क्या PPF की मैच्योरिटी 15 साल से घटानी चाहिए? जानें SBI की रिपोर्ट पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि PPF का लॉक-इन ही है जो लोगों को इस निवेश को छेड़ने नहीं देता और वो रिटायरमेंट के लिए बचत कर पाते हैं

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PPF में निवेश की गई राशि 15 साल तक लॉक हो जाती है.

PPF में निवेश की गई राशि 15 साल तक लॉक हो जाती है.

रिटायरमेंट के लिए प्रचलित निवेश विकल्प पब्लिक प्रोविडेंट फंड में फिलहाल 15 साल का लॉक-इन होता है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ सौम्य कांति घोष की अगुवाई में जारी हुई इकोरैप (Ecowrap) रिपोर्ट में सिफारिशों में ये भी शामिल है कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड की मैच्योरिटी सीमा घटानी चाहिए. आपको बता दें कि फिलहाल PPF से मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की इजाजत नहीं है. इसमें 7 साल की अवधि के बाद आंशिक विड्रॉल की सुविधा होती है लेकिन ये कई शर्तों के साथ आती है. जैसे बच्चों की पढ़ाई या शादी, कोई मेडिकल खर्च या घर खरीदने के लिए आप इसमें से कुछ रकम निकाल पाते हैं.

SBI के इकोरैप रिपोर्ट में ये 3 सिफारिशें शामिल हैं –

– पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) की मैच्योरिटी समय सीमा को घटाना चाहिए

– सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम पर मिलने वाले रिटर्न को टैक्स-फ्री कर देना चाहिए

– सरकार की सेविंग स्कीम में उम्र के अनुसार ब्याज देनी चाहिए

भारत में एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम की कमी है जिस वजह से लोग सरकार की इन स्कीम्स पर भरोसा करते हैं और यहां अपने निवेश को सुरक्षित भी मानते हैं.

PPF से अगर लॉक-इन हटा तो क्या होगा ?

मनीष 41 साल के हैं, अपने पिता के कहने पर 30 साल की उम्र में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) अकाउंट खोला था. चार साल में इनका PPF मैच्योर होने वाला है. इन 11 सालों में कई बार पैसों की जरूरत पड़ने पर PPF से पैसे निकालने का ख्याल आया लेकिन लॉक इन की वजह से कर नहीं पाए. नई कार खरीदते वक्त लगा कि ये PPF के पैसे निकल जाते तो कितना अच्छा होता फिर जब बीच में नौकरी नहीं थी तो कॉन्ट्रीब्य़ूशन तक रोकना पड़ा लेकिन पैसे निकाल नहीं पाए.

मनीष के पिता इस 15 साल के लॉक इन को सही मानते हैं नहीं तो उन्हें पूरा भरोसा था कि मनीष PPF का टेन्योर पूरा नहीं करते. मन मारकर ही सही कम से कम बैंक डिपॉजिट से ज्यादा ब्याज पर कुछ पैसे तो इकट्ठा हो गए हैं.

पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट प्रतिभा गिरीश मानती हैं कि PPF का यही अनुशासन है जो लोगों को इस निवेश को छेड़ने नहीं देता और वो रिटायरमेंट के लिए बचत कर पाते हैं. क्योंकि 15 साल का सब्र इन दिनों जरा मुश्किल है, डॉ सौम्य कांति घोष के मुताबिक मैच्योरिटी को घटाने पर ज्यादा लोग जुड़ेंगे. समय सीमा घटानी चहिए लेकिन समय से पहले पैसा निकालने वालों की रोकथाम भी जरूरी है.

सीनियर सिटीजन को मिले ब्याज पर छूट

2041 तक देश में सीनियर सिटीजंस की तादाद 15.9% हो जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक 60 साल से ऊपर के लोगों की संख्या 2011 में 10.4 करोड़ थी जो 2041 तक 23.9 करोड़ हो जाएगी. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज की आय कमाई का एक अहम जरिया है पर ये आय टैक्स फ्री नहीं है.

फरवरी 2020 में इन स्कीम्स के तहत आउटस्टैंडिंग अमाउंट 73,725 करोड़ रुपये थी. अगर इस पर सरकार टैक्स रीबेट दे तो इसका असर सरकार की आय पर बहुत कम पड़ेगा. एक्सपर्ट मानते हैं कि इस कदम से गिरते ब्याज दर से सीनियर सिटीजन को थोड़ी राहत मिलेगी.

क्या उम्र के हिसाब से तय हों ब्याज दर ?

SBI की इकोरैप रिपोर्ट ने ये सुझाव भी दिया है कि स्मॉल सेविंग्स स्कीम में उम्र के हिसाब ब्याज मिलना चाहिए . प्रतिभा गिरीश कहती हैं कि वैसे भी बड़ी उम्र वालो के लिए कई स्पेसिफिक स्कीम के जरिए भी अच्छे रेट मिल जाते हैं इसलिए कम उम्र से ब्याज रेट को जोड़ने से ज्यादा कुछ हासिल नहीं होगा. भारत जैसे देश में जहां लोग देर से निवेश शुरू करते हैं वहां इसे उम्र के दायरे में बांधने पर लोग निवेश करने से कतराने ना लगें.

Published - April 17, 2021, 07:37 IST