क्या आपने एक बात नोटिस की? अचानक से आईपीएल के मैच के दौरान क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के विज्ञापनों की संख्या काफी बढ़ गयी है. बहुत ही मामूली रकम पर निवेश करने और निवेश का तरीका बेहद ही सरल होने का झांसा दिया जा रहा है. कुछ कंपनियां तो शुरुआती ऑफर के तौर पर पहले आने वालों को 100 रुपये का मुफ्त क्रिप्टोकरेंसी देने का वायदा भी कर रही है. अब अगर पूरे विज्ञापन को गौर से देंखे तो साफ-साफ आगाह वाले संदेश आपको नहीं मिलेंगे जबकि देश में क्रिप्टोकरेंसी की क्या स्थिति है, यह किसी से नहीं छिपी.
याद कीजिए वर्षों पहले म्यूचुअल फंड से जुड़े विज्ञापन. चूंकि शेयर बाजार को समझना बहुत ही मुश्किल काम है, लिहाजा हिदायत दी गयी कि म्यूचुअल फंड के रास्ते शेयर बाजार में पैसा लगाना बेहतर होगा. तमाम फंड कंपनियों ने विज्ञापन देना शुरु किया. 2005 में सेबी (SEBI) ने तय किया कि विज्ञापन के अंत में डिस्क्लेमर देना जरूरी किया जिसमें कहा गया है कि यह निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसीलिए निवेश के पहले सभी दस्तावेज ध्यानपूर्वक पढ़ें
अखबार या पत्र पत्रिकाओं में तो इस निर्देश का पालन करना मुश्किल नहीं था, असली परेशानी थी टीवी की. जहां 10 सेकेंड या 20 सेकेंड के विज्ञापन में डिस्क्लेमर कहने के लिए अतिरिक्त समय निकालना. लेकिन विज्ञापन तैयार करने वालों ने इसका भी तोड़ निकाल डाला और डिस्क्लेमर की बात दो सेकेंड या उससे भी कम सेकेंड मे कह डालते. मतलब विज्ञापन के अंत में आने वाला इस डिस्क्लेमर का विज्ञापन कुछ इस रफ्तार से आता कि किसी के लिए समझना आसाना नहीं होता और डिस्क्लेमर पेश करने की रस्म अदायगी हो जाती.
बहरहाल, यह सिलसिला ज्यादा समय नहीं चला, क्योंकि सेबी (SEBI) ने 1 अप्रैल 2008 से नए नियम लागू करने का फैसला किया जिसके पांच सेंकेंड के भीतर ठहराव के साथ स्पष्ट शब्दों में डिस्क्लेमर देने की बात कही गयी. हालांकि शुरू-शुरू में म्यूचुअल फंड कंपनियों ने तीखी आपत्ति जतायी कि 10 सेकेंड या 20 सेकेंड के विज्ञापन में 5 सेकेंड महज डिस्क्लेमर पर लगाना घाटे का सौदा होगा, लेकिन अंत में उन्हे इसे प्रस्ताव पर अमल करना पड़ा.
याद है कि बीमा के विज्ञापन में भी डिस्क्लेमर आता है कि बीमा आग्रह का विषय वस्तु है. अब तो गेमिंग ऐप के साथ भी कहा जाने लगा है कि इस खेल में वित्तीय जोखिम के तत्व हैं और उसकी आदत पड़ सकती है. कृपया जिम्मेदारी से और अपने जोखिम पर खेलें. मुमकिन है कि एक वैधानिक संस्था के कहे जाने के बाद ही यह सब शुरू हुआ, लेकिन फिर भी तय है कि जो लोग भी इन बेवसाइट या ऐपलिकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हे एक बार में जोखिम का अहसास तो होगा. अब यह उनके ऊपर निर्भर करता है वो कितना जोखिम उठाने को तैयार है या नहीं.
अब आप एक क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का विज्ञापन को लें. सब कुछ अच्छा दिखाया जा रहा है. आपसे कहा जा रहा है इस माध्यम में पैसा लगाना कितना आसान है. हर समय सलाह देने वाले उपलब्ध है. विज्ञापन खत्म. बिल्कुल आखिर के प्लेट पर एक पंक्ति लिखी आती है – Cryptocurrency is an unregulated digital currency, not a legal tender and subject to market risk (क्रिप्टोकरेंसी एक अनियमित डिजिटल करेंसी है और कानूनी तौर पर ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकती और इसमें मार्केट से जुड़े जोखिम शामिल हैं). गारंटी है कि विज्ञापन देखने वाले विरले ही होंगे जिन्होंने यह डिस्क्लेमर (Disclaimer) देखा या पढ़ा होगा. अव्वल तो यह इतने छोटे फांट मे लिखा है उसे पढ़ना संभव नहीं और फिर 10-20 सेकेंड के विज्ञापन में इसे कोई ठहराव तो दिया ही नहीं जाता, वॉइस ओवर की तो बात ही छोड़ दीजिए.
अब गौर करने की बात यह है कि बजट सत्र के ठीक पहले क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नया कानून लाने का प्रस्ताव सरकार ने रखा. इसे बकायदा संसद की कार्यसूत्री मे जगह भी मिली. कहा गया तमाम निजी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर पाबंदी लगेगी और रिजर्व बैंक को नया वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) लाने की इजाजत मिलेगी. जैसे-जैसे सत्र आगे बढ़ता गया, बिल की बात उतने ही पीछे होती गयी. फिर कहा गया इस पर और ज्यादा विचार-विमर्श की जरूरत है और आने वाले समय में बिल लाया जा जाएगा. वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने तो यह कहकर चौंका भी दिया कि सब कुछ खत्म नहीं होने वाला.
अब यह बिल कब आएगा, या आएगा भी नहीं, इस बारे में कोई कुछ साफ कहने को तैयार नहीं. लेकिन इन सब के बीच क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) वाली कंपनियां नए तेवर के साथ बाजार में आ गयी हैं और लोगों को लुभाने में लग गयी हैं. कंपनियों की मानें तो रिस्पॉन्स बहुत अच्छा है. फिलहाल, जरूरत इस बात है कि इन प्रोडक्ट के विज्ञापन में स्पष्ट तौर पर जानकारी दी जाए और लोगों को आगाह किया जाए अभी इस तरह के निवेश विकल्प के लिए कोई कानून है ही नहीं और साथ ही इसे अभी कोई कानूनी मान्यता नहीं मिली हुई है. कम से कम 5 सेंकेंड के वॉइस ओवर में यह बात कही जाए.
सवाल उठता है कि ऐसा करने को कहेगा कौन?
Disclaimer: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.