शेयर बाजार में मार मची हुई है. हालांकि शेयरों में उतार चढ़ाव दिख रहा है, लेकिन IPO की लाइन लगी हुई है और लगती जा रही है. इस हफ्ते आधा दर्जन IPO मैदान में उतरे. इनमें अनुपम रसायन, कल्याण ज्वेलर्स, लक्ष्मी ऑर्गेनिक, नज़ारा टेक्नोलॉजीस, क्राफ्ट्समैन ऑटोमेशन और सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक शामिल हैं.
नज़ारा टेक्नोलॉजीज़ एक वीडियो गेमिंग कंपनी है. अपनी तरह का पहला IPO है और राकेश झुनझुनवाला का नाम जुड़ा होने से इसमें बहुत से लोगों की दिलचस्पी भी जाग गई है. लेकिन बात इस कंपनी के कारोबार की नहीं IPO बाजार की हो रही है जो खुद ही एक फास्ट एक्शन वीडियो गेम की तरह चल रहा है. पिछले साल भर में आए ज्यादातर IPO में अर्जी लगाने वालों की कमाई कुछ वैसी ही हुई है जैसी वीडियो गेम में होती है. और उसी अंदाज में उनका उत्साह भी बढ़ रहा है.
पिछले साल से अब तक जो पच्चीस आईपीओ लिस्ट हुए हैं उनमें से अठारह में लिस्टिंग के दिन ही कमाई हुई है. वो भी तेरह से लेकर एक सौ तीस परसेंट तक. चार IPO तो ऐसे रहे जो लिस्टिंग के दिन ही डबल हो गए. चारों तरफ डर, चिंता और मायूसी के माहौल में यह मुनाफा कैसा मजा देता है बताया नहीं जा सकता. और इसी मुनाफे के चक्कर में खासकर वो लोग बाजार में लाइन लगा रहे हैं जिनके पास मोटा पैसा है या फिर जिन्हें इसके लिए कर्ज मिल जाता है. इन्हें HNI या हाइ नेटवर्थ इंडिविजुअल कहा जाता है. आम जुबान में अमीर लोग. लेकिन IPO में इन्हें एक समस्या है. हर आईपीओ का पैंतीस परसेंट हिस्सा छोटे निवेशकों के लिए रिजर्व होता है. वो लोग जो दो लाख रुपए से कम की अर्जी लगाते हैं. और पचास परसेंट जाता है बड़े संस्थानों या क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के नाम. इस कोटे में अमीर लोग भी शामिल हो सकते हैं लेकिन उसके लिए उन्हें सेबी (SEBI) के पास रजिस्टर्ड होना ज़रूरी है. तो अब बचे पंद्रह परसेंट शेयर. देखने में कम लगते हैं. लेकिन एक फायदा है. यहां जितनी बड़ी एप्लीकेशन उतना ज्यादा एलॉटमेंट मिलता है. यानी मोटा पैसा लगाने पर ज्यादा शेयर मिलेंगे इतना तय है. और अगर लिस्टिंग के दिन ही मोटा मुनाफा भी बन गया तो क्या कहने!
इसीलिए एचएनआई (HNI) या ज्यादा पैसा लगानेवाले लोग जोश में हैं. इनमें बहुत से ऐसे लोग भी शामिल हो गए हैं जिनके पास खुद का पैसा नहीं है बल्कि वो बाजार से पैसा ब्याज पर उठाकर यानी उधार लेकर एप्लिकेशन लगाते हैं. उन्हें करीब करीब यकीन होता है कि जितना ब्याज भरेंगे उससे ज्यादा पैसा कमा लेंगे. पिछले साल भर में ब्याज भी काफी गिरा है.
हाल के ही IPO देखें तो HNI या हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल ने होम फर्स्ट फाइनेंस और स्टोव क्राफ्ट में तैंतीस से सैंतीस गुना अर्जियां लगाईं. बर्गर किंग और ईज़ माई ट्रिप में यह आंकड़ा साढ़े तीन सौ से चार सौ गुना तक और मिसेज बेक्टर्स फूड और एम टी ए आर टेक्नोलॉजीज़ के मामले में तो छह साढ़े छह सौ गुना तक हो गया था.
इधर एक साथ छह इश्यू आए तो कर्ज भी महंगा हो गया है. इतना पैसा लगाकर अर्जी क्यों लगाई जा रही हैं. क्योंकि आप जितनी बड़ी अर्जी लगाते हैं आपको उतने ज्यादा शेयर मिलने का चांस होता है. लिस्टिंग के दिन कितना प्रीमियम मिलेगा, कितना फायदा होगा और उसके लिए किस रेट पर पैसा उठाना फायदेमंद है, यह सोचकर ही पैसा उठाया और लगाया जाता है.
लेकिन रिटेल इन्वेस्टर के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है. किसी के कहने पर, लालच में फंसकर, आप उधार लेकर शेयरों में अर्जी लगाने के खेल में न फंसें. यह जिनका काम है उन्हीं को करने दें. आप सीधे रास्ते से अपने खाते में रखी रकम के हिसाब से ही एप्लीकेशन लगाएं. हालांकि रिजर्व बैंक भी चिंतित है कि एनबीएफसी (NBFC) कंपनियां इसके लिए अनाप शनाप लोन दे रही हैं. जल्दी ही उसपर कोई लिमिट भी लग सकती है. तब यह बुखार ठंडा पड़ेगा या नहीं यह देखना है. लेकिन अक्सर बाजार के उफान पर पानी डालने का काम ऐसी ही कोई खबर कर देती है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते)