घर खरीदने का मन बना रहे हैं तो कब है सही समय? किस समय मिलता है सबसे किफायती दाम और किस इलाके में घर मिलेगा आपके बजट में, इन सब सवालों का जवाब देना आसान बना सकता है NAREDCO, ISB और हाउसिंग डॉट कॉम (Housing.com) का लाॉन्च किया हाउसिंग प्राइसिंग इंडेक्स (HPI).
नेशनल रियल एस्टेट डेवलप्मेंट काउंसिल, Housing.com और इंडियन बिजनेस स्कूल ने एक साथ मिलकर सोमवार को हाउसिंग प्राइसिंग इंडेक्स को लॉन्च किया है. HPI घर खरीदारों को हर महीने देश के अलग-अलग शहरों में प्रॉपर्टी की बदलती कीमतों की जानकारी देगा. इंडेक्स के जरिए पता चलेगा कि कहां कितनी बिक्री हो रही है.
ना सिर्फ खरीदारों को बल्कि, ऐसे लोग जो अपनी पॉपर्टी बेचने की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए भी ये इंडेक्स सही कीमत पर बिक्री करने का समय दर्शाएगा. इंडेक्स के जरिए रियल एस्टेट मार्केट के ट्रेंड की जानकारी हासिल की जा सकेगी.
कीमतों को लेकर सही जानकारी मिलने से घर खरीदारी बेहतर फैसले ले पाएंगे, खास तौर पर तब जब रियल एस्टेट इंडस्ट्री में कोरोना महमारी की वजह से आई सुस्ती से अब रिकवरी दिख रही है. आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा का कहना है,”हमने देखा है कि 2021 की पहली तिमाही में सेक्टर में डिमांड बढ़ी है और सेक्टर में अब रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं.”
HPI के जरिए घर खरीदारों को भारत के 8 बड़े शहरों में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में बदलाव की जानकारी हासिल करना आसान हो जाएगा. इसे इंडियन बिजनेस स्कूल के शृनि राजू सेंटर फॉर IT एंड द नेटवर्क्ड इकोनॉमी (SRITNE) के जरिए बनाया गया है.
इस इंडेक्स में NCR, मुंबई, पुणे, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, बेंगलुरू शामिल हैं. इन सभी शहरों में प्रॉपर्टी का प्राइस ट्रेंड आप देख पाएंगे. साथ ही, 1BHk, 2BHk और 3BHK की कीमतों की ट्रेंड का फर्क भी देख पाएंगे.
साल 2017 से इलारा टेक्नोलॉजी का इंडेक्स इन शहरों को लेकर हर तिमाही आंकड़े जारी करता है. इसमें हर लोकैलिटी का वेटेज वहां होने वाले ट्रांजैक्शन के आधार पर तय किया गया है. इसमें हर स्क्वेयर फुट, कुल ट्रांजैक्शन रकम और कितने घर बिके ये जानकारी हर तिमाही जारी की जाती है.
इस HPI में जनवरी 2017 के मुताबिक 100 का बेस लिया गया है.
NAREDCO के नेशनल प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी के मुताबिक, “भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर के लिए हाल ही में स्ट्रक्चरल पॉलिसियों में हुए बदलाव के बाद अब रिबूट की जरूरत है. महामारी की स्थिति में सेक्टर की टेक्नोलॉजी पर निर्भरता बढ़ी है. डिजिटल एरा में तेजी से ग्रोथ हुई है.”
उनका कहना है, “रियल एस्टेट की डिमांड हमेशा से रही है, लेकिन कोरोनावायरस महामारी जैसे छोटी अवधि में अड़चने आई हैं. घर खरीदारों को पर्चेज पर जो खर्च आता है वो काफी बड़ा है. घर खरीदारों को कुल पर्चेज वैल्यू का 33 फीसदी बतौर सरकारी टैक्सों में ही देना पड़ जाता है.”