इस सप्ताहांत, मैं पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में म्यूचुअल फंडों (mutual funds)की पकड़ के बारे में पढ़ रहा था. उसी समय, मेरे एक करीबी मित्र ने मुझसे इस एसेट क्लास में निवेश पर सलाह मांगी. मेरा 44 वर्षीय दोस्त आईटी प्रोफेशनल हैं, जिसने वयस्क होने के बाद ज्यादातर निवेश अवधि जमा (फिक्स्ड डिपोजिट) और कुछ बीमा प्रोडक्ट्स में ही किया है. उसकी सबसे बड़ी दुविधा है कि मौजूदा परिदृश्य में फिक्स्ड डिपोजिट्स पर काफी कम ब्याज मिल रहा है. उसे धन एकत्रित करने के लिए बेहतर रिटर्न कमाने जरूरत थी और किसी ने उसे बताया कि इसके लिए म्चूचुअल फंड (mutual funds)सही है.
वीकेंड पर काम कम था और मेरे पास काफी समय था, तो मैं अपनी पंसदीदा कुर्सी पर बैठकर उनकी जिज्ञासा में शामिल हो गया. मैंने शुरुआत में उससे पूछा कि उसे म्यूचुअल फंडों के बारे में वाकई कितनी जानकारी हैं. उनका जवाब अनेपक्षित नहीं था. उसने विश्वास के साथ कहा, “म्यूचुअल फंड शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं और 3-5 साल की निवेश अवधि में टैक्स लाभ के लिए बढ़िया रिटर्न भी देते हैं.”
मैं उससे आगे पूछा, “तुम किस प्रकार के फंड में निवेश करना चाहते हो?” उसे दरअसल, दो म्यूचुअल फंडों (mutual funds)में निवेश करना था, जिसमें पहले तो उसे आने वाले 10-12 साल में अपने लिए एक घर बनवाना था और दूसरा, उसके तीन साल के बाद अपनी बेटी की ग्रेजुएशन के लिए फीस जुटानी थी. लेकिन, फंड के चयन को लेकर वह आश्वस्त नहीं था.
उसकी इस दुविधा पर मैंने उसे सलाह दी, “तुम्हें तीन साल की छोटी अवधि के लिए डेट फंडों में और अपनी सपनों के आशियाने के लिए इक्विटी फंडों में निवेश करना चाहिए.”
उसने मेरे में पूछा, “इन दोनों में फर्क क्या है? मुझे तो हमेशा यही लगता था कि म्यूचुअल फंड शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं और छोटी अवधि में इसकी अस्थिरता ज्यादा होती है.”
बहरहाल, पहली बार म्यूचुअल फंडों में निवेश करने वालों के बीच यह आम गलतफहमी है. मैं अपने दोस्त के साथ म्यूचुअल फंडो पर परिचयात्मक परिचर्चा शुरू की. इसी बीच मैंने सोचा कि यदि इसे लिखा जाए, तो इसेस अधिक लोगों को लाभ हो सकता है.
चलिए देखते हैं कि हम कहां से शुरू कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड विभिन्न क्षेत्रियों मसलन इक्विटी, बॉन्ड या दोनों के मिश्रण में निवेश का जरिया हैं। चलिए पहले इक्विटी बाजार का गणित समझते हैं.
यदि आप किसी कारोबार में 100 रुपये का निवेश कर लंबी अवधि में उसके मुनाफे में हिस्सेदारी रखने के लक्ष्य से पैसा लगा रहे हैं, तो 100 रुपये के इस निवेशक को इक्विटी कॉन्ट्रीब्यूशन यानी योगदान कहा जाएगा. जो म्यूचुअल फंड एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध अलग-अलग कारोबार के इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं, उन्हें इक्विटी फंड कहा जाता है.
चूंकी लगातार बदलते हालातों में कंपनियों के कारोबार का मुनाफा घटता-बढ़ता रहता है. छोटी अवधि में इन कारोबार के शेयर की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव रहा हैं. मगर दीर्घावधि में उनकी अस्थिरता कम होती है और ये कंपनी के मुनाफे के साथ ही चलते हैं. इसका अर्थ है कि यदि आईपी इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश कर रहे हैं, तो आपका नजरिया 5,7 या 10 साल जैसी लंबी अवधि का होना चाहिए.
इक्विटी म्यूचुअल फंडों के भीतर, कई किस्म के फंड होते जो इस बात पर आधारित होते हैं कि वे किस प्रकार की कंपनियों में निवेश करते हैं. उदाहरण के लिए, लार्जकैप फंड बड़े आकार के कारोबार में निवेश करतें, जबकि मिडकैप फंड मध्यम आकार के कारोबार में निवेश करते हैं और स्मॉलकैप फंड छोटे आकार की कंपनियों में निवेश करते हैं.
