Cryptocurrency: सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक माहौल के चलते किसी भी एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव होना समझ में आता है. लेकिन, किसी प्रभावशाली शख्स की मनोदशा में होने वाले बदलावों के चलते होने वाले उतार-चढ़ाव समझ से परे हैं.
भले ही वह प्रभावशाली शख्स एलन मस्क क्यों न हो. एक ट्वीट से वैल्यूएशंस का रिकॉर्ड पर पहुंच जाना या निवेशकों की लाखों डॉलर की पूंजी खत्म हो जाना एक खतरनाक ट्रेंड है.
जब एलन मस्क ट्वीट करते हैं तो पूरी दुनियाभर से उस पर प्रतिक्रिया होती है. 5.52 करोड़ फॉलोअर्स के साथ इसमें शायद ही किसी को अचरज हो कि उनका दबदबा कितना व्यापक है.
13 मई को मस्क ने पर्यावरणीय चिंताओं के चलते टेस्ला कारें खरीदने में बिटकॉइन (Bitcoin) के इस्तेमाल को बंद करने का ऐलान किया. ये 8 फरवरी को उनके लिए गए फैसले के उलट था.
मामला यहीं नहीं रुका, मंगलवार को पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एक बयान में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को पेमेंट टोकन के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसने हालात और बिगाड़ दिए.
इन दो घटनाओं ने बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमतों में भारी गिरावट पैदा कर दी. गुजरे कई महीनों से इनमें जारी तेजी का दौर खत्म हो गया और निवेशकों की लाखों डॉलर की पूंजी मिट्टी में मिल गई.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) रेगुलेशंस को लेकर अभी अनिश्चितता का माहौल है. सुभाष चंद्र गर्ग कमेटी ने इस पर पूरी तरह से बैन लगाने की सिफारिश की है. रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे बैन कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को खत्म कर दिया. बाद में वित्त मंत्री ने कहा कि इस बारे में एक नपीतुली एप्रोच पर चला जाएगा.
हालिया रिपोर्ट्स से पता चल रहा है कि एक नया पैनल इसके लिए (Cryptocurrency) एक संशोधित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की सिफारिश करने वाला है.
भारत के करेंसी एक्सचेंजों ने अभी ही इस बात का जश्न मनाना शुरू किया ही था कि नई कमेटी का कदम सही दिशा में है, लेकिन तभी बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमतों में आई गिरावट ने पूरी दुनिया के क्रिप्टो एक्सचेंजों पर भारी खरीद-फरोख्त का दबाव पैदा कर दिया.
इसके चलते भारत के WazirX समेत कई दिग्गज एक्सचेंज बुधवार रात को क्रैश हो गए.
इनवेस्टर्स ने ट्विटर पर आकर अपना गुस्सा निकाला और कहा कि वे अपनी (Cryptocurrency) होल्डिंग्स को बेच नहीं पा रहे हैं. एक अनरेगुलेटेड मार्केट में इस तरह के नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
भारतीय निवेशकों को इस हकीकत को समझना होगा कि उनके तथाकथिक ‘निवेश’ की फिलहाल कोई रखवाली करने वाला नहीं है.
सरकार को अपनी तरफ से भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के लीगल और रेगुलेटरी दर्जे पर लंबे वक्त से जारी चिंताओं को दूर करना चाहिए. इस मामले में अनिश्चितता को खत्म कर तस्वीर साफ की जानी चाहिए.
क्रिप्टो समर्थक हालांकि दूसरे दावे करते हैं, लेकिन जब तक इस सेक्टर में रेगुलेटर नहीं आता, भारतीयों को बिटकॉइन (Bitcoin) में पैसे लगाने से दूर रहना चाहिए.
मौजूदा वक्त में यह (Cryptocurrency) एक जुए से ज्यादा कुछ नहीं है जो कि आपकी पूंजी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. बाद में पछताने से अच्छा है कि सुरक्षित निवेश किया जाए.