेयर फीट है, वहीं NCR में ये 1,250 स्क्वेयर फीट. यानी MMR में घर NCR के मुकाबले 24 फीसदी छोटे हैं.
महामारी से पनपे नए नॉर्मल जैसे ई-स्कूलिंग की वजह से लोगों ने बड़े घरों में दिलचस्पी दिखाई है.
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि कोविड के दौर से पहले MMR में लोग अपने वर्कप्लेस के नजदीक रहना चाहते थे और इन इलाकों में महंगे घर होने की वजह से वे छोटे घर भी चुन लेते थे. लेकिन कोविड के बाद, अब WFH और हाइब्रिड वर्क का दौर शुरू हुआ है जिससे बाहरी इलाकों के घर भी इंफ्रा अपग्रेड के बाद आकर्षक हो गए हैं. कई घर खरीदार सेंट्रल इलाकों से नॉन-सेंट्रल इलाकों में शिफ्ट हुए हैं.”
रिपोर्ट के मुताबिक MMR में कीमतों के बॉटम-आउट होने, स्टैंप ड्यूटी में कटौती, कम ब्याज दरों पर होम लोन की वजह से भी लोगों ने घर अपग्रेड किए हैं. वहीं, अफोर्डेबिलिटी के लिहाज से बेस्ट समय होने की वजह से NCR में ज्यादा लोगों ने अपना पहला घर खरीदा है.
NCR में अफोर्डेबल और मिड-सेगमेंट हाउसिग में, 30 फीसदी घर खरीदारों ने रेडी-टू-मूव घरों को चुना है जबकि 60 फीसदी लोगों ने ऐसी प्रॉपर्टी चुनी हैं जो 2 साल से कम में पूरे होने वाल हैं.
बस 10 फीसदी ही ऐसे लोग रहे जिन्होंने कंस्ट्रक्शन में 2 साल से ज्यादा समय लगने वाले प्रोजेक्ट में खरीदारी की है. दरअसल, इन दोनों कैटेगरी में रेडी-टू-मूव घरों की संख्या सीमित होने की वजह से लंबे इंतजार वाले घर बुक कराने पड़े हैं.