कोरोना के कहर शॉपिंग मॉल (Shopping Mall) के राजस्व पर तगड़ा असर पड़ा है. रियल एस्टेट डेवलपर्स और सलाहकारों के मुताबिक, पिछले साल मार्च में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद से खुदरा क्षेत्र में पिछले वित्त वर्ष के दौरान शॉपिंग मॉल (Shopping Mall) के राजस्व में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आई है. शॉपिंग सेंटर्स में औसत मासिक किराये में आठ शहरों में 4-5 प्रतिशत की कमी आई है, हालांकि कई मॉलों में 25 प्रतिशत तक बेहतर किराया देखा गया है.
अधिकांश मॉल मालिक, जो आम तौर पर खुदरा विक्रेताओं के साथ अपने शॉपिंग मॉल में जगह को पट्टे पर देते हैं, उन्होंने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से अप्रैल-जून 2020 में पूरी तरह से किराया माफ कर दिया. वहीं, मॉल के प्रमोटरों ने पिछले वित्त वर्ष के बचे हुए नौ महीनों के दौरान भारी छूट दी. जिसके चलते उनकी आय में भारी सेंध लगी. लगभग छह महीने के लंबे लॉकडाउन ने खुदरा सेक्टर पर कहर बरपाया.
पैसेफिक ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अभिषेक बंसल ने वित्त वर्ष 2021 में प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पूरे वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व में गिरावट लगभग 50 प्रतिशत रही है और दूसरी लहर के साथ फिर से वही होगा. COVID-19 महामारी के कारण, कई मॉलों में औसत मासिक किराए में 25 प्रतिशत तक की गिरावट आई, अभिषेक बंसल ने कहा कि अधिकारियों और बैंकों को इस संकट के दौरान खुदरा विक्रेताओं और मॉल मालिकों की सहायता करनी चाहिए.
यूनिटी ग्रुप के निदेशक हर्ष बंसल के राष्ट्रीय राजधानी में कई मॉल हैं. जब उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारी प्रभाव पड़ा और कुल किराये की आय सामान्य वर्ष की लगभग 40-50 प्रतिशत थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि ताजा पट्टे के लिए किराया कम नहीं हुआ है. कंपनी सीमित अवधि के लिए कुछ छूट दे रही है.
जेएलएल इंडिया के एमडी (रिटेल सर्विसेज) शुभ्रांशु पाणि ने कहा कि शॉपिंग सेंटर पर किराये का असर कई गुना ज्यादा है. मॉल मालिकों के लिए, उन्होंने कहा कि मार्च 2020 से मार्च 2021 की अवधि के दौरान मुख्य रूप से किराए के नुकसान और परिचालन लागत के कारण कोविड का प्रभाव लगभग 50 प्रतिशत था. मॉल मालिकों की कुल किराये की आय में मल्टीप्लेक्स का योगदान 15 प्रतिशत है और इसका लगभग सफाया हो गया है.