फरवरी में घटी सर्विस सेक्टर की रफ्तार, नौकरियों में भी रही सुस्ती

50 से अधिक अंक का अर्थ है कि गतिविधियों में विस्तार हो रहा है

White collar jobs

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फरवरी में भारत की सर्विस सेक्टर की गतिविधियों का विस्तार जारी रहा. 5 मार्च को जारी HSBC परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 60.6 पर आ गया है. यह 22 फरवरी को जारी 62.0 के फ्लैश अनुमान से नीचे है. वहीं जनवरी में सर्विसेज PMI 61.8 पर रहा था. भारत की सेवा PMI से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र में विस्तार की गति जनवरी के मुकाबले फरवरी में कम हो गई है. कारोबारी गतिविधियों, बिक्री और नौकरियों में नरमी के चलते भारत में फरवरी में सेवा क्षेत्र की वृद्धि सुस्त पड़ गई है.

सुस्त रही वृद्धि

यह लगातार 31वें महीने 50 के स्तर से ऊपर बना रहा है. 50 से अधिक अंक का अर्थ है कि गतिविधियों में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दिखाता है. भारत में सेवा कंपनियों को विदेश से मिलने वाले नए कारोबार में लगातार तेरहवें महीने वृद्धि हुई. सर्वेक्षण के मुताबिक भविष्य की व्यावसायिक गतिविधि के लिए सेवा कंपनियों का पूर्वानुमान सकारात्मक रहा, हालांकि यह पहले के मुकाबले थोड़ा कमजोर पड़ गया.

सर्विस सेक्टर की मांग में उछाल

एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक फरवरी में सर्विस सेक्टर में मांग में भारी उछाल देखने को मिली. हालांकि मांग में यह वृद्धि जनवरी के मुकाबले कम थी. भारत में सेवा कंपनियों को विदेश से मिलने वाले नए कारोबार में लगातार तेरहवें महीने वृद्धि हुई है. यह वृद्धि साढ़े नौ साल की सीरीज के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ में से एक है.

फरवरी में बढ़ा बैकलॉग

इसके साथ ही भारतीय सर्विस प्रोवाइडरों का ऑर्डर बैकलॉग फरवरी में फिर से बढ़ गया है. हालांकि इस बढ़त की दर तीन महीनों में सबसे कमजोर पर हुई है. इससे भर्तीयों पर असर पड़ा और रोजगार दर 21 महीने में सबसे धीमी रही है. सर्वे के सदस्यों ने संकेत दिया कि काम करने वालों की संख्या वर्तमान आवश्यकताओं के लिए काफी थी.

कॉम्पोजिट PMI घटी

सर्विसेज इंडेक्स की तरह, कम्पोजिट PMI भी फरवरी में घटी है. जनवरी में यह 61.2 थी जो फरवरी में 60.6 पर आ गई है. फरवरी महीने में मैन्युफैक्चरिंग PMI पांच महीने के उच्चतम स्तर 56.9 पर थी.

महंगाई के मोर्चे पर बेहतर खबर

भले ही फरवरी में सेवाओं और कम्पोजिट गतिविधि सूचकांकों में गिरावट आई है लेकिन महंगाई के मोर्चे पर बेहतर खबर थी. सेवा कंपनियों की तरफ से ली जाने वाली कीमतों में वृद्धि दो वर्षों में सबसे कम थी. ऐसा फरवरी में कंपनियों के ऑपरेटिंग खर्च में साढ़े तीन साल में दूसरी सबसे कमजोर दर से बढ़ोतरी की वजह से हुआ है.

Published - March 5, 2024, 01:49 IST