प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने में आ रही परेशानी? ये चार तरीके बहुत आएंगे काम

Property Transfer: सेल डीड, गिफ्ट डीड, रिलुन्कुश डीड और विल के माध्‍यम से आप प्रॉपर्टी ट्रांसफर (Property Transfer) कर सकते हैं.

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लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए

लॉन्ग कमिटमेंट करते समय जितना पॉसिबल हो उतनी फ्लेक्सिबिलिटी देखनी चाहिए. इसलिए लैंडर सिलेक्ट करते समय EMI ऑप्शन को समझदारी से चुनना चाहिए

Property Transfer: जीवन में सबसे अहम काम प्रॉपर्टी ट्रांसफर का होता है . ऐसा नहीं करना विवाद का कारण बनता है. प्रॉपर्टी ट्रांसफर के चार तरीके हैं. सेल डीड, गिफ्ट डीड, रिलुन्कुश डीड और विल के माध्‍यम से आप प्रॉपर्टी ट्रांसफर (Property Transfer) कर सकते हैं.

सेल डीड:

सबसे ज्यादा यही तरीका इस्तेमाल किया जाता है. इसे ट्रांसफर डीड या बिक्रीनामा भी कहा जाता है, जिसे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है. जिसके लिए स्टांप ड्यूटी देनी होती है, जो दिल्ली में तो 4 से 6 % है.

इसके बाद प्रॉपर्टी नए मालिक के नाम ट्रांसफर होती है. यहां ध्यान रखें कि जो प्रॉपर्टी को बेचता है और जो खरीदता है उसके अलावा दो विटनेस (साक्ष) होते हैं, जिनके साइन लिए जाते हैं. सेल डीड एग्रीमेंट में दोनो पार्टियों की तय की गई शर्तें होती हैं.

गिफ्ट डीड:

यह डॉक्यूमेंट आपको एसेट्स को गिफ्ट करने या ओनरशिप ट्रांसफर की इजाजत देता है. इसमें पैसे का कोई लेन-देन नहीं होता है.

अचल संपत्ति गिफ्ट करने के लिए आपको स्टांप पेपर पर डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट करना होता है. इसे दो गवाहों से अटेस्ट भी कराना होता है. उसके बाद इसे रजिस्टर कराना होता है.

गिफ्ट डीड रजिस्टर कराना रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के सेक्शन 17 के मुताबिक अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर ट्रांसफर इलीगल माना जाता है.

रिलुन्कुश डीड:

रिलुन्कुश डीड यानी त्यागनामा, नाम से ही पता चलता है कि आप अपने हिस्से को किसी के लिए त्याग देते हैं, लेकिन इस में भी कुछ शर्तें हैं.

अगर आप किसी संपत्ति में हिस्सेदार या को-ओनर (सह मालिक) हैं और अपने अधिकार छोड़ना चाहते हैं, तो त्यागनामा सबसे बेहतर विकल्प है.

गिफ्ट डीड की तरह इसमें भी बदलाव नहीं किया जा सकता, चाहे यह पैसों के लेन-देन के बिना हो. दो गवाहों से अटेस्ट कराने के बाद इसे रजिस्टर्ड कराना पड़ता है.

जहां तक स्टैंप ड्यूटी का संबंध है, आप इस ड्यूटी को भरने से बच सकते हैं, लेकिन 4 से 6 हजार फीस देकर प्रॉपर्टी किसी को दे सकते हैं.

विल:

जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी चल या अचल संपत्ति का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपता है, उसे विल कहते हैं.

वसीयत के तहत आप ये बात तय करते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपकी जो संपत्ति है, वो किस के हाथो में जाएगी. एक विल बनाने में दो गवाहों की जरूरत होती है और वो रजिस्टर्ड होना चाहिए.

इसकी एक कॉपी रजिस्ट्रार के पास और दूसरी आपके पास रहती है. विल बनाने में कोई स्टांप ड्यूटी नहीं लगती, सिर्फ 2 से 3 हजार रुपये में विल बनकर तैयार हो जाती है.

Published - June 16, 2021, 02:27 IST