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नया प्लॉट या घर खरीदने के लिए सबसे पहले हमें रजिस्ट्री करवाने की जरूरत पड़ती है. रजिस्ट्री करवाने के बाद ही खरीदी हुई प्रॉपर्टी पर हमारा अधिकार होता है. तो आइए जानते हैं प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के बारे में सारी डिटेल.
इस तरह करें रजिस्ट्रेशन
किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने के बाद सबसे पहले तो आपको एग्रीमेंट के मुताबिक विक्रेता को पूरा पेमेंट करना होगा तभी वो सेलडीड पर दस्तखत करेगा. दूसरा, आपको ये चेक करना होगा कि प्रॉपर्टी पर किसी भी प्रकार का कोई बकाया नहीं होना चाहिए. यानी कोई लोन, प्रॉपर्टी टैक्स या सोसाइटी की कोई बाकी रकम.
रजिस्टर डीड से ही प्रॉपर्टी लीगली ट्रांसफर होती है. पावर ऑफ एटर्नी से नहीं हो सकती. जब तक आप कोई सेल डीड या गिफ्ट डीड को रजिस्टर नहीं कराते हैं और स्टैंप ड्यूटी नहीं भरते हैं तब तक वो लीगली रजिस्टर्ड नहीं मानी जाएगी.
स्टैंप ड्यूटी गणना की प्रॉपर्टी की एक्चुअल वैल्यू या सर्किल रेट दोनों में से जो ज्यादा है उसके ऊपर की जाती है. यानी अगर प्रॉपर्टी की वैल्यू 25 लाख रुपये है और सर्किल रेट 30 लाख रुपये है तो स्टैंप ड्यूटी 30 लाख रुपये पर भरनी पड़ेगी.
अब जो सर्किल रेट है वो अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग तरीके से जाना जाता है. ये रेट राज्यों के मुताबिक, करीब 3% से 10% के है. उसके बाद रजिस्ट्रेशन फी प्रॉपर्टी की कीमत की 1% भरनी पड़ती है.
अब स्टैंप ड्यूटी की कीमत जितना आपको ऑथराइज्ड वेंडर से स्टैंप पेपर लेना पड़ेगा. मान लीजिए 1 लाख रुपये स्टैंप ड्यूटी है और स्टैंप पेपर 25 हजार रुपये के हैं तो ऐसे चार स्टैंप पेपर खरीदने पड़ते हैं. स्टैंप पेपर पे पूरी सेल डीड लिखी होती है.
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का दूसरा तरीका है फ्रेंकिंग मेथड. आप बैंक में जाकर स्टैंप पेपर की फ्रेंकिंग करवा सकते हैं. आप प्लेन पेपर पे सेल डीड प्रिंट करवा कर बैंक में जाएंगे और वहां फ्रैंकिंग मशीन से सेल डीड की फ्रेंकिंग होगी.
इसके बाद आप कैश, डीडी या ऑनलाइन स्टैंप ड्यूटी भर सकते हैं. इसके अलावा आप ई-स्टैंप पेपर से भी स्टैंप ड्यूटी भर सकते हैं.
अब अपने एरिया की सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर सेल डीड को रजिस्टर करवा लें. रजिस्ट्रेशन के समय बायर, सेलर और साक्ष्य को डॉक्युमेंट्स के साथ हाजिर रहेना जरूरी है.
रजिस्ट्रेशन के बाद तुरंत नहीं होती आपके नाम प्रॉपर्टी
एक बार प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन हो जाय इसके बाद भी प्रॉपर्टी आपके नाम नहीं होती जब तक उसका म्यूटेशन न हो. यानी नाम ट्रांसफर. जिसको दाखिल-खारिज भी कहा जाता है. मान लीजिए आपने कोई कृषि की जमीन खरीदी और उसका रजिस्ट्रेशन भी हो गया लेकिन रेवन्यू रेकॉर्ड में अभी जमीन उसी के नाम है तो आपको सरकारी दफ्तर जाकर जमीन दाखिल-खारिज करवानी होगी.