सबसे ज्यादा फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस वाले शहरों में दिल्ली-एनसीआर तीसरे सबसे बड़े शहर के तौर पर उभरा है. यहां करीब84 लाख वर्ग फुट का फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस है. जबकि बेंगलुरु इस लिस्ट में सबसे टॉप पर है. इस बात की पुष्टि रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म सीबीआरई की रिपोर्ट में हुई. इसके अनुसार दिल्ली-एनसीआर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 20 शहरों में से तीसरे स्थान पर है. इसी के साथ उसने बीजिंग और सियोल को भी पीछे छोड़ दिया है. बीजिंग 75 लाख वर्ग फुट स्पेस के साथ चौथे स्थान पर है. वहीं सियोल के पास 65 लाख वर्ग फुट स्पेस है.
सीबीआरई के सीईओ ने कहा आर्थिक अनिश्चितता के माहौल में फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस की अहमियत बढ़ रही है. इससे लागत में भी बचत हो रही है. इसी के चलते इनकी मांग लगातार बढ़ रही है. लोग भी इसे एक प्रभावी और बेहतर विकल्प मान रहे हैं. फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस का मतलब ऐसी बिल्डिंग से है जिसमें अलग-अलग कंपनियों के ऑफिस होते हैं.
जानिए किस शहर के पास कितना है फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के शहरों की सूची में बेंगलुरु शीर्ष पर है, जिसके पास मार्च 2023 तक 129 लाख वर्ग फुट का सबसे फ्लेक्सिबल ऑफिस स्पेस है. इसके बाद एक करोड़ वर्ग फुट के साथ शंघाई का सूची में कब्जा है. टॉप 10 में जगह बनाने वाले अन्य भारतीय शहरों में हैदराबाद 7वें और मुंबई 9वें स्थान पर हैं. जो क्रमश 60 लाख वर्ग फुट और 47 लाख वर्ग का स्पेस रखते हैं. बीजिंग 75 लाख वर्ग फुट स्टॉक के साथ चौथे स्थान पर है, इसके बाद सियोल (65 लाख वर्ग फुट), टोक्यो (65 लाख वर्ग फुट), शेन्ज़ेन (56 लाख वर्ग फुट), सिंगापुर (40 लाख वर्ग फुट), हांगकांग (28 लाख वर्ग फुट), सिडनी (18 लाख वर्ग फुट) और मनीला के पास (11 लाख वर्ग फुट) स्पेस है.
साल 2022 से आई इस क्षेत्र में तेजी
दिल्ली एनसीआर और बेंगलुरु में नए फ्लेक्स स्पेस की मांग में साल 2022 से तेजी आई है. दोनों शहरों में 2023 की पहली तिमाही में संयुक्त रूप से 31 लाख वर्ग फुट का स्पेस बढ़ा है. रिपोर्ट के अनुसार 2023 की पहली तिमाही में फ्लेक्स स्पेस ऑपरेटरों की ओर से लीजिंग मजबूत रहने के चलते इन दोनों शहरों में साल के अंत तक और नए फ्लेक्स सेंटर खोलने की गति तेज होने की उम्मीद है.
टेक्नोलॉजी फर्म ने सबसे ज्यादा यूज किए स्पेस
रिपोर्ट के अनुसार, प्रौद्योगिकी फर्मों यानी टेक्नोलाजी फर्मों ने ने लीजिंग गतिविधि में सबसे ज्यादा हिस्सा लिया है, इसकी हिस्सेदारी करीब 35% थी. इसके बाद व्यावसायिक सेवाओं में 16% स्पेस का इस्तेमाल किया गया. वहीं वित्त फर्मों में 12%, खुदरा फर्मों में 8% और जीवन विज्ञान में 7% हिस्सेदारी थी.