हेल्थ इंश्योरेंसः आपके लिए 50,000 रुपये ज्यादा हैं या 50 लाख?

लोग हेल्थ इंश्योरेंस के लिए 50000 रुपये प्रीमियम नहीं देना चाहते, लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि क्या वे 50 लाख का अस्पताल का बिल भर सकते हैं.

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वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपने टैक्स बचाने के लिए अब चंद दिन बचे हैं. हमारे एक्सपर्ट्स ने लाखों ITR का विश्लेषण किया है और पाया है कि आपमें से कई लोग टैक्स सेविंग के विकल्पों का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं. ये टैक्स सेविंग उपाय आपके परिवार के स्वास्थ्य, पूंजी और खुशहाली के लिए जरूरी हैं.
इनमें से एक उपाय मेडिकल इंश्योरेंस है. जो कि अचानक से पैदा होने वाली परिस्थितियों में न केवल आपके बटुए की सुरक्षा करती है, बल्कि आपके टैक्स के उत्तरदायित्व को भी कम करती है.

क्या 50 हजार रुपये 50 लाख पर भारी पड़ते हैं?
ये थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन कई टैक्सपेयर यही कहते हैं. जब अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेने की बात आती है तो ये एक आम तर्क होता है कि मेरे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं जिन्हें मैं इस पर खर्च करूं. जो लोग ऐसा कहते हैं उन्हें अपने शब्दों का विश्लेषण करने की जरूरत है. अगर वे 50,000 रुपये प्रीमियम नहीं भर सकते हैं तो वे 10-20 लाख रुपये का अस्पताल का बिल कैसे भरेंगे. हाल के वर्षों में इलाज का खर्च बहुत बढ़ा है. कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं जिन पर 50 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है.

लेकिन, टैक्स के मोर्चे पर एक अच्छी खबर है. अपने, परिवार और पेरेंट्स के लिए मेडिकल इंश्योरेंस के चुकाए जाने वाले प्रीमियम पर सालाना 55,000 रुपये तक का टैक्स डिडक्शन मिल सकता है. अगर आप अपने, अपने साथी और बच्चों के लिए कवर लेते हैं तो आप 25,000 रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. सीनियर सिटीजंस के मामले में यह सीमा 30,000 रुपये है. अगर आप अपने पेरेंट्स के लिए हेल्थ कवर ले रहे हैं तो यह डिडक्शन 25,000 रुपये (सीनियर सिटीजंस के मामले में 30,000 रुपये) और बढ़ जाता है.

यह बात दिमाग में रखिए कि हेल्थ इंश्योरेंस न लेना आपके और आपके परिवार की वित्तीय हालत को बिगाड़ सकता है. कई दफा हेल्थ इंश्योरेंस न होना जीवन और मरण का सवाल बन जाता है. खासतौर पर ऐसे वक्त पर जबकि कोई ऐसी आकस्मिक स्थिति पैदा हो जाए जबकि आपके लिए देरी करना खतरनाक साबित हो सकता हो.
आपने मेडिकल इंश्योरेंस नहीं लिया है

आपका ITR दिखाता है कि आपने अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है. न ही गुजरे वित्त वर्ष में कोई प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप हुआ है. यह सलाह दी जाती है कि आप इस साल ऐसा कर लें ताकि अपने बटुए को किसी बड़ी चोट से बचा सकें. साथ ही आपके प्रियजन सुरक्षित रहें और उन्हें सबसे बढ़िया मेडिकल केयर मिल पाए.

3 में से 2 टैक्सपेयर्स एक जैसी गलती करते हैं
टैक्सपेयर डेटा बताता है कि हर तीन में से दो टैक्सपेयर्स मेडिकल इंश्योरेंस लेने से बचते हैं. ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं. करीब 67 फीसदी टैक्सपेयर् 50 लाख रुपये तक के मेडिकल बिल अपनी जेब से चुकाने के लिए तो तैयार हैं, लेकिन वे इंश्योरेंस कवर के लिए 50,000 रुपये नहीं देना चाहते. बल्कि अगर आप टैक्स बेनेफिट को इसमें जोड़ें तो आपके बीमा की कॉस्ट 35,000 रुपये बैठती है.

हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर कुछ भ्रम

टैक्स अथॉरिटीज शायद डिडक्शन को मंजूरी नहीं देंगेः लेकिन, यह सच नहीं है. मेडिकल इंश्योरेंस और प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप पर टैक्स डिडक्शन पूरी तरह से कानूनी है. बल्कि, सरकार ने हाल के वर्षों में इस सीमा को बढ़ाया है ताकि टैक्सपेयर्स ज्यादा इंश्योरेंस कवर ले सकें.

परिवार को मेडिकल केयर की जरूरत नहीं हैः इस पर अगर एक रिएलिटी चेक हो तो बेहतर होगा. आपके परिवार का कोई सदस्य हॉस्पिटलाइज्ड नहीं हुआ है, इसका मतलब ये नहीं है कि आपको भविष्य में मेडिकल केयर की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपको पहले से इसके लिए इंतजाम करने चाहिए.

हर किसी को मेडिकल इंश्योरेंस की जरूरत नहीं होतीः यह भी एक झूठ है. अपनी लाइफस्टाइल देखिए और इलाज के ऊंचे खर्च पर भी नजर डालिए. हर किसी को मेडिकल इंश्योरेंस की जरूरत पड़ती है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में ही गरीबों के लिए एक महत्वाकांक्षी हेल्थ प्लान लॉन्च किया है. एक टैक्स एक्सपर्ट के तौर पर, हम यह मजबूती से मानते हैं कि आपको कवर लेना चाहिए और टैक्स डिडक्शन क्लेम करना चाहिए.

मेरे पास कंपनी का दिया ग्रुप कवर हैः ग्रुप मेडिकल पॉलिसी शायद पर्याप्त नहीं होगी. इस तरह की पॉलिसीज बेसिक जरूरतों के लिए होती हैं, जबकि भारी बिल से आपकी सेविंग्स खत्म हो सकती हैं. अपनी कंपनी की पॉलिसी को किसी भी हॉस्पिटल में लेकर जाइए और देखिए कि क्या इसमें सभी बड़ी बीमारियां कवर्ड हैं या नहीं.

मेडिकल इंश्योरेंस से कोई रिटर्न नहीं मिलताः हेल्थ इंश्योरेंस से रिटर्न की उम्मीद करना बेमानी है. इनका मकसद यह है कि आप अचानक आने वाली मेडिकल स्थितियों से उबर सकें और आपकी सेविंग्स बची रहें. अगर साल भर आपके परिवार में किसी को कोई भी दिक्कत नहीं होती है तो आपको नो-क्लेम बोनस मिलता है और आपको ज्यादा बड़ा कवरेज मिलता है.

Published - March 22, 2021, 11:10 IST