हर फाइनेंशियल साल के आखिरी तीन महीने यानि जनवरी-फरवरी- मार्च में ही अधिकतर लोगों को टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट की याद क्यों आती है? जब जनवरी में ऑफिस का HR इंवेस्टमेंट प्रूफ मांगता है तो हम आनन फानन में जुट जाते हैं इंवेस्टमेंट करने की होड़ में. ये लास्ट मिनट पर टैक्स बचाने के लिए की जा रही इंवेस्टमेंट आधे मन से किए जाने वाले काम की तरह होती है. न तो सही तरीके से निवेश हो पाता है और टैक्स मिस कैलकुलेशन की गुंजाइश भी रहती है.
27 साल के अमर ने बताया कि उन्होंने टैक्स की इस टेंशन से बचने के लिए नया टैक्स स्ट्रक्चर चुना है. टैक्स की पुरानी रिजीम में आप 5%, 20% और 30% के रेट पर टैक्स देते हैं और कई 80C, 80D, 80CCD जैसे कई छूट ले सकते हैं. लेकिन, नए टैक्स स्ट्रक्चर में आप कोई छूट नहीं ले सकते और 5%, 10%, 15%, 20%, 25% और 30% के 6 स्लैब के हिसाब से टैक्स देते हैं. पुरानी टैक्स व्यवस्था में सीधा 5% के बाद 20% का टैक्स रेट लागू होता है तो वहीं नए टैक्स स्ट्रक्चर में कम दर पर टैक्स का फायदा मिल जाता है. लेकिन, क्या अमर ने इस रिजीम को इसलिए चुना कि उनकी टैक्स की लायबिलिटी कम हो जाएगी?
वास्तविकता ये है कि अमर जब पुराने रिजीम में थे तो आखिरी समय में टैक्स बचाने के चक्कर में बिना समझे किए हुए दो इंवेस्टमेंट इन्हें भारी पड़ गए. पहला इन्होंने इंश्योरेंस खरीद लिया, इंश्योरेंस ज़रूरी है लेकिन अपनी ज़रूरत के हिसाब से खरीदा जाना चाहिए ना कि टैक्स बचाने के लिए. फिर हर साल आधे मन से बिना जरूरत वाले इंश्योरेंस का प्रीमियम देते हुए या तो आप उसे रोक देंगे और जिस इंश्योरेंस की आपको जरूरत है आप उससे दूर भाग जाएंगे. अमर की दूसरी गलती इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में निवेश किया शुरू किया, वो भी SIP के ज़रिए. ELSS में तीन साल का लॉक इन होता. अमर को लगा तीन साल ज्यादा लंबा समय नहीं है पैसे निकाल लेंगे. लेकिन, बाद में समझ आया कि ELSS में हर SIP की मैच्योरिटी तीन साल में होगी.
जनवरी 2021 मे की गई SIP जनवरी 2024 में मैच्योर होगी तो फरवरी वाली SIP फरवरी 2024 में. मतलब आपके पैसे लंबे समय के लिए लॉक रहेंगे. इसमें न इंश्योरेंस बुरा है न ELSS में कोई कमी है, लेकिन आप किसे कब चुने इसमें गलती कर बैठते हैं. हर निवेश का चुनाव अपनी ज़रूरत और फाइनेंशियल लक्ष्य के मुताबिक होना चाहिए, न कि टैक्स बचाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए. आप बेशक नया टैक्स स्ट्रक्चर चुन सकते हैं अगर उसमें ज्यादा टैक्स बच रहा हो तो, लेकिन इसलिए न चुने क्योंकि आप निवेश करने से भागना चाहते हैं. सही निवेश करके टैक्स बचाएं.
कोई भी इंवेस्टमेंट करने से पहले अपनी सारी कैलकुलेशन कर लीजिए. जैसे कि 1.5 रुपए की 80C की बचत पाने के लिए आप निवेश करना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि आपका एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड की तरफ जो पैसा जमा हो रहा है उसकी छूट भी यहां मिलती है तो उसे इसमें शामिल करने के बाद देखें कि कितने और इंवेस्टमेंट की ज़रूरत है. फिर ऐसा निवेश चुने जो आपकी जरूरत हो और जिसे आप ठीक से समझते हों. जैसे कि NPS में निवेश की शुरूआत कर सकते हैं. इससे आपकी रिटयरमेंट प्लानिंग की शुरुआत हो सकती है.
अगर 80C में सही तरह से निवेश करेंगे तो 46,800 रुपए तक की टैक्स बचत हो सकती है. जरूरी नहीं कि सारी छूट 80C के जरिए ही ली जाए. आप 80 D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स छूट ले सकते हैं. हेल्थ कवर भी मिलेगा और टैक्स भी बचेगा. पेरेंटस के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीद कर ज्यादा टैक्स छूट ले सकते हैं. 1300 से 7800 का टैक्स बचाया जा सकता है.
नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने वाला है आधे मन से किए जाने वाले इंवेस्टमेंट से अच्छा है कि पूरे मन से प्लानिंग करके साल की शुरुआत से इंवेस्टमेंट कीजिए और लास्ट मिनट रश से बचिए.