6.5 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए आज का दिन काफी अहम है. गुरुवार को श्रीनगर में होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में नौकरीपेशा के लिए बड़ा फैसला हो सकता है. सोशल सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए सरकार अहम कदम उठाने जा रहा है. 1 अप्रैल 2021 से न्यू वेज कोड लागू होना है. इसमें किसी भी सैलरीड का प्रोविडेंट फंड में कंट्रीब्यूशन बढ़ेगा. साथ ही ग्रेच्युटी में भी फायदा मिलेगा. इसके एक और पहुलओं को देखते हुए EPFO भी अपना दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. यही वजह है कि सबकी निगाहें CBT की बैठक पर टिकी हैं.
गुरुवार (4 मार्च 2021) को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) की अहम बैठक है. मीटिंग में PF कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए इस वक्त जो बेसिक सैलरी की सीलिंग है उसे बढ़ाया जा सकता है. अभी सीलिंग 15000 रुपए है. अगर आसान शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति की बेसिक सैलरी 30000 रुपए है तो उस सैलरी पर उसका 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन प्रोविडेंट फंड में जमा होता है. इतना ही शेयर कंपनी के खाते से भी होता है. लेकिन, कंपनी के शेयर में दो हिस्से होते हैं. पहला- EPF और दूसरा- पेंशन (EPS). कंपनी के शेयर का 12 फीसदी हिस्सा भी 30000 रुपए की बेसिक सैलरी पर ही जमा होगा.
लेकिन, EPFO पेंशन फंड में बेसिक सैलरी की सीलिंग 15000 रुपए है. इस सीलिंग की वजह से बेसिक सैलरी (15000) का 8.33 फीसदी हिस्सा सिर्फ 1250 रुपए ही जमा होता है. अगर सीलिंग बढ़ती है तो ये हिस्सा 25000 रुपए की सीमा पर तय होगा. मतलब 2083 रुपए पेंशन फंड में जमा हो सकेंगे. दूसरा पहलु ये है कि सीलिंग बढ़ने से ज्यादा लोग EPFO के दायरे में आएंगे. EPFO के नियम के मुताबिक, 15000 रुपए तक सैलरी वाले लोगों का ही प्रोविडेंट फंड काटना अनिवार्य है. ऐसे में ज्यादातर लोग 15000 रुपए से ज्यादा सैलरी होने पर अपना पीएफ नहीं कटवाते, क्योंकि, अभी तक ये वैकल्पिक है. लेकिन, 25000 लीमिट होने पर दायरे में ज्यादा लोग आएंगे.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के रिटायर्ड एन्फोर्समेंट ऑफिसर भानुप्रताप शर्मा के मुताबिक, सरकार रिटायरमेंट का ज्यादा ध्यान रख रही है. वहीं, सोशल सिक्योरिटी का ध्यान रखते हुए भी ज्यादा लोगों को पीएफ के दायरे में लाने की कोशिश है. पेंशन फंड बढ़ने के साथ ही ज्यादा लोग के EPFO सब्सक्राइबर बढ़ने से सरकारी खजाने में भी ज्यादा पैसा जमा होगा. जिसे सरकार दूसरी स्कीम में लगा सकेगी.
अगर सीलिंग बढ़ी तो क्या होगा?
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के सदस्य पीएफ की सैलरी सीलिंग को बढ़ाने के पक्ष में हैं. इसके पीछे दो तरह की दलील दी जा रही है.
पहला- देश भर में जो यूनिवर्सल मिनिमम वेज का फॉर्मूला लागू किया जा रहा है, उसमें सैलरी 18 हजार रुपए के करीब निर्धारित की जा सकती है. ऐस में जो मौजूदा सैलरी सीलिंग है, उसमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है. दूसरा- इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को EPFO में लाने में मदद मिलेगी. सोशल सिक्योरिटी बढ़ेगी.
ब्याज को लेकर क्या है चर्चा?
मीडिया रिपोर्ट्स में अनुमान जताया जा रहा है कि कल होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए ब्याज पर फैसला हो सकता है. जो 2019-20 के लिए 8.5 फीसदी थी. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि 4 मार्च की बैठक के एजेंडे में ब्याज दर पर चर्चा शामिल ही नहीं है. अभी इसकी समीक्षा होनी है कि EPFO ने जो अलग-अलग सोर्स में निवेश किया है, उस पर कितना रिटर्न मिल रहा है और कोविड का कितना असर रहा है. साथ ही EPFO के पास कितना सरप्लस अमाउंट है और उस पर किस तरह का असर हुआ है. समीक्षा के बाद ही तय हो सकेगा कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए कितना ब्याज दिया जाना चाहिए.
पिछली तीन मीटिंग में हुआ था ब्याज दरों पर फैसला
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की पिछली तीन बैठकों में सिर्फ ब्याज दरों पर चर्चा हुई है. पिछले साल अगस्त 2020 में हैदराबाद में हुई बैठक में इंट्रस्ट रेट्स को लागू किया गया था. वहीं, अक्टूबर में हुई बैठक में इसे दो किस्त में देने पर फैसला हुआ. इससे पहले अप्रैल में हुई मीटिंग में बोर्ड ने 8.50 फीसदी ब्याज देने की सिफारिश की थी.