घऱ बनाते समय लोग अपने जीवन की बड़ी पूंजी लगा देते हैं लेकिन कई बार वह ऐसी गलती कर बैठते जिसका उन्हें जीवन भर खामियाजा भुगतना पड़ता है. ज्यादातर लोग बाहरी साज-सज्जा, इंटीरियर डिजाइन और डेकोरेशन जैसी चीजों पर जमकर खर्चा करते हैं. फिर चाहे उनका बजट ही क्यों न बिगड़ जाए. अक्सर लोग घर में इस्तेमाल होने वाले बिल्डिंग मैटेरियल की क्वालिटी जैसी चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं, जो घर को असल मजबूती देते हैं. घर बनाते समय किन बातों का रखें ख्याल जानें.
फाउंडेशन यानी नींव
फाउंडेशन यानी नींव घर को मजबूती देती है. प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है. नींव जितनी स्ट्रॉन्ग. घर उतना मजबूत. सबसे पहले मिट्टी की जांच करा नींव का ले-आउट तैयार कराना चाहिए. सिविल इंजीनियर की राय से ही नींव के लिए खुदाई होनी चाहिए. नींव कम से कम 5 फुट गहरी होनी चाहिए. यह मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है. कॉलम की संख्या का निर्धारण भी कर लेना चाहिए. पैसे बचाने के लिए सीमेंट, सरिया, रेत, गिट्टी और ईंट के इस्तेमाल में कोताही नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा, डीपीसी यानी डैम्प प्रूफ कोर्स कराना चाहिए. यह दीवारों की सीलन को काफी हद तक रोकता है.
दीवार
दीवारों का मुख्य काम स्ट्रक्चर के भार को नींव तक पहुंचाना. घर में रहने वालों को मौसम के बदलते तेवरों से बचाना है. दीवार की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें कितनी मजबूत ईंटें लगी हैं. सीमेंट और मौरंग या रेत के मसाले का अनुपात क्या रखा गया है. दीवारों में दरवाजे और खिड़कियां वहीं बनानी चाहिए, जहां जरूरत हो. खिड़कियों और दरवाजों के ऊपर लिन्टल डालना चाहिए. अच्छी तरह तराई करने से दीवारों की मजबूती बढ़ती है.
छत या फर्श
मौसम के हिसाब से छत या तो सपाट बनाई जाती है या ढलावदार. ढलावदार छतें उन इलाकों में ज्यादा बनाई जाती हैं, जहां भारी बारिश या बर्फ पड़ती है. छत और फर्श के मामले में इंजीनियर की राय लेना अच्छा रहेगा. वो आपको बताएगा कि सरिये का माप क्या होना चाहिए. उनके बीच फासला कितना रखा जाना चाहिए. कंक्रीट स्लैब की मोटाई कितनी होगी. आमतौर पर जितने सरिये की जरूरत होती है उससे ज्यादा लगा दिया जाता है. जिससे फर्श या छत का भार तो बढ़ता ही है. यह इंजीनियरी दृष्टिकोण से भी असुरक्षित है.
इंसान की तीन बुनियादी जरूरतें हैं. रोटी, कपड़ा और मकान. अगर मकान खुद का हो तो आदमी सुरक्षित महसूस करता है. ऐसे में जरूरी है कि मकान बनाते समय बेहतर प्लानिंग और एहतियात बरता जाए. इससे आप सस्ता, सुंदर और टिकाऊ घर बना पाएंगे.
इन बातों का ख्याल
– परिवार की जरूरतों के हिसाब से घर का नक्शा बनवाएं
– निर्माण संबंधी सलाह किसी जानकार व्यक्ति से ही लें
– अच्छी क्वालिटी का बिल्डिंग मटैरियल इस्तेमाल करें
– सीमेंट और निर्माण सामग्री के मिश्रण का ध्यान रखें
– कंस्ट्रक्शन के काम में शुद्ध पानी का प्रयोग करें
– निर्माण के बाद कम से कम 10 दिन तक तराई करें