Property: जब भी आप कोई अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी (Property) में इंवेस्ट करते हैं, तो आपके लिए ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate) और कंप्लीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate ) के बारे में जानना जरूरी हो जाता है.
अगर आपने इन दो चीजों को ध्यान में नहीं रखा, तो फ्रॉड होने की संभावना बढ़ जाएगी. इस तरह की प्रॉपर्टीज को बेचना भी मुश्किल हो जाता है.
जब भी किसी बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन होता है, तो बिल्डर को लोकल अथॉरिटी के यहां अपना प्लान सबमिट कराना पड़ता है.
इनमें स्ट्रक्चरल प्लान, सर्विस प्लान, वॉटर सप्लाई, सिविल डिस्पोजेबल, इलेक्ट्रीकल सप्लाई, गैस सप्लाई, फायर या सेफ्टी प्लान्स शामिल होते हैं. इसके अलावा, इसमें डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान भी होता है.
अब अथॉरिटी उस प्लान को स्टडी करती है और बिल्डिंग परमिट के रूप में इस पर अपना अप्रूवल देती है. इसमें बिल्डर या डेवलपर को समय दिया जाता है.
इस समयसीमा के अंदर उसे काम पूरा करना होता है. जैसे 3-5 साल के अंदर. यदि इस समय के अंदर बिल्डर काम पूरा नहीं कर पाता है, तो वो इसे बढ़ा सकता है. इसके लिए Revalidation certificate issue किया जाता है.
जब प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो जाता है तो अथॉरिटी की ओर से कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. इसे जारी करने से पहले अथॉरिटी यह देखती है कि प्रोजेक्ट का निर्माण अप्रूवल प्लान के अनुसार हुआ है या नहीं.
यदि प्रोजेक्ट का निर्माण अप्रूवल प्लान के अनुसार नहीं हुआ है या जिसमें सुधार किया जा सकता है, तो अथॉरिटी provisional certificate भी जारी कर सकती है. यह 6 महीने के लिए जारी किया जाता है.
एक बार जब डेवलपर को कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल जाता है, तो फिर उसे अथॉरिटी से ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट लेना होता है.
इसके लिए बिल्डर को कुछ एडिशनल प्लान जमा कराने होते हैं, जैसे As built plans, फाइनल बिल्ट ड्राइंग, फायर डिपार्टमेंट, एयरपोर्ट अथॉरिटी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, इलेक्ट्रीकल डिपार्टमेंट से एनओसी लेनी होती है.
इसी तरह से यदि आप जिस जगह रह रहे हैं और वहां यदि ग्रीन बिल्डिंग नॉर्म्स लागू हैं, तो वो रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सोलर पैनल के नॉर्म्स के नियम का पालन करना होता है. इसके अलावा लेबर सेस रसीद, टैक्स पेड रसीद देनी होती है.
सारे दस्तावेज जमा करने के बाद अथॉरिटी फिजिकल इंस्पेक्शन करके यह देखती है कि सारे कंस्ट्रक्शन प्लान के अनुसार हुए हैं कि नहीं. सारे मानक पूरा होने के बाद होने पर डेवलपर को या फिर प्रॉपर्टी के ओनर को ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट दिया जाता है.