बड़े शहरों में खुद का घर लेने के साथ-साथ अब किराए का घर लेना भी महंगा हो गया है. 2019 से मुख्य शहरों के अंदर शीर्ष माइक्रो-मार्केट्स में अब तक घरों का किराया 25-30 फीसद तक बढ़ा है. Housing.com की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के पूर्व-पैंडेमिक स्तर की तुलना में शीर्ष शहरों में संपत्ति कीमतें 15-20 फीसद की वृद्धि हुई है जबकि मकानमालिकों की तरफ से मांगे जाने वाले रेंट में औसतन 25-30 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.
इस अवधि के दौरान सेवा क्षेत्र के प्रमुख शहरों में कुछ प्रमुख इलाकों में किराए में 30 फीसद से अधिक की भी वृद्धि हुई है.
प्रमुख शहरों बढ़ी कीमतें
Housing.com के समूह के CEO ध्रुव अग्रवाल के मुताबिक कोरोना के बाद घरों की मांग तेजी से बढ़ी है. नौकरियों पर लौटने की वजह से घर खरीदने और किराए पर दोनों के लिए आवास मांग में वृद्धि देखी गई है. आवास बाजार ने पिछले दो वर्षों में मृदुलता को देखा है, लगभग दस सालों की स्थिरता के बाद पिछले दो सालों में घरों की कीमतों में ठीक-ठाक इजाफा हुआ है. हालांकि बड़े शहरों की कुछ प्रमुख जगहों पर इस दौरान तेजी से घरों की कीमतें में उछाल आया है.
क्या होता है प्राइस टू रेंट रेश्यो
Housing.com ने भी प्राइस टू रेंट रेश्यो की कैलकुलेशन की है ताकि भारत के प्रमुख आवास बाजार की किराए से मिलने वाले रिटर्न की तुलना मुख्य वैश्विक शहरों के साथ की जा सके. प्राइस टू रेंट रेश्यो औसत संपत्ति मूल्य को औसत वार्षिक किराया मूल्य से विभाजित करके निकाला जाता है. कम प्राइस टू रेंट रेश्यो का मतलब है संपत्ति मालिकों के लिए ज्यादा किराए या निवेश का लाभ.
क्यों बढ़ा किराया?
Housing.com के हेड ऑफ रिसर्च अंकिता सूद का कहना है कि उच्च ब्याज दरों और एक्विशिजन कॉस्ट की वजह से भारत में किराए से मिलने वाली रिटर्न हमेशा वैश्विक समकक्षों को पीछे छोड़ देते थे. हालांकि महामारी के बाद संपत्ति की कीमतों की वृद्धि, लोगों के घर खरीदने में असक्षमता और तैयार इन्वेंटरी की सीमित सप्लाई की वजह से किराए की कीमतों में उछाल आया है.
उन्होंने आगे कहा कि भविष्य को देखते हुए, अगले 2-3 वर्षों में ही नई तैयार सप्लाई बाजार में आने वाली है. कंपनी को उम्मीद है कि किराये की मांग में गति बनी रहेगी.