केंद्र सरकार ने देश में कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर रोक लगा दी है. आयात पर रोक के लिए गुरुवार को अधिसूचना जारी हो गई है और रोक तुरंत प्रभाव से लागू है. सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट का आयात अब Restricted श्रेणी में रहेगा, अगर इंपोर्ट जरूरी है तो उसके लिए वैध इंपोर्ट लाइसेंस लागू होगा. हालांकि बैगेज नियम के तहत इंपोर्ट होने वाले इन प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध नहीं होगा.
अप्रैल-जून में हुआ 19.7 अरब डॉलर का आयात इस साल अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सालाना आधार पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के आयात में 6.25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात 19.7 अरब डॉलर का रहा है. इसमें लैपटॉप, टैबलेट्स और पर्सनल कम्प्यूटर भी शामिल है. देश के कुल मर्चेंडाइज आयात में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की हिस्सेदारी 7 फीसदी से लेकर 10 फीसदी के बीच है.
किसी उत्पाद के आयात को अंकुश की श्रेणी में डालने का मतलब है कि उनके आयात के लिए लाइसेंस या सरकार की अनुमति अनिवार्य होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गुरुवार को जारी अधिसूचना में कहा कि शोध एवं विकास, परीक्षण, बेंचमार्किंग और मूल्यांकन, मरम्मत तथा वापसी और उत्पाद विकास के उद्देश्य से प्रति खेप अब 20 वस्तुओं तक आयात लाइसेंस की छूट रहेगी. हालांकि इन प्रोडक्ट्स को इंपोर्ट के बाद अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद वापस बाजार में नहीं बेचा जा सकेगा. इसका मतलब यह कि इन उत्पादों को या तो नष्ट करना होगा या फिर दोबारा एक्सपोर्ट किया जा सकेगा. सवाल यहां यह उठ रहा है कि लंबे समय तक इस्तेमाल के बाद कंपनियां इन उत्पादों को दोबारा एक्सपोर्ट कैसे कर पाएंगी. सरकार के द्वारा इस कदम का मकसद चीन जैसे देशों से आयात को घटाना है. अधिसूचना में कहा गया है कि लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर के आयात को तत्काल प्रभाव से ‘अंकुश’ की श्रेणी में डाल दिया गया है.
कीमतों में तुरंत होगी बढ़ोतरी
ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी स्वर्ण सिंह के मुताबिक सरकार के इस कदम के देशभर में नकारात्मक माहौल बनेगा. उनका कहना है कि लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट की कीमतों में तुरंत इजाफा होने लग जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर डिजिटल इंडिया की बात कर रही है और दूसरी ओर इस तरह के कदम उठा रही है. यह कारोबारी माहौल के साथ ही देश के लिए भी अच्छा कदम नहीं है.
स्थानीय विनिर्माण को मिलेगा बढ़ावा सरकार के इस कदम पर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री बॉडी एमएआईटी के पूर्व डायरेक्टर जनरल अली अख्तर जाफरी का कहना है कि इससे भारत में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा.
आईटी हार्डवेयर में बड़ा निवेश चाहती है सरकार केंद्र सरकार स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स सहित दो दर्जन सेक्टर में प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव दे रही है. आईटी हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग में कोई बड़ा निवेश न आने से सरकार ने अब आईटी हार्डवेयर के आयात पर ही रोक लगा दी है. इसके अलावा बड़ा निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार ने 2 अरब डॉलर की पीएलआई स्कीम में आवेदन करने की अंतिम तारीख भी आगे बढ़ा दी है. आईटी हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग पीएलआई स्कीम में लैपटॉप, टैबलेट्स, पर्सनल कम्प्यूटर और सर्वर शामिल हैं.
भारत बनना चाहता है पावरहाउस सरकार की योजना ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में पावरहाउस बनने का है. सरकार ने 2026 तक 300 अरब डॉलर के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. डेल, एसर, सैमसंग, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, एप्पल इंक, लेनोवो और एचपी इंक कुछ प्रमुख कंपनियां हैं, जो भारतीय बाजार में लैपटॉब और टैबलेट्स बेचती हैं. ये कंपनियां इनके अधिकांश पार्ट चीन जैसे देशों से आयात करती हैं. देश के कुल वार्षिक आयात में लैपटॉप, टैबलेट्स और पर्सनल कम्प्यूटर की हिस्सेदारी करीब 1.5 फीसदी है. 1.5 फीसदी में से करीब आधा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है.
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