Vaccine Production: वैक्सीन किस देश को सबसे पहले मिलना चाहिए? ब्रिटेन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था NHS ने कहा है कि वहां वैक्सीन की सप्लाई (Vaccine Supply) में बड़ी कमी आ सकती है. उनका कहना है कि सीरम इंस्टिट्यूट (SII) की ओर से सप्लाई में कमी की वजह से युनाइटेड किंग्डम में वैक्सीन की कमी पड़ सकती है. ट्विटर पर इस बात को लेकर सरगर्मी रही कि जब वैक्सीन के लिए ऑर्डर और पेमेंट किया गया है तो उसका सप्लाई भी होना चाहिए. सीरम इंस्टिट्यूट के CEO आदर पूनावाला ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा है कि यूके को 50 लाख डोज सप्लाई किए जा चुके हैं और बाकी कुछ समय में किए जाएंगे. उनका कहना है कि सप्लाई घरेलू जरूरतों के आधार पर भारत की सरकार के निर्देश पर निर्भर करेगा.
साथ ही उन्होंने अमेरिका से कच्चे माल की सप्लाई में कमी की भी बात कही. सीरम इंस्टिट्यूट (SII) ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की डेवलप की वैक्सीन को मैन्युफैक्चर कर रहा है, इसलिए ब्रिटेन को सप्लाई करना पूरी तरह एक बिजनेस डील की तरह माना जा रहा है. ऐसे में सवाल यही उठते हैं कि किस देश की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए?
वहीं दूसरी ओर इस पूरे हफ्ते भारत में ये मुद्दा गर्म था कि विदेश में सप्लाई (Vaccine Supply) की जा रहे डोज भारत में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन से ज्यादा है. 20 मार्च सुबह 7 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 4.20 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी है जिसमें से 3.48 करोड़ को पहला डोज दिया गया है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव के मुताबिक सवा 7 करोड़ से ज्यादा डोज राज्यों को दिए जा चुके हैं और भारत अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के तहत विदेश में वैक्सीन की सप्लाई कर रहा है. वहीं 16 मार्च को राज्य सभा में स्वास्थ्य मंत्रालय के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे की दी जानकारी के मुताबिक भारत ने विदेश में तब तक 5.83 करोड़ वैक्सीन डोज भेजी थी. भारत 70 से ज्यादा देशों में वैक्सीन सप्लाई (Vaccine Supply) कर रहा है. और अब भारत में ही बनी कोवैक्सिन भी मॉरेशियस, म्यांमार, श्रीलंका, फिलिपीन्स, बहरेन, ओमान, मंगोलिया और माल्दीव्स में एक्सपोर्ट करने की तैयारी है.
ये तो रही विदेश की बात, सरहदों के अंदर राज्य भी कुछ नाखुश से हैं. महाराष्ट्र मुख्य मंत्री उद्धव ठाकरने ने सरकार से वैक्सीन का उत्पादन (Vaccine Production) बढ़ाने के लिए कोवैक्सिन का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का प्रोडक्शन राज्य में हैफकिन इंस्टिट्यूट (Haffkine Institute) कर सकता है. हैफकिन के पास 12.6 करोड़ डोज बनाने की क्षमता है.
भारत में वैक्सीन प्रोडक्शन की क्षमता कितनी है?
सीरम इंस्टिट्यूट (Serum Institute Of India) का कहना है कि वे अपनी क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं, और इस साल के अंत तक 1 अरब डोज का लक्ष्य हासिल करना जाहते हैं. SII के मुताबिक उन्होंने अब तक भारत में 6.6 करोड़ वैक्सीन सप्लाई की है और 6 करोड़ वैक्सीन विदेश भेजी है. भारत सरकार ने इंस्टिट्यूट से वैक्सीन प्रोडक्शन (Vaccine Production) बढ़ाकर 10 करोड़ डोज बनाने का निर्देश दिया है. डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के पार्लियामेंट्री पैनल को दी जानकारी के मुताबिक SII के पास हर महीने 7-10 करोड़ कोविशील्ड डोज मैन्युफैक्चर करने की क्षमता है. जबकि कोवैक्सिन हर साल 15 करोड़ डोज बनाए जाने की क्षमता है.
अमेरिका में वैक्सीनेशन का आंकड़ा 10 करोड़ पार कर चुका है. वहां फिलहाल तीन वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है. वहां की स्वास्थ्य एजेंसी ने रिटेल चेन वॉलमार्ट के साथ करार कर वैक्सीनेशन में तेजी हासिल की है. वॉलमार्ट की फार्मेसियों के जरिए भी वैक्सीन लगाई जा रही है. भारत में इस कदम तक पहुंचना रेगुलेशन और लॉजिस्टिक के हिसाब से मुश्किल हो सकता है. लेकिन मौजूदा हेल्थ क्लिनिक्स का इस्तेमाल करते हुए ही वैक्सिनेशन सेंटर्स बढ़ाए जा सकते हैं. इसमें ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट क्लिनिक्स और अस्पतालों को शामिल करने पर जोर देना होगा. साथ ही, ऐसा भी पाया गया है कि वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन (Vaccine Registration) करने में भी दूर-दराज के इलाकों में दिक्कतें हैं. उनतक पूरी जानकारी और वैक्सीन पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है.
देश में कोरोना के दूसरे अटैक को लेकर जो चिंता बन रही है उसमें जरूरी है कि अब वैक्सीन प्रोडक्शन (Vaccine Production) बढ़ाने पर एक्शन लिया जाए. भारत ने इस कोरोना संकट में अपने लिए फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड और वैक्सीन कैपिटल जैसे जो खिताब हासिल किए हैं उसपर भी टिके रहने का हल भी प्रोडक्शन बढ़ाना ही है. भारत में जॉन्सन एंड जॉन्सन की एक डोज वाली वैक्सीन और स्पूतनिक V का भी प्रोडक्शन होगा. स्पूतनिक V की मैन्युफैक्चरिंग के लिए दो फार्मा कंपनियों ने करार किया है. इस दौरान अगर भारत में एक और वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो ये इस वैक्सीनेशन ड्राइव को एक और इंजन मिल जाएगा.