रबी सीजन की 2 प्रमुख फसलों यानी गेहूं और चने की शुरुआती खेती पिछले साल के मुकाबले पिछड़ी हुई है. इसके अलावा रबी धान की खेती में भी पिछले साल के मुकाबले कमी देखी जा रही है. हालांकि तिलहन और मोटे अनाज की खेती बढ़ने की वजह से रबी का कुल रकबा पिछले साल के मुकाबले आगे चल रहा है. पोस्ट मानसून सीजन में बरसात की कमी की वजह से जमीन में नमी की कमी है जिस वजह से रबी की खेती प्रभावित हो रही है.
18.05 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 3 नवंबर तक देशभर में गेहूं का कुल रकबा 18.05 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. पिछले साल 3 नवंबर तक देशभर में 20.65 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल लग चुकी थी. इसी तरह चने का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले पिछड़ा हुआ है, 3 नवंबर तक 26.32 लाख हेक्टेयर में चने की खेती हुई है, पिछले साल इस दौरान 27.86 लाख हेक्टेयर में फसल लग चुकी थी. कुछ ऐसा ही हाल रबी धान का भी है, अबतक 5.56 लाख हेक्टेयर में फसल दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान 6.11 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी.
सरसों का रकबा बढ़ा
हालांकि इस साल तिलहन और मोटे अनाज की खेती बढ़ने की वजह से रबी का कुल रकबा पिछले साल के मुकाबले आगे हो गया है, 3 नवंबर तक कुल 120.5 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इस दौरान 115.83 लाख हेक्टेयर में फसल लगी थी. रबी तिलहन का कुल रकबा 47.53 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है जो पिछले साल इस दौरान 43.64 लाख हेक्टेयर था. 3 नवंबर तक 45.74 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती दर्ज की गई है जो पिछले साल 40.96 लाख हेक्टेयर हो पाई थी.
मानसून सीजन में कम बरसात के बाद देश में पोस्ट मानसून सीजन में भी बरसात की कमी देखी जा रही है जिस वजह से कई राज्यों में जमीन में फसल बुआई के लिए पर्याप्त नमी नहीं है, जिसका असर खेती पर पड़ रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक पोस्ट मानसून सीजन में अबतक, यानी 1 अक्टूबर से 3 नवंबर तक देशभर में औसत के मुकाबले 34 फीसद कम बरसात दर्ज की गई है. मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि नवंबर के दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में सामान्य बरसात हो सकती है, ऐसा होने की स्थिति में रबी की खेती रफ्तार पकड़ सकती है.