Real Estate: कोरोना महामारी ने परिवारों को बड़े घर की जरूरत का अहसास कराया और यही वजह है कि रेजिडेंशियल मार्केट में बिक्री में बढ़त देखने को मिली. होम लोन की ब्याज दरों में कमी से लेकर स्टैंप ड्यूटी और सर्कल रेट में रियायत जैसे फैसलों से इंडस्ट्री में रिवाइवल दिखा.
अब कोरोना की दूसरी लहर में कंस्ट्रक्शन की लागत बढ़ी है और अधिकतर राज्यों में प्रतिबंध भी लागू हैं. क्या ऐसे में इंडस्ट्री में किस तरह की डिमांड है और क्या अपने घर का सपना पूरा करने के लिए जेब से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा?
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, NCR में जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक बिके 21,750 घरों में से 85 फीसदी खरीदार ऐसे थे जिन्हें अपना पहला आशियाना मिला है. वहीं इन 9 महीनों में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) में 47,140 घरों की बिक्री हुई है.
हालांकि, स्टैंप ड्यूटी जैसी रियायतें खत्म होने से मुंबई में बिक्री पर असर पड़ा है. नाइट फ्रैंक ने हाल ही एक रिपोर्ट में कहा है कि मुंबई बीएमसी (BMC) इलाके में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन अप्रैल के मुकाबले मई में 47 फीसदी गिरा है. इस दौरान 5,360 घरों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है.
नेशनल रियल एस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) के नेशनल प्रेसिडेंट निरंजन हीरनंदानी मानते हैं कि अब लोग घर खरीदारी का फैसला लेने से पहले इंतजार करेंगे. उनकी ओर से खरीदारी में देरी हो सकती है.
हीरानंदानी कहते हैं, “महामारी में नए सेगमेंट उभरे हैं – किराये से नए घर में शिफ्ट होने वाले, ऐसे युवा जो पहला घर खरीद रहे हैं और ऐसे लोग जो अपग्रेड कर बड़े घर में शिफ्ट हो रहे हैं. इस सेगमेंट के लोग आखिरकार घर खरीदेंगे लेकिन इसमें दूसरी लहर की वजह से सुस्ती आ सकती है.”
इंडस्ट्री बॉडी ASSOCHAM के सेक्रेट्री जनरल, दीपक सूद के मुताबिक, कई शहरों में लॉकडाउन से कंस्ट्रक्शन का काम अटका है. उनका कहना है, “कोविड-19 की पहली लहर में रेजिडेंशियल रियल एस्टेट ऐसा सेक्टर था जिसमें बाउंस बैक देखने को मिला था. घर खरीदारों की ओर से डिमांड बढ़ी थी जिससे सेक्टर में कॉन्फिडेंस सुधरा था. लेकिन, दूसरी लहर से कई शहरों में कंस्ट्रक्शन लगभग थम सा गया है.”
हालांकि, CREDAI-NCR के प्रेसिडेंट पंकज बजाज को उम्मीद है कि मिड और प्रीमियम सेगमेंट में डिमांड बढ़ेगी. उनके मुताबिक, “महामारी के समय में हाउसिंग की डिमांड में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. यही रुझान भारत में भी है. लॉकडाउन में अच्छे घर की जरूरत सभी को महसूस हो रही है. हमारा अनुमान है कि हर सेगमेंट में अच्छी डिमांड देखने को मिलेगी, खास तौर पर मिड और प्रीमियम सेगमेंट में.”
रियल एस्टेट इंडस्ट्री को इस समय सीमेंट, स्टील, PVC पाइप जैसे कंस्ट्रक्शन के सामान की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है.
सूद कहते हैं, “कोविड के दौर में श्रमिकों के पलायन से मैनपावर में कमी आई है. साथ ही, ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में उछाल की वजह से जरूरी रॉ मेटिरियल 30 से 70 फीसदी महंगा हुआ है. ये कहना मुश्किल है कि पहली लहर के बाद दिखी डिमांड दोबारा रिस्टोर हो सकेगी. मेडिकल इमरजेंसी की वजह से भी घर खरीदारी के फैसलों पर असर पड़ा है.”
डेवलपर्स के संगठन CREDAI-NCR के प्रेसिडेंट पंकज बजाज के मुताबिक कीमतों में बढ़त देखने को मिल सकती है. उनका कहना है, “अधिक्तर सामान की लागत में 30 से 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हमारा अनुमान है कि डेवलपर्स को कम से कम 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी करनी होगी जिससे वे ब्रेक-ईवन तक पहुंच सकें.”
हालांकि, हीरानंदानी मानते हैं कि बिल्डर घरों की कीमतें अभी नहीं बढ़ाएंगे. उनके मुताबिक, “घर खरीदारों के सेंटीमेंट पर दूसरी लहर का असर हुआ है. इस परिस्थिति में रियल एस्टेट डेवलपर्स की ओर से कीमतों में बढ़ोतरी का आशंका नहीं है. इनपुट कॉस्ट बढ़ने से डेवलेपर के मार्जिन पर जरूर असर पड़ेगा जो पहले से ही काफी कम थी. आर्थिक सुस्ती और ढेर सारे रिफॉर्म की वजह से कोविड के पहले से कई सालों तक कीमतें स्थिर रही हैं. आज की स्थिति में डेवलेपर पर ही सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.”
ASSOCHAM के सेक्रेट्री जनरल के मुताबिक, “डिमांड सुधारने के लिए कीमतों में कटौती एक जरिया होती है लेकिन ऐसा होना फिलहाल मुश्किल लग रहा है. इसके उलट, बिल्डरों को कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं जिससे डिमांड पर असर पड़ेगा.”
एनारॉक की एक रिपोर्ट के मुताबिक NCR में अफोर्डेबल और मिड-सेगमेंट हाउसिग में, 30 फीसदी घर खरीदारों ने रेडी-टू-मूव घरों को चुना है जबकि 60 फीसदी लोगों ने ऐसी प्रॉपर्टी चुनी हैं जो 2 साल से कम में पूरे होने वाल हैं. बस 10 फीसदी ही ऐसे लोग रहे जिन्होंने कंस्ट्रक्शन में 2 साल से ज्यादा समय लगने वाले प्रोजेक्ट में खरीदारी की है. दरअसल, इन दोनों कैटेगरी में रेडी-टू-मूव घरों की संख्या सीमित होने की वजह से लंबे इंतजार वाले घर बुक कराने पड़े हैं.
पंकज बजाज के मुताबिक बिल्डरों के पास इन्वेंट्री नहीं बची जिस वजह से अंडर-कंस्ट्रक्शन घरों की ओर लोग का रुझान हो रहा है. रेडी-टू-मूव वाले सभी घरों की बिक्री हो चुकी है.
निरंजन हीरानंदानी कहते हैं कि कुछ माइक्रो-मार्केट्स में रेडी-टू-मूव फ्लैट्स की डिमांड काफी ज्यादा है. ऐसी परिस्थिति में कीमतें बढ़ सकती हैं लेकिन, बेहद कम मार्जिन में.
वे सरकार से इंडस्ट्री को राहत देने को लेकर कहते हैं, “इंडस्ट्री इस उम्मीद में है कि अधिकारियों की तरफ से इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ कदम उठाए जाएंगे. जैसे – लास्ट-माइल फंडिंग, रीपेमेंट डेडलाइन को आगे बढ़ाना और NPA बनने से सुरक्षा और अन्य कई रेगुलेटरी रियायतें.”