शेयर ब्रोकर्स अब अपने क्लाइंट के खाते में पड़े पैसों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर SEBI अब सेकेंड्री मार्केट में भी ठीक उसी तरह की व्यवस्था लागू करने जा रहा है जिस तरह की व्यवस्था IPO मार्केट में लागू है. इस व्यवस्था का नाम एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट यानी ASBA है और इसके तहत जब तक ट्रेड पूरा नहीं होता तबतक ट्रेड का पैसा क्लाइंट के खाते में ब्लॉक रहता है, सौदा पूरा होने पर ही पैसा कटता है और सौदा नहीं हुआ तो पैसे का इस्तेमाल क्लाइंट कर सकता है. ब्रोकर उस पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकता.
कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी की चीफ माधबी पुरी बुच ने कहा है कि सेकेंड्री मार्केट में ASBA जैसी व्यवस्था जनवरी-फरवरी के दौरान लागू हो जाएगी. सेबी चीफ ने शुक्रवार को CII Global Economic Policy Forum को संबोधित करते हुए यह बयान दिया है. सेबी चीफ के मुताबिक रेग्युलेटर के इस कदम से निवेशकों को हर साल करीब 3500 करोड़ रुपए की बचत होगी.
सेबी चीफ ने यह भी बताया कि शेयर बाजार रेग्युलेटर बाजार में ट्रेड सेटलमेंट के लिए T+0 व्यवस्था को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है और इस व्यवस्था को अगले साल मार्च से लागू कर दिया जाएगा. इस नई व्यवस्था के तहत शेयर बेचने पर मिलने वाला पैसा उसी दिन ग्राहक के खाते में आ जाएगा. मौजूदा व्यवस्था के तहत पैसा खाते में आने के लिए एक दिन लग जाता है.
सेबी चीफ ने यह भी बताया कि शेयर बाजार में ज्यादा रिस्की असेट पर दांव खेलने वाले निवेशकों के लिए रेग्युलेटर की तरफ से जल्द नया निवेश विकल्प लॉन्च किया जाएगा. यह निवेश विकल्प म्यूचुअल फंड्स और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने वालों की सहायता से लॉन्च किया जाएगा.