सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना यानी PMFBY के बजट में बढ़ोतरी कर सकती है. बजट अनुमान की तुलना में चालू वित्त वर्ष में इस योजना का बजट 28 फीसद बढ़कर 17,500 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2024 के लिए 13,625 करोड़ रुपए के बजट अनुमान की तुलना में वित्त मंत्रालय ने अब तक कृषि मंत्रालय को इस योजना के तहत 12,500 करोड़ रुपए जारी किए हैं, लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए कृषि मंत्रालय अतिरिक्त बजट की मांग कर सकता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत नामांकित किसानों की संख्या 2023-24 में रिकॉर्ड 40 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि वित्त वर्ष 2023 में नामांकित 31.5 मिलियन किसानों की संख्या से 27 फीसद ज्यादा है. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक फसल बीमा के तहत नामांकन कराने वाले तकरीबन 40 फीसद किसान ऐसे हैं जिन्होंने बैंकों से कर्ज नहीं लिया है.
वित्त वर्ष 2022-23 में नामांकित 31.5 मिलियन किसानों में से 39 फीसद गैर ऋणी किसान थे. पीएमएफबीवाई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितेश चौहान ने हाल ही में कहा था कि फसल बीमा योजना धीरे-धीरे ऋण-आधारित योजना के बजाय सदस्यता आधारित मॉडल की ओर बढ़ रही है. आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, मेघालय और पुडुचेरी जैसे राज्यों ने फसल बीमा योजना के सार्वभौमिकरण का विकल्प चुना है, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकार किसानों के प्रीमियम का खर्च वहन करेगी.
मौजूदा समय में 22 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किया जा रहा है. इस योजना के तहत किसानों द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम रबी फसलों के लिए बीमा राशि का सिर्फ 1.5 फीसद और खरीफ फसलों के लिए 2 फीसद तय किया गया है, जबकि नकदी फसलों के लिए यह 5 फीसद है.