गुजरे एक साल में भारतीयों ने जमकर पैसे बचाए हैं. लॉकडाउन, नौकरियां खत्म होने और आमदनी घटने के बावजूद देश में पारिवारिक बचत (हाउसहोल्ड सेविंग्स) में इजाफा हुआ है. एक प्रमुख ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में देश में हाउसहोल्ड सेविंग्स GDP का 19.8 फीसदी थी जो कि 2020 में बढ़कर 22.5 फीसदी पर पहुंच गई. समाज में असुरक्षा की भावना को देखते हुए ये उछाल हुआ है. रिजर्व बैंक के कराए गए कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में भी इसी बात का जिक्र किया गया है. रोजगार, कमाई और कीमतों को लेकर कमजोर सेंटीमेंट ने लोगों को बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
अब चूंकि हम काफी पैसा बचा चुके हैं, ऐसे में हमें अब सेविंग्स से इनवेस्टमेंट कीओर बढ़ना चाहिए. सेविंग एक रूढ़िवादी एप्रोच है, और एक वक्त के बाद संतुलित जोखिम लेते हुए हमें इनवेस्टमेंट के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो केवल सेविंग्स से महंगाई के चलते आपकी पूंजी घट जाएगी.
देश में बड़े स्तर पर निवेश के विकल्प मौजूद हैं और ये अलग-अलग स्तर के जोखिम के साथ आते हैं. एक तरफ सरकारी गारंटी वाली फिक्स्ड इनकम स्कीमें हैं और दूसरी ओर, ज्यादा जोखिम वाले फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के विकल्प हैं, जिनमें आपकी पूंजी एक झटके में साफ हो सकती है. गुजरे वक्त में कई लोग पोंजी स्कीमों का शिकार हुए और लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई इन स्कीमों में गंवा दी.
सबसे बढ़िया तरीका रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत और ज्यादा लालच दिखाए बगैर निवेश करने का है. जो पैसा भारतीय लोग बचाते हैं अगर उसे वे सही तरीके से निवेश करें तो इससे एक आकस्मिक फंड तैयार हो सकता है. अगर महामारी लंबे वक्त तक जारी रहती है तो ये फंड आपके काम आ सकता है.
ऐसे वक्त में जबकि अनिश्चितता ज्यादा हो, निवेश नपेतुले तरीके से करना चाहिए ताकि आपको महंगाई के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिल सके. 4 अप्रैल की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई ने महंगाई के 6 फीसदी की दर के भीतर रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि, उस वक्त कोविड के हालात उतने भयान नहीं हुए थे.
आप कड़ी मेहनत करते हैं, ऐसे में अपने पैसे को यूं ही बैंक में छोड़ने की बजाय निवेश कीजिए.