भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दो सहकारी बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया है. जिन बैंकों का लाइसेंस रद्द किया गया है उनमें महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित मलकापुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (Malkapur Urban Co-operative Bank Limited) और बेंगलुरु शहर में स्थित शुश्रुति सौहार्द सहकारी बैंक (Shushruti Souharda Sahakara Bank Niyamita) को बंद कर दिया है. अब ये दोनों बैंक ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएं नहीं दे पाएंगे.
आरबीआई (RBI) का कहना है इन दोनों बैंकों के पास बैंकिंग परिचालन के लिए पर्याप्त पैसा यानी वर्किंग कैपिटल नहीं है. भविष्य में इनकी तरफ से पैसे जुटाने की संभावना भी नहीं है. ऐसे में इन बैंको का कारोबार करना ग्राहकों के हितों के खिलाफ है. इसलिए इन दोनों बैंकों का लाइसेंस रद्द किया गया है. अब ये बैंक जमा या कर्ज देने जैसी किसी भी तरह की बैंकिंग सेवा ग्राहकों को नहीं दे पाएंगे.
क्या डूब गया ग्राहकों का पैसा
DICGC एक्ट, 1961 के मुताबिक बैंको के डूबने पर जमाकर्ता को पांच लाख रुपए तक का जमा डिपॉजिट इन्श्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) जमा वापस मिल जाता है. यानी अगर किसी ग्राहक का बैंक में 6 लाख रुपए जमा है तो DICGC उसे सिर्फ 5 लाख रुपए ही दे पाएगा. वहीं अगर बैंक में उसका कुल जमा 4 लाख है तो उसके पूरे पैसे वापस मिल जाएंगे. डीआईसीजीसी आरबीआई की सहायक कंपनी है.
दोनों बैंको के ग्राहकों को मिलेगा कितना पैसा वापस
RBI के मुताबिक, मलकापुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के 97.60 फीसद ग्राहकों को DICGC की तरफ से उनक पूरा पैसा वापस मिल जाएगा. DICGC पहले ही इन बैंकों को 496.98 करोड़ रुपए दे चुका है. शुश्रुति सौहार्द सहकारी बैंक के सिर्फ 91.92 फीसद ग्राहकों को उनका पूरा पैसा वापस मिलेगा. कुल बीमाकृत जमा में से इस बैंक के ग्राहकों को 54.16 करोड़ रुपए वापस किए जा चुके हैं.