महामारी के वक्त के अनुभव से लोग अपने निवेश और रिटायरमेंट प्लान पर पुनर्विचार करने को मजबूर हुए हैं. इन्वेस्टमेंट में एसेट क्लास के तौर पर प्रॉपर्टी (Property) लोगों के मन में अहम जगह लेता है. ये वो मार्केट है जो बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है.
2020 की शुरुआत में जब महामारी तूल पकड़ रही थी तब से अब तक प्रॉपर्टी (Property) ज्यादा किफायती हुई है. इसके पीछे 3 मुख्य वजह हैं.
साल 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस के दस्तक देने से पहले ही घरों की कीमतें घटी हुई थीं और महामारी की वजह से साल भर रही इकोनॉमिक सुस्ती से इनमें और गिरावट आई. दिल्ली और इसके आस पास जैसे कई इलाकों में प्रॉपर्टी (Property) के दाम 15-30 फीसदी तक गिरे हैं,
पिछले साल बैंकों ने भी हाउसिंग लोन पर ब्याज दरों में 100-200 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती की थी. 30 लाख रुपये तक के हाउसिंग लोन पर ब्याज दर अब 6.9 फीसदी तक है जबकि ऊंचे लोन पर ये 7.1 फीसदी है. ये महंगाई के लिहाज से ज्यादा नहीं क्योंकि आधिकारिक आकड़ों के मुताबिक महंगाई दर 3.75 फीसदी दर है जिससे रियल इंट्रस्ट रेट और कम हो जाता है.
वहीं दूसरी तरफ जिनके पास प्रॉपर्टी (Property) थी उन्होंने पिछले एक साल में अपनी प्रॉपर्टी की वैल्यू में 15-30 फीसदी तक की गिरावट देखी है. ये उन लाखों लोगों के लिए अच्छी खबर नहीं है जो अपने वेल्थ का बड़ा हिस्सा प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं और इसके आधार पर रिटायरमेंट प्लान करते हैं.
गेरा डेवलेपर्स (Gera Developers) के मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित गेरा का कहना है कि, “रियल एस्टेट खरीदने के लिए ये बिल्कुल सही समय है. अफोर्डेबिलिटी लेवल 7-10 साल की ऊंचाई पर है.”
उनके मुताबिक देश के अधिकतर हिस्सो में रिटल एस्टेट की कीमतें पिछले कुछ सालों से या तो गिरी हैं या फ्लैट रही हैं. इस दौरान लोगो की आय बढ़ी है. होम लोन पर ब्याज दर पहले की तुलना में काफी कम हैं.
कई जगहों पर चिंता में पड़े डेवलेपर्स डिस्काउंट और आसान पेमेंट विकल्प दे रहे हैं जिससे नई प्रॉपर्टी (Property) के लिए मार्केट और आकर्षक हो गया है.
प्रॉपर्टी बनाम गोल्ड
गोल्ड में लिक्विडिटी ज्यादा है यानि इमरजेंसी के वक्त इसे जल्द ही कैश में बदलवा सकते हैं. यही वजह है कि वेल्थ जमा करने के लिए भारतीय परिवार गोल्ड को बेहतरीन विकल्प मानते हैं. इसके अलावा, गोल्ड में निवेश 5 ग्राम तक की छोटी वैल्यू में किया जा सकता है पर प्रॉपर्टी में बड़ा निवेश करना पड़ता है.
लेकिन बैंक से फाइनेंस के मोर्चे पर रियल एस्टेट गोल्ड से आगे निकल जाते हैं क्योंकि हाउसिंग लोन में प्रॉपर्टी (Property) की 85 फीसदी तक की वैल्यू कवर हो जाती है जबकि गोल्ड के काफी कम फाइनेंसिंग विकल्प हैं. रियल एस्टेट में निवेश पर काफी इन्सेंटिव भी मिलते हैं.
गोल्ड और प्रॉपर्टी (Property) पर रिटर्न के मामले में अलग-अलग विचार हैं और ये हर साल अलग होते हैं.
टैक्स के मामले पर बेहतर कौन?
महाराष्ट्र सरकार ने स्टैंप ड्यूटी में 60 फीसदी की बड़ी कटौती की है जिससे रियल एस्टेट में खरीदारी में तेज बढ़ोतरी आई है.
नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) की दिसंबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कटौती से मुंबई में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी (Residential Property) का रजिस्ट्रेशन दोगुना बढ़कर 18,854 यूनिट हुआ.
दिल्ली में भी सर्कल रेट घटने से हलचल है. ऊंचे सर्कल रेट से ऐसा माहौल बन गया था जिससे मार्रेट में कीमत सर्कल रेट से काफी कम हो गया था. पर जो लोग प्रॉपर्टी बेच रहे थे उन्हें ज्यादा कैपिटल गेन टैक्स भरना पड़ता था. ये नए घर खरीदारों के लिए भी नुकसान की बात है.
सर्कल रेट में कटौती से दाम प्रॉपर्टी (Property) की असली कीमत के करीब पहुंचेंगे जिससे बिक्री पर लगने वाला कैपिटल गेन टैक्स कम होगा. लेकिन इस फैसले की काफी आलोचना हो रही है क्योंकि सर्कल रेट में कटौती से बेहद कम प्रॉपर्टी पर असर पड़ेगा जो दिल्ली की कैटेगरी ए (A) में आती हैं.