प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो स्टांप ड्यूटी के बारे में जानना है बेहद जरूरी

Stamp Duty: स्टांप ड्यूटी की गणना सर्किल रेट या प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू, जो भी ज्यादा हो, उससे की जाती है

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लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए

लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए

Stamp Duty: जब भी प्रॉपर्टी का लेनदेन होता है, तो एक तरह का टैक्स सरकार को दिया जाता है. इस टैक्स को स्टांप ड्यूटी (Stamp Duty) कहते हैं.

इसे रिहायशी, कमर्शियल लेनदेन के अलावा फ्रीहोल्ड और लीजहोल्ड संपत्तियों पर भी वसूला जाता है.

हर राज्य में स्टांप ड्यूटी की दर अलग-अलग होती है. वर्ष 1899 में भारतीय स्टाम्प अधिनियम के पास होने के बाद स्टांप ड्यूटी अस्तित्व में आई है.

स्टांप ड्यूटी रेट:

देश के विभिन्न राज्यों में स्टांप ड्यूटी का रेट अलग है, जो करीब 4 से 10 प्रतिशत के बीच है. दूसरी ओर सभी राज्यों में रजिस्ट्रेशन फीस 1 प्रतिशत है.

स्टांप ड्यूटी की गणना सर्किल रेट या प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू, जो भी ज्यादा हो, उससे की जाती है. उदाहरण के तौर पर अगर प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू 50 लाख है और सर्किल रेट 40 लाख है, तो स्टैंप ड्यूटी की गणना ज्यादा वैल्यू यानी 50 लाख से की जाएगी.

स्टांप ड्यूटी न चुकाने पर पेनाल्टी:

स्टांप ड्यूटी चोरी की सजा और पेनाल्टी हर राज्य में अलग-अलग है. जिसमें न्यूनतम जुर्माना सीमा और कुछ समय की जेल शामिल है.

महिलाओं को छूट:

अगर प्रॉपर्टी का मालिक कोई महिला है, तो स्टैंप ड्यूटी के शुल्‍क कम हो जाते हैं. कई राज्यों में महिलाओं के नाम से प्रॉपर्टी के कागजात हैं, तो फीस 2 प्रतिशत तक कम हो जाती है.

फ्लैट खरीदने पर ड्यूटी

अगर आपने कोई फ्लैट खरीदा है, तो स्टांप ड्यूटी चार्ज इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका प्रॉपर्टी में निजी शेयर कितना है.

उदाहरण के तौर पर अगर कोई प्रोजेक्ट 1 लाख स्‍क्‍वायर फुट जमीन पर बना है और उसी साइज के अपार्टमेंट 10 लोगों को बेचे गए हैं, तो हर एक को 10,000 स्‍क्‍वायर फुट के लिए स्टांप ड्यूटी देनी होगी.

कानूनी वैद्यता

अगर आप किसी विवाद में फंसते हैं, तो स्टांप ड्यूटी के कागजात कानूनी सबूत बन जाते हैं कि आप ही प्रॉपर्टी के मालिक हैं.

अगर आपने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और आप भविष्य में प्रॉपर्टी बेचने पर विचार करते हैं, तो इसमें मुश्किलें आ सकती हैं.

कैसे चुकाई जाती है स्टांप ड्यूटी:

स्टांप ड्यूटी चुकाने के तीन तरीके हैं-गैर-न्यायिक स्टैंप पेपर, फ्रैंकिंग विधि या ई-स्टैंपिंग.

गैर न्यायिक स्टैंप पेपर विधि में अग्रीमेंट की जानकारी कागजों में लिखी होती है और इस पर दस्तखत किए जाते हैं. चार महीने बाद इसे सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है.

फ्रैंकिंग विधि में एक प्लेन पेपर पर अग्रीमेंट प्रिंट किया जाता है. फिर इसे बैंक में जमा कराया जाता है, जो फ्रैंकिंग मशीन के जरिए दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करता है.

कुछ राज्यों में आप स्टैंप ड्यूटी की राशि का आरटीजीएस/एनईएफटी के जरिेए भुगतान करते हैं.

 होम लोन लिया है तो भी ड्यूटी चुकानी होगी

अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लिया है तो भी आपको स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी.

आपको बैंक के पास अपने प्रॉपर्टी के कागजात जमा कराने के अलावा एक अंडरटेकिंग भी देनी होगी, जिसमें लिखा होगा कि लोन लेने के लिए आप अपनी मर्जी से कागजात जमा करा रहे हैं.

Published - May 28, 2021, 07:28 IST