अब अगर आपको अपने प्रोविडेंट फंड से जुड़ी डिटेल में कोई बड़ा बदलाव करना हो तो ऑनलाइन नहीं कर पाएंगे. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने एक नए सर्कुलर में ये जानकारी दी है कि मेंबर्स के प्रोफाइल में अब ऑनलाइन बड़े करेक्शन नहीं किए जा सकेंगे. संगठन के मुताबिक इस कदम से फ्रॉड विड्रॉल से आपका पैसा सुरक्षित होगा. ईपीएफओ (EPFO) के मुताबिक ऑनलाइन ऐसे बड़े बदलाव करने से रिकॉर्ड्स में मिसमैच हो सकता है.
ईपीएफओ (EPFO) ने सर्कुलर के जरिए फील्ड ऑफिसेस और कंपनियों को साफ कहा है कि कर्मचारी के नाम से लेकर अन्य डीटेल में तब तक करेक्शन ना किया जाए जब तक इसका कागजी प्रमाण ना हो.
अब अकाउंट होल्डर की डिटेल में बड़े बदलाव ऑफलाइन या ऑनलाइन करवाने के लिए प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य होगा. वेरिफिकेशन के बाद ही कर्मचारी के नाम आदि जैसी जानकारी में बदलाव हो सकेंगे. ऐसे बदलाव के लिए ये प्रमाण देना होगा कि कानूनी प्रक्रिया के बाद नाम बदला गया है या फिर पहले के कागजातों में किसी गलती की वजह से इस बदलाव की जरूरत पड़ी है.
सर्कुलर के मुताबिक ऐसा कई बार पाया गया है कि प्रोफाइल और नाम को पूरी तरह बदलकर फ्रॉड तरीके से खाते से पैसे निकाले गए हैं.
क्या है ‘माइनर चेंज’और ‘मेजर चेंज’
ईपीएफओ (EPFO) का कहना है कि नाम और सरनेम को बड़ा या छोटा करना माइनर चेंज यानि मामूली बदलाव माने जाएंगे और इनमें बदलाव की अनुमति रहेगी, बशर्ते नाम का पहला अक्षर नहीं बदला जा रहा हो. मान लीजिए किसी का नाम आर कुमार है तो वो इसे बदलवाकर राकेश कुमार कर पाएंगे, लेकिन इसी को सुरेश कुमार नहीं किया जा सकेगा.
ठीक इसी तरह शादी के बाद आधार कार्ड के मुताबिक मिडिल नाम या सरनेम जोड़ने की अनुमति होगी लेकिन इसके अलावा पूरा नाम नहीं बदला जाएगा.
नाम को पूरी तरह बदलना ‘मेजर चेंज’ होगा और इसे ऑनलाइन बिना कागजी प्रमाण के नहीं किया जा सकेगा. पेश किए इस प्रमाण को फिल्ड ऑफिस जमा करेंगे और ऑडिट भी कराना होगा.
EPFO ने ये फैसला क्यों लिया?
दरअसल KYC में मिसमैच की वजह से पिछले वित्त वर्ष ईपीएफओ (EPFO) ने तकरीबन 10 फीसदी सब्सक्राइबर्स को ब्याज पेमेंट नहीं की थी. ईपीएफओ (EPFO) ने करीब 40 लाख लोगों के खाते में वित्त वर्ष 2019-20 का ब्याज जमा नहीं किया है जिसकी मुख्य वजह KYC का मेल ना खाना ही है.