कोरोना काल में भी अप्रैल में प्रोविडेंट फंड के सोशल सिक्योरिटी नेट में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के साथ अप्रैल 2021 में जुड़े कर्मचारियों की संख्या में मार्च की तुलना में 13.73 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुल 12.76 लाख की बढ़ोतरी हुई. मार्च 2021 में यह 11.22 लाख थी. रविवार को जारी श्रम विभाग की विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी है.
इन आंकड़ों से कोविड-19 महामारी के बीच संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की दिशा-दशा का संकेत मिलता है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में ईपीएफओ ने कुल 77.08 लाख नये सदस्य जोड़े, यह संख्या एक साल पहले 78.58 लाख थी.
अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक ईपीएफओ में अप्रैल 2021 में शुद्ध रूप से 12.76 लाख सदस्य (कर्मचारी) जुड़े. कोविड-19 की दूसरी लहर के बावजूद मार्च 2021 की तुलना में नये कर्मचारियों की संख्या में शुद्ध रूप से 13.73 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी.
आंकड़े के मुताबिक मार्च 2021 की तुलना में अप्रैल 2021 में ईपीएफओ की सदस्यता छोड़ने वालों की संख्या 87,821 कम रही. इसी तरह इस दौरान दोबारा ईपीएफओ (EPFO) से जुड़ने वाले सदस्यताओं की संख्या मार्च से 92,864 ज्यादा रही.
इस साल मई में जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक पिछले साल अप्रैल में ईपीएफओ (EPFO) में कर्मचारियों के नये नामांकन में 2,84,576 की गिरावट दर्ज की गयी थी. इसका मतलब है कि अप्रैल 2020 में ईपीएफओ की सदस्यता (EPFO Membership) छोड़ने वाले लोगों की संख्या योजना से जुड़ने वाले या दोबारा जुड़ने वाले लोगों से अधिक थी. ऐसा मुख्य रूप से कोविड-19 की पहली लहर के दौरान सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के असर के कारण हुआ था.
अप्रैल 2021 में ईपीएफओ (EPFO) से जुड़ने वाले 12.76 लाख नये सदस्यों में से करीब 6.89 लाख सदस्य पहली बार ईपीएफओ के सामाजिक सुरक्षा कवच में आए हैं.
राज्यों के बीच तुलना करें तो रजिस्टर्ड संस्थानों में महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक आगे रहे. इन राज्यों ने अप्रैल महीने में 7.58 लाख कर्मचारी EPFO से जोड़े हैं जो कुल नए सब्सक्राइबर्स का 59.41 फीसदी है.
वहीं, उत्तर-पूर्वी राज्यों ने भी पिछले महीने की तुलना में औसत से ज्यादा ग्रोथ दर्ज की है.
वहीं, महिलाओं की भागीदारी देखें तो कुल नए सब्सक्राइबर्स में से 22 फीसदी ही महिलाएं रहीं.
(PTI इनपुट के साथ)