डीजल और पेट्रोल पर लगाए गए टैक्‍स को कम करने का समय

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा हाल ही में संपन्न बैठक ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के बारे में चिंता जताई है.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 28, 2021, 05:49 IST
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PTI

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खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट और खराब परिस्थितियों के कारण दिसंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति (Inflation) घटकर 4.6% रह गई है. गिरावट लगातार छह महीने (जून-नवंबर 2020) तक जारी रही. इसने केंद्रीय बैंक की ओर से सेट की गई अपर लिमिट को भी तोड़ दिया. पिछले तीन महीनों (सितंबर-नवंबर) के दौरान सब्जियों की कीमतों में तेज सुधार और अनाज की कीमतों में नरमी के कारण 9.6% की गिरावट के बाद खाद्य मुद्रास्फीति (Inflation) में 3.9% की गिरावट आई है. हालांकि खरीफ की फसल की आवक और आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेप ने निश्चित रूप से खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद की है.

भोजन और ईंधन को छोड़कर उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (Inflation) दिसंबर में 5.5% से एक महीने पहले मामूली मार्जिन के साथ ऊंचा रहा. इससे देश में खुदरा ईंधन की कीमतों पर ध्यान केंद्रित हुआ है.

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा हाल ही में संपन्न बैठक ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के बारे में चिंता जताई है. उनके मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. समिति ने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों के पेट्रोलियम उत्पादों पर करों की अघोषित लागत को कम करने के दबाव को कम किया जा सकता है.

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और पेट्रोल और डीजल पर हाई इंडारेक्‍ट टैक्‍स की दरों का परिवहन और स्वास्थ्य श्रेणियों में प्रमुख वस्तुओं पर प्रभाव देखते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाई है. उनके मुताबिक, केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित तरीके से विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल पर अप्रत्यक्ष करों को लगाना अर्थव्यवस्था में लागत व दबावों को और अधिक समाहित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतें पिछले कुछ महीनों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. देश की सबसे बड़ी ईंधन रिटेलर कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के मुताबिक, शुक्रवार (26 फरवरी) को नई दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.93 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 81.32 रुपये प्रति लीटर थी. मुंबई में, पेट्रोल और डीजल क्रमशः 97.34 रुपये प्रति लीटर और 88.44 रुपये प्रति लीटर थी. आईओसी के मुताबिक, पिछले तीन दिनों से दरें अपरिवर्तित बनी हुई हैं. इसके बाद लगातार एक सप्ताह से अधिक तेजी से बढ़ रही है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों पर पेट्रोल की कीमतें पहले ही 100 रुपये प्रति लीटर की दर को पार कर गई हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार (25 फरवरी) को कहा था कि वह इस बात का जवाब नहीं दे पाएंगी कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कब घटेंगी. उनके मुताबिक, “यह सिर्फ उपकर नहीं है। आपके पास केंद्र का उत्पाद शुल्क है, तो आपके पास राज्यों का वैट है. इसलिए, इस तथ्य को छिपाया नहीं गया है कि वहां राजस्व है. यह सिर्फ मैं नहीं, आप किसी भी राज्य से पूछें.

उन्होंने दोहराया कि इस समस्या का समाधान खोजने का एकमात्र तरीका यह है कि केंद्र और राज्यों को एक बातचीत करनी चाहिए, जिससे वह सहमत हैं कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को ईंधन के लिए कम भुगतान करना चाहिए.

अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) के मुताबिक, केंद्र सरकार उपभोक्ताओं पर दबाव को कम करने के लिए ऑटो ईंधन करों में 5 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर सकती है क्योंकि वैश्विक कच्चे तेल की औसत कीमत लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल है. बोफोआ के विश्लेषकों के मुताबिक, उन्‍होंने अपने 2021-22 के राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 7.5% के आधार पर 30% तक बढ़ाकर 7.5 रुपये प्रति लीटर तेल कर कटौती की उम्मीद की है.

शेयर विश्लेषकों ने बताया कि 5 रुपये प्रति लीटर कर की कटौती से केंद्र सरकार की आय लगभग 71,760 करोड़ रुपये कम हो सकती है.

बोफा के मुताबिक, भारतीय तेल कच्चे तेल की कीमत वर्तमान में दिसंबर के मध्य में 50 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 62 डॉलर प्रति बैरल है, जो वैश्विक मांग में कमी और प्रमुख तेल निर्यातक देशों से स्वैच्छिक उत्पादन में कटौती का समर्थन करता है. कम मांग के कारण 2020-21 की पहली छमाही में कच्चे तेल की भारतीय कीमत 19 डॉलर से 44 डॉलर प्रति बैरल की सीमा में थी, जबकि कच्चे तेल का आयात बिल 57% सालाना घटकर 22.5 बिलियन डॉलर हो गया.

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, दिसंबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति (Inflation) में गिरावट का लगभग 90% सब्जियों के दोहरे अंक की गिरावट के कारण था, जो कि सर्दियों के आगमन और अनुकूल आधार प्रभाव से समर्थित था. यह प्रवृत्ति एक अपेक्षित बम्पर खरीफ की फसल और एक अच्छी रबी फसल की बढ़ती संभावनाओं से आगे बढ़ने की संभावना है.

आरबीआई के मुताबिक, बम्पर खरीफ की फसल, अच्छी रबी की फसल की बढ़ती संभावनाएं, प्रमुख सब्जियों की बड़ी सर्दियों की आवक और एवियन फ्लू की आशंका के कारण अंडे और पोल्ट्री की मांग ऐसे कारक हैं जो आने वाले महीनों में सौम्य मुद्रास्फीति के परिणाम को बढ़ा रहे हैं. दूसरी ओर, दाल, खाद्य तेल, मसाले और गैर-मादक पेय पदार्थों के संबंध में मूल्य दबाव जारी रह सकता है.

RBI ने सीपीआई मुद्रास्फीति (Inflation) के लिए चौथी तिमाही में 5.2%, 2020-21 में 5.2-5%, 2021-22 की पहली छमाही में 5.2-5% और 2021-22 की तीसरी तिमाही में 4.3% की वृद्धि को संशोधित किया है.

(कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.)

Published - February 28, 2021, 03:55 IST