शेयर बाज़ार पर नज़र रखनेवाले हर इंसान के मन में यह सवाल ज़रूर होता है कि बाज़ार कब गिरेगा, कितना गिरेगा और क्या इसकी ख़बर पहले से लग सकती है? दूसरी तरफ़ यह सवाल भी है कि बाज़ार अभी और कितना ऊपर जाएगा, कितना ऊपर जाने की गुंजाइश है, और कितनी तेज़ी के बाद यह कहा जा सकता है कि अब बस हुआ? या बाज़ार की ज़ुबान में कहें तो बाज़ार ओवर हीटेड है?
इसके साथ ही हर बार बाज़ार गिरते ही यह सवाल भी मन में आता है कि क्या मंदी शुरू हो गई? क्या अब सब बेचकर निकल लेना चाहिए? या कहीं हमारे बेचते ही बाज़ार फिर रॉकेट की रफ़्तार से ऊपर चल पड़ा तो क्या करेंगे?
इन सवालों का जवाब अगर कोई दे सकता, या इनके जवाब तलाशने का कोई अचूक फ़ॉर्मूला होता तो फिर आगे बात करने का कोई अर्थ ही नहीं था. लेकिन, सच यही है कि बाज़ार कब ऊपर जाएगा और कब नीचे यह किसी को पता नहीं है. किसी भी बड़े जानकार से बात करो वो यही बताते हैं कि बाज़ार की चाल की भविष्यवाणी संभव नहीं है. मगर साथ ही वो यह भी बताया करते हैं कि बाज़ार के उतार चढ़ाव से भी मुनाफ़ा कमाया जा सकता है. बशर्ते आप बाज़ार की चाल पढ़ना सीख लें. लेकिन वो भी एक बेहद मुश्किल काम है. दुनिया के सबसे जानकार निवेशक कहते हैं कि वो बाज़ार के ऊपर या नीचे जाने की भविष्यवाणी नहीं कर सकते.
लेकिन इसका मतलब क्या यह है कि आप बाज़ार में आंख बंद करके तलवार भांजते रहें? क़तई नहीं. आप इतना तो कर ही सकते हैं कि ख़ुद को नुक़सान से बचाकर रखें. बहुत फ़ायदा भले न हो, नुक़सान होने से बचाते रहें और जितना फ़ायदा होता जाए उसे लॉक करते चलें. यह भी आसान नहीं है. कोरोना के बड़े झटके के बाद क़रीब साल भर से लगातार बढ़ रहा था बाज़ार. और पिछले हफ़्ते चार दिन की गिरावट के बाद सोमवार को क़रीब दो परसेंट की तेज़ गिरावट ने बड़े बड़ों को हिला दिया है. सबको डर लग रहा है. और डर का कारण भी है. विद्वानों की मानें तो दुनिया के बाज़ारों से मंदी के संकेत आ रहे हैं. बॉन्ड बाज़ार में गर्मी से सरकारी क़र्ज़ बढ़ने का ख़तरा बढ़ता दिख रहा है. देश के अनेक हिस्सों में कोरोना फिर पैर पसार रहा है. ख़ासकर कारोबारी राजधानी मुंबई में लॉकडाउन की आशंका ही शेयर बाज़ार को बुख़ार चढ़ाने के लिए काफ़ी है. और इसके साथ वो सारे लोग उत्साहित हो गए हैं जो काफ़ी समय से कह रहे थे कि शेयर बाज़ार ज़रूरत से ज़्यादा चढ़ चुका है. यानी महंगा है.
बाज़ार में दो सवा दो परसेंट की गिरावट का अर्थ है एक दिन में निवेशकों के सवा तीन लाख करोड़ से ऊपर की रक़म हवा हो जाना. लेकिन याद रखिए कि दो परसेंट या पिछले चार पांच दिन की गिरावट से पहले यही बाज़ार सौ परसेंट ऊपर भी चढ़ा है. अब हिसाब लगाइए कि यह दो परसेंट या चार परसेंट का नुक़सान है या पच्चानबे परसेंट से ऊपर का फायदा.
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.
Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.