इसके अलावा मल्टीकैप फंड भी होते हैं, जो इन तीनों (लार्ज, मिड और स्मॉल) किस्म की कंपनियों में निवेश करते हैं. इसके अलावा, ऐसे फंड भी हैं, जो निर्धारित सेक्टर जैसे वित्त सेवा, स्वास्थ या टेक्नोलॉजी की कंपनियों में ही निवेश करते हैं. इन्हें थीमेटिक (थीम आधारित फंड) कहा जाता है. साथ ही अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी फंड भी होते हैं, जो विदेशी कंपनियों के इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं.
तुलनात्मक आधार पर, स्मॉलकैप के मुकाबले लार्जकैप फंडों का जोखिम कम होता है. निवेश को फंड का चयन इस आधार पर करना चाहिए कि उनका लक्ष्य क्या है और वे कितना जोखिम उठा सकते हैं. इक्विटी बाजार एक से तीन साल की अवधि में कम या नकारात्मक रिटर्न भी दे सकते हैं. ऐसे में आपको सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि यह रकम आपको निकट भविष्य में नहीं चाहिए.
चलिए, अब बॉन्ड को समझते हैं. यदि आप किसी कारोबार के बॉन्ड में 100 रुपये का निवेश कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आप कंपनी को कर्ज दे रहे हैं और इस पर आपको ब्याज मिलेगा. यदि हम मान लें कि बॉन्ड पर ब्याज दर 7 फीसदी की है, तो आपको हर साल अपने निवेश पर 7 फीसदी का ब्याज मिलेगा. जो म्यूचुअल पंड इस तरह के बॉन्ड में निवेश करते हैं, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड कहा जाता है.
चूंकी बॉन्ड में निवेश की वजह से नियमित ब्याज आता है, इक्विटी म्यूचुअल फंडों के विपरीत इनमें रिटर्न स्थिर रहता है. हालांकि, इक्विटी शेयरों की तरह बॉन्ड की कीमतों और दरों में भी बदलाव हो सकता है. यदि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में बदलाव हो जाए. मगर इनकी अस्थिरता शेयर बाजार की तुलना में काफी कम होती है.
उदाहरण के लिए, यदि आपके पास कोई ऐसा बॉन्ड है, जो 7 फीसदी ब्याज देता है और एक साल के बाद अर्थव्यवस्था में ब्याज दर 8 फीसदी हो जाती है, तो आपके 7 फीसदी ब्याज देने वाले आपके बॉन्ड की कीमतें घट जाएंगी. इसी तरह, यदि अर्थव्यवस्था में ब्याज दर 6 फीसदी हो जाती हैं, तो आपके बॉन्ड की कीमत बढ़ जाएगी. मगर, जैसा आपको पहले भी बताया कि कीमतों में उतार-चढ़ाव शेयरों की तुलना में काफी कम होगा. इसलिए यदि आप कम समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो डेट म्यूचुअल फंड आपके लिए बेहतर होंगे.
डेट म्यूचुअल फंड का वर्गीकरण इस आधार पर किया जाता है कि वे किस तरह के बॉन्ड में निवेश करते हैं. लिक्विड फंड बेहद छोटी अवधि के डेट उपकरणों में निवेश करते हैं, शॉर्ट व मीडियम टर्म फंड 1 से 7 साल के अंदर मैच्योर होने वाले बॉन्ड में निवेश करते हैं और दीर्घावधि फंड बहुत लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश करते हैं, तो 7 से 10 साल या उससे भी अधिक समय में मैच्योर होते हैं.
निवेशकों को फंडों का चयन इस आधार पर करना चाहिए कि वे अपने निवेश से क्या उम्मीद करते हैं. शॉर्ट टर्म और कम जोखिम वाले निवेश के लिए डेट फंड उचित हैं, तो दीर्घावधि लक्ष्यों के लिए इक्विटी फंड सही विकल्प हैं.
समस्या का समाधान दे पाने की उम्मीद के साथ मैंने अपने दोस्त से पूछा, “तो तीन साल निवेश के लिए कहां पैसा लगाओगे?”
उसने कहा, “जाहिर तौर पर डेट फंड में. और अपने सपनों के घर के लिए मैं अगले 10 साल के लिए लार्जकैप कंपनियों में निवेश करुंगा, जो मुझे बढ़िया रिटर्न दे सकते हैं. क्योंकि मेरा मानना है कि मुझे अगले 3-5 साल में इस पैसे की जरूरत नहीं पड़ेगी.”
फोन रखने से पहले मैंने कहा, “अच्छा है. यह छोटे-छोटे कदम है. कभी खाने पर भी घर आओ, तो इन सभी श्रेणियों के बारे में विस्तार से बताउंगा.”
मैंने अपना आर्टिकल पढ़ना जारी रखा. अब मैं समझ सकता हूं कि भारत में म्यूचुअल फंडों की जड़े गहरी क्यों नहीं है. आईटी सेक्टर से लाखों की सैलरी पाने वाले शख्स को भी म्यूचुअल फंडों की बुनियादी जानकारी नहीं है. निश्चिततौर पर हमें काफी लंबा सफर तय करना है.
(नोट: इस आलेख के लेखक एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट में प्रोडक्ट मार्केटिंग प्रमुख हैं। इस लेख में दिए गए विचार उनके निजी हैं। म्यूचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं, योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।)