होम » बचत » आपका ध्यान किधर है, बैंक FD से ज्यादा फायदा इधर है
आपका ध्यान किधर है, बैंक FD से ज्यादा फायदा इधर है php // echo get_authors();
?>
यो तो बैंक FD से भी अच्छा और सुरक्षित है? क्या!
Updated On - May 19, 2023 / 12:50 PM IST
दिव्या और साकेत परेशान हैं. उनकी बिटिया का शहर के एक टॉप स्कूल में एडमिशन हो गया है, लेकिन उसमें शुरुआती दौर में एडमिशन के लिए दो लाख रुपए देने हैं. साकेत की एक एफडी है. जब बैंक में उन्होंने इसे तुड़वाने की बात की तो बताया गया है कि एक फीसद पेनाल्टी देनी होगी. यानी आपका कुल रिटर्न एक फीसदी कम हो जाएगा. साकेत ने अगर किसी लिक्विड म्यूचुअल फंड में पैसा लगाया होता तो उन्हें आसानी से पैसा मिल जाता.
क्या हैं लिक्विड फंड?
एफडी के बारे में तो बहुत लोग जानते हैं. इनके तहत बैंकों में एकमुश्त साल, दो साल, पांच या 10 साल तक के लिए रकम जमा होती है. लेकिन लिक्विड फंड्स के बारे में लोगों को जानकारी कम है. तो आइए पहले यह समझते हैं कि लिक्विड म्यूचुअल फंड्स क्या होते हैं?
लिक्विड फंड डेट म्यूचुअल फंड के तहत आते हैं. ये 7 दिन से लेकर 91 दिन की मैच्योरिटी वाले डेट साधनों और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. लिक्विड फंड्स का कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता.. इसका मतलब यह है कि इनसे आप शुरुआती एक हफ्ते के बाद कभी भी आसानी से पैसा निकाल सकते हैं.
संकट के दौरान नकदी की जरूरत किसी को भी पड़ सकती है. Scripbox की अक्टूबर 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के बाद दो साल में भारतीय ज्यादा पैसा बचाने को प्रेरित हुए या इमरजेंसी फंड बनाना उनकी पहली प्राथमिकता हो गई. लेकिन इमरजेंसी फंड के लिए बैंकों की FD योजनाओं में पैसा लगाना ठीक है या म्यूचुअल फंड्स की लिक्विड योजनाओं में? इसे लेकर कई जानकार निवेशक भी कंफ्यूज रहते हैं. रिजर्व बैंक द्वारा लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से अब FD की दरें काफी बढ़ने लगी हैं. दूसरी तरफ, म्यूचुअल फंड जैसे दूसरे निवेश साधन काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि इनमें सभी तरह के निवेशकों के लिए कई तरह के फायदे होते हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एकमुश्त रकम निवेश के लिए FD एक अच्छा विकल्प है, लेकिन आपको यह ध्यान रखना होगा कि FD में पैसा एक लॉक-इन पीरियड के लिए लॉक हो जाता है और पहले निकालने पर पेनल्टी भी लगता है. यानी आपके रिटर्न में कटौती हो जाती है. दूसरी तरफ, लिक्विड फंड्स का कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता, जिसका मतलब यह होता है कि इनसे पैसा निकालना बहुत आसान है. शॉर्ट टर्म नेचर की सिक्योरिटी होने की वजह से डेट म्यूचुअल फंड्स में देखें तो लिक्विड फंड सबसे कम जोखिम वाले होते हैं. इसमें आपको रिफंड सिर्फ एक वर्किंग डे यानी 24 घंटे में मिल जाता है. ज्यादातर लिक्विड फंड हर व्यक्ति को प्रति स्कीम से प्रति दिन 50 हजार रुपए तक निकासी की इजाजत देते हैं. कई म्यूचुअल फंड तो लिक्विड फंड्स से पैसा निकालने के लिए ATM कार्ड भी देते हैं.
कहां करें निवेश?
अब सवाल यह उठता है कि दिव्या और साकेत को लिक्विड फंड में पैसा लगाना चाहिए था या बैंकों के FD में. तो अगर किसी के पास ज्यादा अतिरिक्त रकम पड़ा है, और वह निश्चित रिटर्न कमाना चाहता है, तो वह 7 दिन से 10 साल के FD में अपने पसंद के मुताबिक पैसा लगा सकता है. अगर आपको ज्यादा रिटर्न चाहिए तो अपनी रकम को लॉन्ग टर्म की FD में लगाना होगा. लेकिन अगर आप ऐसे निवेशक हैं, जो यह चाहते हैं कि इमरजेंसी के दौरान हमेशा आपको कुछ नकदी तत्काल उपलब्ध हो जाए, तो आपका सबसे पहले तो जोर इसी बात पर रहेगा कि कौन सा निवेश ज्यादा फ्लेक्सिबल है यानी जरूरत के समय तत्काल और आसानी से कहां पैसा निकाला जा सकता है?
अगर हम लिक्विड फंड की किसी FD से तुलना करते हैं, तो यह बात साफ हो जाती है कि दोनों के अपने नफा-नुकसान हैं. लिक्विड फंड निवेशकों के लिए बहुत ही लिक्विड और एक्सेसिबल होते हैं यानी ये आसानी से पैसा लगाने या निकालने की सुविधा देने वाले निवेश विकल्प हैं. दूसरी तरफ, FD में निवेशकों को भरोसेमंद और पूर्व अनुमानित रिटर्न मिलता है. अब हर व्यक्ति अपने जरूरतों के हिसाब से निवेश का निर्णय ले सकता है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।