ऑटोमेटेड टेलर मशीन… (ATM Machine) लेकिन है तो मशीन ही. वैसे तो ये काफी सहूलियत भरा काम है. कार्ड डाला और पैसा बाहर. लेकिन, जब मशीन आपके साथ खेलने लगे, जो कि अमूमन होता है तो सहूलियत भी मुसीबत लगने लगती है. बैंक अकाउंट के प्रति आपका लापरवाह रवैया काफी आर्थिक नुकसान कराता है. या यूं कहें कि आपकी जेब पर अच्छी खासी चपत लगती है. लेकिन, जब बैंक लापरवाह तो भी कंज्यूमर ही उलझे? कई बार आपने देखा होगा, एटीएम के बाहर बोर्ड लगा होता है- नो कैश! या फिर एटीएम में कार्ड डालने के बाद पता चला होगा कि कैश नहीं है. ऐसा अक्सर होता है. लेकिन, क्या इसके लिए कोई नियम नहीं है? कंज्यूमर यानी आप और मैं.. बैंक को इस मामले में कोर्ट तक घसीट सकते हैं.
चौंकिए मत! अपना हक समझिए. बैंक आपसे हर चीज का चार्ज वसूलता है. चाहे वो एटीएम में गलत ट्रांजैक्शन (ATM Failed transaction) हो या फिर फ्री लिमिट से ज्यादा किसी दूसरे बैंक के एटीएम से पैसा निकालना हो. फिर बैंक की गलती या लापरवाही पर जुर्माना क्यों नहीं? ऐसा मुमकिन है. इसके खिलाफ आवाज़ उठाई जा सकती है. कंज्यूमर फोरम (Consumer forum) में इसका खिलाफ केस किया जा सकता है. ये कोई नया नियम नहीं है. ऐसा पहले किया जा चुका है. एक शख्स SBI एटीएम में गया और उसने कार्ड डालकर ट्रांजैक्शन प्रोसेस की. लेकिन, बाद में स्क्रीन पर आया नो कैश… बैंक ने इस ट्रांजैक्शन को भी काउंट कर लिया. मतलब फ्री वाले ट्रांजैक्शन में से एक ट्रांजैक्शन कट गया. अब इसकी सजा किसके मत्थे?
ATM मशीन पर भी लगना चाहिए ‘मिनिमम बैलेंस’ चार्ज?
हुआ कुछ यूं कि उस शख्स ने कंज्यूमर फोरम का दरवाज़ा खटखटाया. कंज्यूमर की अर्जी पर कोर्ट ने बैंक को तलब किया. बैंक ने अपना पीछा छुड़ाने के लिए ठीकरा इंटरनेट कनेक्टिविटी पर फोड़ दिया. लेकिन, कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाता हुए कहा कि एटीएम (ATM Machine) का स्क्रीन बता रहा है नो कैश तो इंटरनेट कहां से आ गया. कैश नहीं तो ये गलती बैंक की है. इसके बाद शुरू हुई असली कहानी. कोर्ट ने कहा अगर बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने पर ग्राहक से जुर्माना वसूला जाता है तो एटीएम में पैसा नहीं होने पर बैंक पर जुर्माना क्यों नहीं लगना चाहिए? कंज्यूमर फोरम ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को 2500 रुपए का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया.
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कितना लगता है मिनिमम बैलेंस चार्ज?
SBI अकाउंट में मिनिमम बैलेंस (SBI Minimum Balance charge) नहीं रखने पर जुर्माना वसूला जाता है. मेट्रो शहरों में 3000 रुपए, सेमी अर्बन शहरों में 2000 रुपए और ग्रामीण इलाकों में 1000 रुपए एवरेज मंथली बैलेंस बनाए रखना होता है. बैंक मिनिमम बैलेंस (Minimum Balance charge) न रखने पर 5 रुपए से लेकर 15 रुपए का जुर्माना वसूलते हैं और इसके साथ GST अलग से लगाता है. हालांकि, कोरोना काल के दौरान SBI ने एवरेज मंथली बैलेंस नहीं रखने पर चार्ज को खत्म कर दिया था.
क्या मिलता है सबक?
इस पूरी बात का सबक यह है कि अगर किसी भी बैंक के एटीएम में कैश (No Cash) नहीं है तो उसे बाहर बोर्ड लगाना होगा. अगर ऐसा नहीं होता तो कैश न निकलने पर या फिर ट्रांजैक्शन के बाद नो कैश दिखाने पर आप भी बैंक से जुर्माना वसूल सकते हैं. कंज्यूमर कोर्ट में इसके लिए अर्जी दे सकते हैं. हालांकि, सुनवाई आपके पक्ष में ही हो यह जरूरी नहीं. लेकिन, बैंक की शिकायत जरूर कर सकते हैं.
क्या है मेरी राय?
मेरी राय में डिजिटल होते इंडिया में जब बैंकिंग को इतना आसान कर दिया गया है तो एटीएम (ATM Machine) को खाली छोड़ना सही नहीं. खासकर ग्रामीण इलाकों में एटीएम में पैसा खत्म होने की समस्या ज्यादा है. RBI को नियम बनाना चाहिए अगर एटीएम में कैश खत्म होता है तो इसके लिए बैंक जिम्मेदार होंगे. इस दौरान कंज्यूमर की फ्री ट्रांजैक्शन लैप्स नहीं होनी चाहिए. साथ ही लंबे समय तक एटीएम में कैश नहीं होने पर ग्राहक को भुगतान भी करना चाहिए.