व्हाट्सऐप (WhatsApp) और टेलीग्राम (Telegram) जैसे संचार माध्यम ओवर-द-टॉप (OTT) ऐप्स पर साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच जल्द ही इनके नियमन (Regulation) की व्यवस्था हो सकती है. दरअसल इन ऐप्स (Apps) के रेगुलेशन को लेकर भारतीय दूरसंचार नियामक (TRAI) जल्द ही विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू करने वाला है.
गौरतलब है कि इन ऐप्स के रेगुलेशन को लेकर मांगें उठती रही हैं, खासकर हाल ही में इन ऐप्स पर विदेशी नंबरों से लोगों को फोन कॉल्स आने और ठगी के मामले सामने आने के साथ इन ऐप्स पर लोगों की प्राइवेसी को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं.
क्या है योजना?
इन सबके बीच ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन ऐप्स के रेगुलेशन की जरूरत है और अगर रेगुलेशन होता है तो इसके दायरे में किस तरह के ऐप्स को लाया जाए? केंद्र सरकार का मानना है कि दूरसंचार विभाग ओटीटी ऐप्स के लिए नोडल विभाग होना चाहिए जबकि कंटेंट ओटीटी ऐप्स जैसे कि Netflix, Amazon Prime के रेगुलेशन का जिम्मा सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) दिया जाएगा. इन्हीं सवालों पर माथा-पच्ची करने के लिए विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. साथ ही ओटीटी की परिभाषा तय करने, दूरसंचार कंपनियों के लिए बराबरी के मौके और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय प्रैक्टिस जैसे विषयों पर भी चर्चा होगी.
अब तक ट्राई का यह मानना था कि ओटीटी ऐप्स का रेगुलेशन नहीं किया जाना चाहिए लेकिन दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुरोध के बाद ट्राई अपने रुख में बदलाव कर रहा है. इससे पहले दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी साफ किया था कि कॉम्युनिकेशन ओटीटी ऐप्स के रेगुलेशन का मकसद कस्टमर को प्रोटेक्ट करना है न कि रेवेन्यू हासिल करना.
बता दें कि दूरसंचार विभाग भी व्हाट्सऐप, सिग्नल (Signal) और टेलीग्राम जैसे जन संचार माध्यम ओटीटी ऐप्स का ही रेगुलेशन चाहता है. इन ऐप्स को इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स भी कहा जाता है. विभाग ने टेलीकॉम बिल (दूरसंचार विधेयक) में इन ऐप्स के लिए नो-योर-कस्टमर (KYC) की अनिवार्य व्यवस्था की जरूरत का भी प्रस्ताव दिया है.