ग्राहकों को चालाकी या धोखे से चीजें खरीदने के लिए उकसाने या और किसी तरीके से उन्हें गुमराह करने की कोशिश करना अब ई-कॉमर्स कंपनियों पर भारी पड़ेगा. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने अमेजन, फ्लिपकार्ट, नायका, बिग बास्केट, रिलायंस रिटेल, स्विगी, मीशो जैसी शीर्ष ई कॉमर्स कंपनियों को उपभोक्ताओं को धोखा देने के लिए डार्क पैटर्न का उपयोग बंद करने के लिए एक पत्र लिखा है. मंत्रालय के अनुसार यह व्यापार की गलत परंपरा है. मंत्रालय डार्क पैटर्न के उपयोग को कम करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की दिशा में भी काम कर रहा है.
ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को दिए ये निर्देश मंत्रालय ने इस समस्या को सुधारने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों से इस बारे में खुद नियम तैयार करने और इसकी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए है. साथ ही कहा कि नियमों का पालन न करने पर ये गलत तरीके से व्यापार करना समझा जाएगा. पत्र में कहा गया कि इंस्टस्ट्री अपने प्लेटफॉर्म के ऑनलाइन इंटरफेस में ऐसे किसी भी डिजाइन या पैटर्न में शामिल होने से बचें जो उपभोक्ता को धोखा दे सकता है या हेरफेर कर सकता है. इन नियमों का उल्लंघन डार्क पैटर्न की श्रेणी में आ सकता है.
क्या होता है डार्क पैटर्न? डार्क पैटर्न ऐसे इंटरफेस हैं जो उपयोगकर्ताओं को उनकी रुचि के अतिरिक्त दूसरे विकल्प चुनने के लिए बरगलाते हैं या उनका माइंडसेट बदलने की कोशिश करते हैं. कंपनियां जानबूझ कर ऐसे हालात बनाती हैं जिससे कस्टमर चीजें खरीदने के लिए उत्सुक हो और वे इसमें अपना हित के बारे में न सोच सके. डार्क पैटर्न में ग्राहकों को धोखा देने, मजबूर करने या प्रभावित करने के लिए डिज़ाइन और खास आर्किटेक्चर का उपयोग करना शामिल है. ऑनलाइन इंटरफेस में डार्क पैटर्न का उपयोग करके कस्टमर्स को धोखा दिया जाता है.
ये चीजें डार्क पैटर्न में शामिल मंत्रालय ने 10 ऐसी चीजों की पहचान की है जो गलत पैटर्न के अंतर्गत आती हैं. इनमें झूठी तात्कालिकता पैदा करना, अंतिम खरीद में चीजों का छिपाना, दान के लिए अतिरिक्त पैसे का भुगतान न करने के लिए उपभोक्ताओं को शर्मिंदा करना है, जबरन साइन अप करना, परेशान करना, सदस्यता लेना जैसी चीजें आदि शामिल है.
इंटरनेट और स्मार्टफोन का बढ़ा इस्तेमाल हाल के वर्षों में भारत में इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुंच तेजी से बढ़ी है. साल 2022 में सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 759 मिलियन तक पहुंच गई है. वहीं साल 2025 तक ये आंकड़ा बढ़कर 900 मिलियन होने की उम्मीद है. भारत की उपभोक्ता डिजिटल अर्थव्यवस्था भी 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर का बाजार बनने की उम्मीद है, जो 2020 में 537.5 बिलियन डॉलर थी. ऑनलाइन चीजों की पहुंच बढ़ने की वजह से ही सरकार उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाने पर जोर दे रही है.
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