रियल एस्टेट में कम रकम में निवेश का तरीका - फ्रैक्शनल ओनरशिप

Fractional Ownership: कमर्शियल प्रॉपर्टी की ओर रुझान बढ़ा है. कोई प्रॉपर्टी 50 करोड़ की है तो लोग 20-25 लाख रुपये जोड़कर इसे खरीद सकते हैं.

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अगर कमोडिटी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती है, तो डेवलपर अपने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए कीमतों में और बढ़ोतरी करेंगे

अगर कमोडिटी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती है, तो डेवलपर अपने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए कीमतों में और बढ़ोतरी करेंगे

रियल एस्टेट में निवेश के लिए लोग अक्सर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी चुनते हैं. लोगों का मानना होता है कि रियल एस्टेट में निवेश के लिए बड़ी रकम चाहिए होती है और फ्लैट या प्लॉट ऐसे मामलों में निवेश का जरिया बनते हैं. लेकिन REITs (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स) के आने से कमर्शियल रियल एस्टेट में भी निवेश का रुझान आया है. ऐसे ही फ्रैक्शनल ओनरशिप (Fractional Ownership) भी पैसे पूल कर कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करता है.

भारत में बंगलुरू, हैदराबाद, गुरुग्राम, नोएडा जैसे बढ़ते रियल एस्टेट हब से कमर्शियल रियल एस्टेट की ओर रुझान बढ़ा है. फ्रैक्शनल ओनरशिप के जरिए अब कम रकम में भी कमर्शियल रियल एस्टेट में निवेश करने का मौका है. इसके तहत लोग अलग-अलग निवेशक पैसा जुटाकर ग्रेड ए (Grade A) कमर्शियल प्रॉपर्टी की साझेदारी में खरीद सकते हैं.

कैसे होता है निवेश?

मान लीजिए कोई प्रॉपर्टी 50 करोड़ रुपये की है तो लोग 20-25 लाख रुपये जोड़कर इसे खरीद सकते हैं. कई ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जिनसे कमर्शियल प्रोपर्टी में फ्रैक्शनल ओनरशिप (Fractional Ownership) ली जा सकती है. ऐसी प्रॉपर्टी में रेगुलेटरी और अन्य कानूनी जांच पूरी तरह से की गई होती है. फ्रैक्शनल ओनरशिप का चलन अमेरिका, सिंगापुर और हांग कांग में पहले से है.

फ्रैक्शनल ओनरशिप से कमाई कैसे?

कमर्शियल प्रॉपर्टी में वेयरहाउस, ऑफिस स्पेस, फैक्टरी जैसी प्रॉपर्टी आती हैं जिन्हें अकेले खरीदने के लिए बड़ी रकम की जरूरत पड़ेगी. फ्रैक्शनल ओनरशिप (Fractional Ownership) के जरिए कमर्शियल प्रॉपर्टी से किराये से होने वाली कमाई को निवेशकों को मिलता है – जिसने जितना निवेश किया हो उस मुताबिक. वहीं अगर प्रॉपर्टी की बिक्री होती है तो इस हिस्सेदारी के हिसाब से ही कैपिटल बांटा जाता है. समय के साथ प्रॉपर्टी का भाव बढ़ने पर भी फायदा होगा.

आम तौर पर ये देखा गया है कि कमर्शियल प्रॉपर्टी का किराया आम रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से 2-3 गुना ज्यादा होता है. रियल एस्टेट में म्यूचुअल फंड या इक्विटी की तुलना में उतार-चढ़ाव कम रहता है. साथ ही फ्रैक्शनल ओनरशिप में अन्य किसी रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट से अलग कभी भी निकला जा सकता है.

Published - March 15, 2021, 07:04 IST