कोविड-19 के मामलों में उछालः क्या भारत दूसरा लॉकडाउन बर्दाश्त कर पाएगा?

देश एक और Lockdown झेलने की हालत में नहीं है. लोगों को खुद जिम्मेदारी बरतनी होगी. दूसरी ओर, सरकार को भी वैक्सीन राष्ट्रवाद पर गौर करना होगा.

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कोविड-19 की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है. ऐसे में एक और लॉकडाउन (Lockdown) तय लग रहा है. लॉकडाउन (Lockdown) की एक कॉस्ट होती है. भारत आर्थिक रूप से एक और लॉकडाउन (Lockdown) बर्दाश्त नहीं कर सकता है. लेकिन, लोग मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और ऐसे में सरकार के पास अब सीमित विकल्प ही बचे हैं. लोगों को समझना होगा कि आर्थिक गतिविधियां थमने से उन पर तगड़ी मार पड़ेगी. मॉल्स और भीड़भाड़ वाली गलियों में लोग लापरवाह होकर घूम रहे हैं.

भारत में एक दिन में 43,846 नए कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं जो कि इस साल अब तक एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या 1,15,99,130 पर पहुंच गई है.

पिछले साल भारत संक्रमण के नए मामलों पर लगाम लगाने में कामयाब हो गया था और दुनिया भारत को एक मिसाल के तौर पर देख रही थी. हालांकि, हालिया वक्त में संक्रमण में फिर से तेजी पैदा होना यह सवाल पैदा कर रहा है कि क्या देश को एक और लॉकडाउन (Lockdown) का सामना करना पड़ेगा?

वैक्सीन राष्ट्रवाद भी जरूरी
नए मामले ऐसे वक्त पर बढ़ रहे हैं जबकि देश में जबरदस्त वैक्सीन मुहिम चल रही है. हकीकत में तो अमरीका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है जहां पर इतनी तेजी से वैक्सीनेशन हो रहा है. भारत वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग का हब बन गया है और दुनिया के तमाम देशों को वैक्सीन मैत्री के तहत वैक्सीन मुहैया भी करा रहा है. सरकार को हालांकि वैक्सीन डिप्लोमैसी और वैक्सीन नेशनलिज्म के बीच एक संतुलन पैदा करना होगा. देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र को घरेलू आबादी को पहले वैक्सीन देनी चाहिए.

क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
लेकिन, सवाल यह पैदा हो रहा है कि आखिर मामले बढ़ क्यों रहे हैं? यहां कुछ वजहें जिनके चलते ऐसा हो रहा है. लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. लॉकडाउन की पाबंदियां हटने के बाद माना जा रहा था कि संक्रमण में फिर से तेजी आएगी.

क्या देश बर्दाश्त कर पाएगा एक और लॉकडाउन?
कई लोगों का मानना है कि देश एक और लॉकडाउन (Lockdown) को बर्दाश्त नहीं कर सकता है. इसके भयंकर सामाजिक और आर्थिक परिणाम होंगे. हम पहले लॉकडाउन (Lockdown) के दुष्परिणाम देख चुके हैं और इसके नौकरियों और अर्थव्यवस्था पर बुरे असर को देख चुके हैं.

इसका क्या समाधान है?
पहला, सरकार को वैक्सीनेशन की स्पीड को तुरंत बढ़ाना होगा. दूसरा, वैक्सीन को सबके लिए उपलब्ध कराना होगा. इसमें से 60 साल या 45 साल से ऊपर के और पहले से बीमार लोगों की हद को खत्म करना चाहिए. आखिर में, बतौर नागरिक शायद हम नियमों का पालन अच्छे से नहीं कर रहे हैं. अपने हाथ धोइए. मास्क पहनिए और सामाजिक दूरी का पालन कीजिए.
पूरी तरह से सरकार पर दोष डालना ठीक नहीं होगा. नागरिकों पर ज्यादा जिम्मेदारी है क्योंकि उन्हें कोविड की हिदायतों का पालन करना है. इनसे न सिर्फ आपकी सुरक्षा होगी, बल्कि दूसरे भी सुरक्षित रहेंगे. एक नागरिक के तौर पर हमें देखना होगा कि हमारे इर्दगिर्द चीजें सुरक्षित होंगे. ये छोटे सुरक्षित क्लस्टर ही दूसरे लॉकडाउन से बचने का सबसे अच्छा तरीका साबित होंगे.

Published - March 21, 2021, 05:02 IST