कॉल ड्रॉप या नेटवर्क की दिक्कत से अब उपभोक्तओं को छुटकारा मिलने वाला है. दरअसल दूरसंचार नियामक (TRAI) नियमों को सख्त बनाने जा रहा है. इसके तहत खराब नेटवर्क एवं डेटा सुविधा में गड़बड़ी पाए जाने पर दूरसंचार कंपनियों पर पेनाल्टी लगाई जाएगी. इसके लिए नियामक राज्य और जिला स्तर पर सेवा की गुणवत्ता (QOS) की जांच करेगा. अगर टेलीकॉम कंपनियां मानदंडों पर खरी नहीं उतरती हैं तो उन पर कठोर र्कारवाई एवं वित्तीय जुर्माना लगाया जाएगा.
ट्राई के एक अधिकारी के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर में अभी भी समस्याएं हैं. इसीलिए मौजूदा नियामक व्यवस्था पर फिर से विचार करने का फैसला किया गया है. नई व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जाएगा जिसमें क्यूओएस मापदंडों को पूरा नहीं करने पर दूरसंचार कंपनियों पर कार्रवाई होगी. वर्तमान में, QoS को टेलीकॉम सर्कल स्तर पर मापा जाता है. अगर कुछ साइटें लंबे समय तक भी बंद रहती हैं, तो यह डेटा में कैप्चर नहीं होता है. मगर जिला स्तर पर इसे शामिल किया जाए तो डेटा अधिक विस्तृत होगा. हऐसे में अगर साइटें लंबे समय तक बंद रहती हैं तो टेलीकॉम कंपनियों को दंडित किया जा सकता है. संशोधित क्यूओएस नियमों का मसौदा पहले ही जारी हो चुका है और हितधारकों के परामर्श के बाद नियमों को जल्द ही जारी किया जाएगा. नियामक पहली बार 5जी सेवाओं के लिए भी क्यूओएस दिशानिर्देश जारी करेगा.
राज्य और जिला स्तर पर डेटा को मापने की ट्राई की इस योजना का दूरसंचार उद्योग विरोध कर रहा है क्योंकि नेटवर्क को टेलीकॉम सर्कल के अनुसार रोल आउट किया जाता है. ऐसे में सॉफ्टवेयर सिस्टम उसी के अनुसार काम करता है. कंपनियों का मानना है कि राज्यवार डेटा साझा करना मुश्किल होगा क्योंकि अलग-अलग लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग क्षेत्राधिकार शामिल हैं. इसके अलावा, डेटा को जुटाने और कोऑर्डिनेट करने में दिक्कतें होंगी. इसके लिए एक नई आईडी प्रणाली स्थापित करनी होगी, जिसमें लागत और समय लगेगा.
बता दें 18 अगस्त को, दूरसंचार नियामक ने सेवा प्रदाताओं के लिए कड़े प्रदर्शन मानदंड प्रस्तावित किए थे. नियामक ने यह कदम ग्राहकों से मिल रही कॉल ड्रॉप और अन्य नेटवर्क से संबंधित मुद्दों के आधार पर लिया गया था.